अगरतला : त्रिपुरा राज्य विधि सेवा प्राधिकरण और राष्ट्रीय विधि सेवा प्राधिकरण (NALSA) के सहयोग से रविवार को अगरतला में आयोजित बच्चों के अधिकारों पर संवाद कार्यक्रम में सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस उदय उमेश ललित ने कहा कि सिर्फ बाल तस्करी और बाल शोषण ही नहीं, चाइल्ड पोर्नोग्राफी पर भी ध्यान दिया जाना चाहिए.
उन्होंने कहा, 'मुझे एक न्यायाधीश के रूप में एक मामले से निपटने का अवसर मिला, जब इंटरनेट सेवा प्रदाताओं ने मुझे बताया कि उनका अपने प्लेटफॉर्म पर नियंत्रण में नहीं है.'
राष्ट्रीय विधि सेवा प्राधिकरण के एग्जीक्यूटिव चेयरपर्सन जस्टिस उदय उमेश ललित ने कहा, 'इंटरनेट सेवा प्रदाताओं (आईएसपी) ने कहा कि वे 72 घंटे में आपत्तिजनक सामग्री हटा सकते हैं. लेकिन इस अवधि में, पीड़ित की प्रतिष्ठा इतनी कमजोर हो सकती है कि यह फिर से हासिल नहीं की सकती है. हमारे पास कानूनी तंत्र होना चाहिए, जिसके जरिए आपत्तिजनक इंटरनेट सामग्री निपटा जा सके.
जस्टिस यू यू ललित ने समाज में बच्चों के अधिकारों की रक्षा में सभी संबंधितों की भूमिका पर जोर दिया है. उन्होंने कहा कि बच्चों का सर्वांगीण विकास और उनके अधिकारों की सुरक्षा सुनिश्चित की जानी चाहिए.