हैदराबाद: युद्धग्रस्त देश यूक्रेन (War torn country Ukraine) में फंसे भारतीयों की वापसी के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नई दिल्ली में हाईलेवल मीटिंग की. इसमें विदेश मंत्री समेत उच्च स्तरीय ब्यूरोक्रेट्स भी शामिल रहे. बैठक में यह फैसला किया गया कि केंद्र सरकार (Government of India)के चार मंत्री यूक्रेन के पड़ोसी देशों में जाएंगे और वे भारतीयों की सुरक्षित वापसी सुनिश्चित कराने का काम करेंगे. युद्ध शुरू हुए पांच दिन बीत चुके हैं और भारतीयों की सुरक्षित वापसी के हरसंभव प्रयास किए जा रहे हैं. इस बीच वापस आने वाले भारतीयों के सामने कई समस्याएं भी आ रही हैं, जिन्हें हल करने की कोशिशें की जा रही हैं. आइए जानते हैं भारतीय नागरिकों को वापस लाने के लिए अब तक क्या प्रयास किए गए और लोगों को किन समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है.
केंद्रीय मंत्री संभालेंगे मोर्चा
पीएम मोदी की हाईलेवल मीटिंग में यह तय किया गया कि चार केंद्रीय मंत्री, भारतीयों की वापसी की जिम्मेदारी संभालेंगे. इनमें नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया रोमानिया और मोल्दोवा में फंसे भारतीयों की निकासी कार्यों की देखरेख करेंगे. कानून मंत्री किरेन रिजिजू स्लोवाकिया में मौजूद रहेंगे. वहीं पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी हंगरी में संचालन की निगरानी करेंगे और सड़क परिवहन मंत्रालय में राज्य मंत्री जनरल (सेवानिवृत्त) वीके सिंह पोलैंड में निकासी का प्रबंधन करेंगे.
वीकेंड कर्फ्यू समाप्त, विशेष ट्रेनों की व्यवस्था
सोमवार को यूक्रेन में भारतीय दूतावास ने नई एडवाइजरी जारी की. जिसमें कहा गया है कि यूक्रेन से बाहर जाने वाले भारतीय शांति से काम लें और उत्तेजित न हों. सभी भारतीयों के लिए यूक्रेन, विशेष ट्रेनों की व्यवस्था कर रहा है. एडवाइजरी में कहा गया है कि कीव में वीकेंड कर्फ्यू हटा लिया गया है. सभी छात्रों को सलाह दी जाती है कि वे पश्चिमी सीमाओं की यात्रा के लिए रेलवे स्टेशन का रास्ता अपनाएं.
लांच किया गया 'ऑपरेशन गंगा'
भारत सरकार ने ऑपरेशन गंगा (Operation Ganga) के तहत यूक्रेन से अब तक 2400 भारतीयों को निकाला है. इसमें करीब 14000 भारतीय नागरिक रोमानिया और हंगरी के रास्ते बाहर आ चुके हैं और 1000 अन्य लोगों को सड़क मार्ग से यूक्रेन से बाहर निकाला गया है. वहीं, विदेश मंत्रालय ने यूक्रेन में फंसे में भारतीयों की मदद के लिए ट्विटर पर OpGanga Helpline नाम से अकाउंट बनाया है, जिसके जरिए लोग मदद हासिल कर सकते हैं. सोमवार को 6ठी उड़ान 249 लोगों को लेकर दिल्ली पहुंची.
रूस व यूक्रेन के बीच युद्ध कुल 6 उड़ानें भारत पहुंचीं
भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने बताया कि शुरुआती सलाह के बाद से 8000 से अधिक भारतीय नागरिक यूक्रेन छोड़ चुके हैं. भारत में अब तक 6 निकासी उड़ानें भारत पहुंच चुकी हैं. इनमें बुखारेस्ट से 4 उड़ानें और बुडापेस्टो से 2 उड़ानें शामिल हैं. प्रवक्ता ने कहा कि निकासी के प्रयास जारी हैं. जमीन पर स्थिति जटिल बनी हुई है, उनमें से कुछ काफी चिंताजनक हैं, लेकिन हम निकासी प्रक्रिया में तेजी लाने में सक्षम हैं. प्रवक्ता ने कहा कि हमारे पास मोल्दोवा के माध्यम से एक नया मार्ग है, यह अब चालू हो चुका है, हमारी टीम सहायता कर रही है और वे रोमानिया के रास्ते भारतीयों को निकालने में मदद करेंगे.
