हैदराबाद :केंद्रीय खाद्य मंत्रालय के आंकड़ों (Union Food Ministry data) के अनुसार केंद्र ने 2021-22 के विपणन वर्ष में जनवरी तक की गई कुल खरीद में से सर्वाधिक 186.85 लाख टन धान पंजाब से, 67.65 लाख टन छत्तीसगढ़ से, 65.54 लाख टन तेलंगाना से, 55.30 लाख टन हरियाणा से और 46.50 लाख टन उत्तर प्रदेश से खरीदा गया है. हालांकि धान खरीद को लेकर राज्यों में अक्सर विरोध होते हैं और आरोप-प्रत्यारोप चलता है. कई बार राज्य केंद्र पर आरोप लगाते हैं तो केंद्र भी राज्यों को आईना दिखाने में देरी नहीं करता. धान खरीद को लेकर भ्रष्टाचार व घोटालों के आरोप भी हमेशा लगाए जाते हैं. किसानों को होने वाले भुगतान में देरी भी होती है.आइए जानते हैं कि आखिर राज्यों में क्या है धान खरीद की वास्तिवक स्थिति.
विपणन सत्र 2020-21 के दौरान सरकार ने 1,69,133.26 करोड़ रुपये के एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) मूल्य पर 895.83 लाख टन धान की खरीद की है. सरकार भारतीय खाद्य निगम (FCI) के साथ-साथ राज्य एजेंसियों के माध्यम से खरीद कार्य करती है. सरकार एमएसपी के साथ किसानों की रक्षा के लिए बड़े पैमाने पर धान और गेहूं खरीदती है और राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत पंजीकृत गरीब लाभार्थियों के लिए अत्यधिक रियायती दरों पर राशन की दुकानों के माध्यम से वितरण के लिए खरीदे गए अनाज का उपयोग करती है.
हरियाणा-पंजाब में धान खरीद
खरीफ के सीजन 2021 में हरियाणा में केन्द्र सरकार के आंकड़ों के मुताबिक 56 लाख मीट्रिक टन के करीब धान की खरीद हुई. हरियाणा में अनाज की स्टोरेज कैपेसिटी एफसीआई के अधिकारी के मुताबिक 130 लाख मीट्रिक टन से अधिक की है. जिसमें एफसीआई की स्टोरेज कैपेसिटी करीब 68 लाख मीट्रिक टन, राज्य और अन्य एजेंसियों की 65 लाख मीट्रिक टन है. जिनमें एफसीआई और राज्य एजेंसियों ने अपने गोदाम होने के साथ-साथ कुछ गोदाम किराये पर लिए होते हैं. जहां तक किसानों की पेमेंट की बात करें तो प्रदेश में धान की फसल का शत-प्रतिशत किया गया है. कुछ भी बकाया नहीं है.
केंद्र सरकार के आंकड़ों के मुताबिक पंजाब में 2021 के खरीफ के सीजन में धान की खरीद करीब 202 लाख मीट्रिक टन हुई है. पंजाब की कुल स्टोरेज कैपेसिटी आंकड़ों के मुताबिक 270 लाख मीट्रिक टन से अधिक है. जिसमें से एफसीआई के मुताबिक उनके पास स्टोरेज कैपेसिटी 124 लाख मीट्रिक टन के करीब है और बाकी राज्य और अन्य प्राइवेट एजेंसियों की स्टोरेज है. यहां भी धान खरीद का पूरा भुगतान किसानों को हो चुका है. किसी का बकाया नहीं है.
छत्तीसगढ़ में रिकॉर्ड धान खरीद
छत्तीसगढ़ सरकार ने राज्य में किसानों से समर्थन मूल्य पर 97 लाख 97 हजार 122 मीट्रिक टन धान खरीद कर इस साल अपने पिछले साल के रिकॉर्ड को तोड़ दिया है. पिछले साल छत्तीसगढ़ में 92 लाख मीट्रिक टन धान की खरीद हुई थी. 1 दिसंबर 2021 को शुरू हुई धान की खरीद 7 फरवरी को समाप्त हुई है. इस साल 21,77,283 किसानों ने समर्थन मूल्य पर धान बेचा है. किसानों से खरीदे गए धान के एवज में उन्हें 19 हजार 83 करोड़ 97 लाख का भुगतान किया जा चुका है. समर्थन मूल्य पर खरीदे गए धान की उठान व कस्टम मिलिंग का कार्य तेज गति से चल रहा है. अब तक 64.43 लाख मीट्रिक टन धान उठाया जा चुका है. बाकी को धान खरीद केंद्रों में रखा गया है.
तेलंगाना में धान खरीद
तेलंगाना राज्य में 2021-22 खरीफ सीजन धान की पूर्ण खरीद की गई है. राज्य सरकार ने 27.25 लाख एकड़ का प्रस्ताव रखा था. 52.55 लाख एकड़ में किसानों ने खेती की. सरकार द्वारा स्थापित 6872 क्रय केंद्रों पर कुल 12.87 लाख किसानों से 70.38 लाख मीट्रिक टन धान की खरीद की गई. जहां तक किसानों को हुए भुगतान की बात है तो किसानों के खातों में कुल 13,800 करोड़ रुपये जारी किए हैं. अभी 150 से 200 करोड़ जमा करना बाकी है. सरकार ने किसानों से एकत्र किया गया सारा अनाज चावल मिल मालिकों को कस्टम मिलिंग के लिए सौंप दिया है.
