नई दिल्ली : मार्च 2023 में कांग्रेस पार्टी का अधिवेशन होगा और इसके पहले पार्टी राजस्थान में नेतृत्व परिवर्तन पर विचार करेगी, इसकी कोई संभावना नहीं दिख रही है. आज प्रदेश के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और उनके नेतृत्व को 'चुनौती' दे रहे सचिन पायलट, दोनों दिल्ली आ रहे हैं.
पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, 'कांग्रेस अधिवेशन से पहले नेतृत्व में बदलाव नहीं होगा. इसके कोई संकेत नहीं हैं.' प्रदेश के प्रभारी अजय माकन के इस्तीफे के बाद गहलोत और पायलट दिल्ली आ रहे हैं. माकन को गहलोत का 'करीबी' बताया जाता रहा है. माकन ने अनुशासनहीनता मामले का जिक्र कर अपना त्याग पत्र दिया था.
पार्टी पहले ही शांति कुमार धारीवाल, महेश जोशी और धर्मेंद्र राठौड़ को नोटिस जारी कर सितंबर की बैठक में शामिल नहीं होने को लेकर स्पष्टीकरण मांग चुकी है. पार्टी ने 25 सितंबर को बैठक बुलाई थी, जिसमें वे शामिल नहीं हुए थे.
कथित तौर पर पार्टी के अधिकांश नेताओं ने राज्य में नेतृत्व परिवर्तन का विरोध किया था. वे सचिन पायलट के मुकाबले अशोक गहलोत को ही सीएम पद पर देखना चाहते थे. इसी परिप्रेक्ष्य में पार्टी ने 25 सितंबर को बैठक बुलाई थी. बैठक में विधायकों के शामिल नहीं होने को लेकर सोनिया गांधी काफी नाराज हो गईं थीं.
क्योंकि उस समय पार्टी अपने नए अध्यक्ष के चुनाव को लेकर व्यस्त थी, इसलिए तब पार्टी ने नेतृत्व का मुद्दा टाल दिया था. अब जबकि कांग्रेस अध्यक्ष का चुनाव हो चुका है, मल्लिकार्जुन खड़गे नए अध्यक्ष बन चुके हैं, यह मुद्दा फिर से सुगबुगाने लगा है. हालांकि, अभी हिमाचल और गुजरात चुनाव पार्टी के लिए प्राथमिकता है. इसलिए पार्टी गुजरात चुनाव होने तक कोई भी फैसला नहीं लेना चाहती है. सूत्र ये भी बताते हैं कि पार्टी अगले अधिवेशन तक भी इस मुद्दे को टाल सकती है.
माकन इसलिए नाराज हैं, क्योंकि तीनों विधायकों के जवाब सौंपे जाने के बावजूद नए अध्यक्ष खड़गे ने अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की है. अनुशासन समीति के अध्यक्ष एके अंटनी हैं. माकन के करीबियों का कहना है कि जिन नेताओं के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई होनी है, उन नेताओं को पार्टी ने भारत जोड़ो यात्रा में महत्वपूर्ण जिम्मेदारी सौंप दी है. दिसंबर महीने में भारत जोड़ो यात्रा राजस्थान पहुंचने वाली है. कहा जा रहा है कि इस निर्णय से माकन काफी क्षुब्ध थे.
माकन से पहले पायलट भी इस मुद्दे को उठा चुके हैं. पायलट ने कहा कि अनुशासनात्मक कार्रवाई पर पार्टी को देरी नहीं करनी चाहिए, क्योंकि इससे गलत संदेश जाएगा. पार्टी के अंदरुनी सूत्रों का कहना है कि गहलोत अभी गुजरात चुनाव की कमान संभाले हुए हैं. ऐसे में इस समय कोई भी निर्णय लेना पार्टी के लिए सही नहीं होगा. पार्टी हाईकमांड की पूरी स्थिति पर नजर बनी हुई है. हाईकमांड उचित समय आने पर ही फैसला लेगी. लिहाजा बेहतर होगा कि पार्टी अधिवेश से पहले कोई भी निर्णय न ले. वैसे, पार्टी ने इन तीनों नेताओं को संदेश अवश्य दिया है. उन्हें उपचुनाव में प्रचार का जिम्मा नहीं सौंपा गया है, बल्कि माकन को स्टार प्रचारक की सूची में रखा गया है.