सीमा चौकियों तक पहुंचने की समस्या
रूस द्वारा यूक्रेन पर हमला करने का सोमवार को पांचवां दिन है. इस दौरान भारतीयों के सामने सबसे बड़ी समस्या यूक्रेन से लगे अन्य देशों की सीमाओं तक पहुंचना है, जहां से भारतीय उड़ानें संचालित की जा रही हैं. अधिकारियों ने बताया कि जो भी भारतीय नागरिक सड़क मार्ग से यूक्रेन-रोमानिया और यूक्रेन-हंगरी सीमा पर पहुंच रहे हैं, उन्हें भारत सरकार के अधिकारियों की मदद से सड़क मार्ग से क्रमश: बुखारेस्ट और बुडापेस्ट ले जाया जा रहा ताकि उन्हें एयर इंडिया की उड़ान के जरिए स्वदेश लाया जा सके. भारतीय छात्रों व अन्य प्रोफेशनल्स के सामने यही समस्या है कि यह सीमा चौकियां उनके रहने वाली जगहों से 500 से लेकर 1000 किलोमीटर दूर हैं. जहां तक बसों से सफर करना पड़ रहा है, जिसमें 8 से 15 घंटे लग रहा है. हालांकि अब ट्रेनों की व्यवस्था करने की घोषणा की गई है.
रूस व यूक्रेन के बीच युद्ध खाने-पीने की भी समस्या
यूक्रेन में एयर स्ट्राइक होने के बाद अफरा-तफरी का माहौल पैदा हो गया है. यूक्रेन के सुपर मार्केट में लोगों ने दाल, आटा सब कुछ खरीद लिया है. कई भारतीय छात्रों ने बताया कि जब वे स्टोर पहुंचे तो सब कुछ बिक चुका था. ऐसे में खाने के लिए सिर्फ मैगी, फल, ब्रेड या फिर जूस आदि खरीदना पड़ा. यह भी पर्याप्त मात्रा में नहीं है जिससे समस्या बढ़ गई है. पीने का पानी भी उपलब्ध नहीं जो चिंता का प्रमुख कारण है. कुछ स्वयंसेवी संस्थाओं की ओर से खाने-पीने की व्यवस्था की जा रही है लेकिन वह भी काफी सीमित मात्रा और सीमित जगहों पर ही उपलब्ध है.
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भारतीयों की मदद कर रहा दूतावास
इस बीच कुछ ऐसी भी खबरें आईं कि यूक्रेनी सुरक्षा बल उन लोगों को बाहर निकालने में प्राथमिकता दे रहे हैं, जिनके पास यूक्रेन का पासपोर्ट है. यह भी खबरें आईं भी भारतीय छात्रों पर यूक्रेनी सेना ने बलपूर्वक कार्रवाई की है. इस पर भारत में यूक्रेन के राजदूत इगोर पोलिखा (Igor Polikha Ambassador of Ukraine to India) ने कहा कि हालात बहुत मुश्किल है, लेकिन हम भारतीयों की मदद कर रहे हैं. पोलिखा ने कहा कि उन्होंने स्वयं यूक्रेनी सुरक्षाबलों से फंसे हुए भारतीयों की सहायता करने का अनुरोध किया है. उन्होंने कहा हालात बहुत मुश्किल और जटिल हैं. हमारे पास सीमित संसाधन हैं. हम हमले के शिकार हुए हैं. इसके बावजूद हम अन्य देशों के लोगों समेत सभी की मदद करने की कोशिश कर रहे हैं. पोलिखा ने कहा कि यूक्रेन-पोलैंड की सीमा पर हालात चुनौतीपूर्ण हैं क्योंकि राजनयिकों, विदेशी नागरिकों एवं यूक्रेनी नागरिकों समेत लाखों लोग यूक्रेन से बाहर निकलना चाहते हैं.
पांच लाख लोग छोड़ चुके यूक्रेन
संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी ने सोमवार को कहा कि पिछले सप्ताह रूस द्वारा आक्रमण (Ukraine Russian war) किए जाने के बाद पांच लाख से ज्यादा लोगों ने यूक्रेन छोड़ दिया है. संयुक्त राष्ट्र के शरणार्थी मामलों के उच्चायोग (यूएनएचसीआर) प्रमुख फिलिपो ग्रांडी ने ट्वीट कर यह जानकारी दी. जिनेवा स्थित यूएनएचआरसी की प्रवक्ता शाबिया मंटू ने कहा कि यूक्रेन के 281000 लोगों ने पोलैंड में प्रवेश किया है और हंगरी में 84500 से अधिक, मोल्दोवा में लगभग 36400, रोमानिया में 32500 से अधिक लोगों तथा स्लोवाकिया में लगभग 30000 लोग पहुंचे हैं. उन्होंने कहा कि शेष लोग अन्य देशों में गए हैं.