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इंश्योरेंस पॉलिसी लेना जरूरी है मगर फ्रॉड एजेंसी और एजेंट से रहें सावधान

इंश्योरेंस में फ्रॉड यानी बीमा धोखाधड़ी हो सकती है. चाहे होम लोन का इंश्योरेंस हो या हेल्थ इंश्योरेंस और लाइफ इंश्योरेंस फ्रॉड की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता है. फ्रॉड करने वाली कंपनियां एजेंसियों, अखबार के विज्ञापनों और इंटरनेट के माध्यम से लोगों को शिकार बनाती है. अगर आप इंश्योरेंस से संबंधित फ्रॉड से बचना चाहते हैं तो बताए गए टिप्स पर अमल करें.

Insurance frauds
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Published : Apr 25, 2022, 4:27 PM IST

Updated : Apr 25, 2022, 5:23 PM IST

हैदराबाद: क्या आप नई इंश्योरेंस पॉलिसी खरीदने की प्लानिंग कर रहे है? या पुरानी पॉलिसी को रिन्युअल करने के लिए पेमेंट करना है ? तो आप थोड़ा सतर्क हो जाएं. कही ऐसा चक्कर न पड़ जाए कि आप पैसा भी गंवा दें और जरूरत के समय दावा करने के बाद आपके क्लेम का भुगतान भी नहीं हो. ऑऩलाइन और कॉल के जरिये अगर इंश्योरेंस पॉलिसी खरीदने का प्रस्ताव आता है तो सबसे पहले कंपनी और एजेंसी की प्रमाणिकता के बारे में विचार करें. यह जरूर पता लगाएं कि जिस एजेंसी के जरिये आप इंश्योरेंस खरीदने वाले है, वह कही फर्जी तो नहीं है.

कई बार इंश्योरेंस पॉलिसी खरीदने का ऑफर देने वाले एजेंट या एजेंसी बीमा के बारे में बढ़ा-चढ़ाकर बात करते हैं. तो यह जरूर सोचें कि उन पर भरोसा करना कितना उचित है. उनकी ओर बताए गए बोनस, इंसेटिव और अन्य लाभों का बखान सुनकर पॉलिसी खरीदने को लेकर वचन न दें और न ही खरीदने की जल्दबाजी करें. फैसला करने से पहले कस्टमर केयर और इंश्योरेंस कंपनी के पोर्टल पर बीमा प्लान के बारे में छानबीन करें. कई बार एजेंस कम प्रीमियम पर ज्यादा लाभ का वादा करते हैं, मगर आप झांसे में नहीं आएं. पॉलिसी दस्तावेजों और एजेंट की ओर से दिए गए सादे पेपर कप साइन तो बिना आश्वस्त हुए करें ही नहीं.

एजेंटों को बीमा का प्रीमियम जमा करने के लिए नकद दे ही नहीं. ज्यादातर इंश्योरेंस कंपनियां एजेंटो को नकद भुगतान करने के लिए मना करती है. अब तो अधिकतर कंपनियां ऑनलाइन पेमेंट ले रही हैं. इसके बावजूद आप कैश में प्रीमियम का भुगतान करना चाहते हैं तो कंपनी के ऑफिस में जाकर पैसा जमा करें और भुगतान की रसीद अवश्य लें. इन रसीदों को आप सुरक्षित रखें. बीमा खरीदने और रिन्यूअल के दौरान अनावश्यक रूप से पैन कार्ड, आधार, पासपोर्ट और पॉलिसी विवरण किसी के साथ साझा न करें. साथ ही साइन किए गए ब्लैंक चेक देनें से परहेज करें. यह भी ध्यान रखें कि बीमा कंपनी द्वारा किसी भी परिस्थिति में ओटीपी, लॉग-इन विवरण और पासवर्ड नहीं मांगा जाएगा.

आजकल हर पॉलिसी को क्यूआर कोड से टैग किया जाता है. कोड को स्कैन करने पर आपको पॉलिसी के बारे में पूरी जानकारी मिल जाती है. एक बार जब आप पॉलिसी खरीद लेते हैं, तो सटीक विवरण जानने के लिए इसे अपने स्मार्टफोन पसे स्कैन करें. यह जरूरी है कि बीमा पॉलिसी के फॉर्म भरते समय आपको हर बात के बारे में जानकारी हो. अगर जानकारी नहीं हौ तो पॉलिसी से जुड़े नियम और शर्त पढ़ें और आधे- अधूरे फॉर्म पर कभी भी हस्ताक्षर न करें.

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Last Updated : Apr 25, 2022, 5:23 PM IST

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