उत्तर प्रदेश में धान खरीद
देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में 70 लाख मीट्रिक टन धान खरीद का लक्ष्य निर्धारित किया गया है. 63.11 लाख मीट्रिक टन (90.1फीसद) धान खरीद की जा चुकी है. कुल 1 लाख 32 हजार किसान लाभान्वित हुए हैं. अभी तक कुल 12 हजार 248 करोड़ रुपए के सापेक्ष 10 हजार 650.50 करोड़ का भुगतान हो चुका है. जो कि 87 फीसदी है. राज्य में भंडारण की स्थिति की बात करें तो धान से अब तक चावल बना है जो भंडारण किया गया है. करीब 29.35 लाख मीट्रिक टन भंडारण हो गया है. धान राइस मिल में चावल बनने की प्रक्रिया में और स्थानीय स्तर पर राज्य भंडारण निगम के गोदामों पर भंडारण किया गया है. राज्य में 245 गोदाम संचालित हैं.
उत्तराखंड में धान खरीद
उत्तराखंड राज्य में 11.55 लाख मैट्रिक टन धान की खरीद की गई है. केंद्र की तरफ से 11.63 लाख मीट्रिक टन का टारगेट राज्य को खरीद के रूप में दिया गया था, जिसे करीब-करीब पूरा किया गया है. राज्य में धान के स्टोरेज को लेकर स्थिति को देखें तो प्रदेश में राज्य सरकार द्वारा भंडारण की क्षमता 110000 मीट्रिक टन है. जबकि 90000 मीट्रिक टन के भंडारण की सुविधा राज्य सरकार की तरफ से स्टेट बेयरिंग हाउसिंग कॉरपोरेशन और सेंट्रल वेयरहाउसिंग कॉरपोरेशन से ली गई है. कुल मिलाकर राज्य के पास भंडारण के लिहाज से पर्याप्त जगह मौजूद है. राज्य सरकार की तरफ से धान खरीद पर किसानों का 100% भुगतान कर दिया गया है.
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बिहार राज्य में धान खरीद
बिहार राज्य में अब तक 32.61 लाख मीट्रिक टन धान की कितनी खरीद हुई है. राज्य के आंकड़ों के अनुसार अभी तक 12.39 लाख मीट्रिक टन धान खरीद बाकी है. राज्य की भंडारण क्षमता 35 लाख मीट्रिक टन है. शेष खाद्यान्न निजी गोदामों में रखा जाता है. जहां तक किसानों के भुगतान की बात है तो अभी तक 4,45,323 किसानों को 6354 करोड़ 16 लाख रुपये की राशि दी गई है. राज्य में करीब 90 फीसदी किसानों का भुगतान हो चुका है.
मध्य प्रदेश में धान खरीद
मध्य प्रदेश में 45 लाख मीट्रिक टन धान की खरीदी हो चुकी है. करीब 50,000 मीट्रिक टन धान का स्टोरेज होना बाकी है. यह 50 हजार मीट्रिक टन सिवनी व सतना जिलों में बाकी है किसका परिवहन किया जाता है. 50 हजार मीट्रिक टन धान के अलावा बाकी सभी का किसानों को भुगतान हो चुका है.
महाराष्ट्र में धान खरीद
महाराष्ट्र राज्य सरकार ने खरीफ सीजन में 1.22 करोड़ क्विंटल धान खरीदा है. खाद्य और नागरिक आपूर्ति विभाग के सचिव सुधीर तुंगर ने बताया कि 1940 प्रति क्विंटल की दर से किसानों को दी गई है. 16 जिलों के 2853 केंद्रों से धान की खरीद की गई है. राज्य सरकार ने अब तक किसानों को धान उपार्जन के लिए 2600 करोड़ रुपये का भुगतान किया है. 350 करोड़ रुपये सरकार के पास लंबित हैं. पिछले साल किसानों को 700 रुपए प्रति क्विंटल बोनस राशि दी गई थी. इस वर्ष धान का उत्पादन अधिक है और राज्य सरकार की वित्तीय स्थिति अच्छी नहीं है इसलिए बोनस राशि नहीं दी गई है.
राजस्थान में धान खरीद
राजस्थान में खरीफ फसल 4 लाख टन धान का उत्पादन होता है. इनमें कोटा, झालावाड़, हनुमानगढ़ और श्रीगंगानगर में धान का उत्पादन होता है. सरकार की ओर से धान की खरीद प्रदेश में नहीं होती है. अधिकतर धान की खपत प्रदेश में किसानों द्वारा हो जाती है. सरकार व्यापारियों को एजेंट बनाकर धान पंजाब और हरियाणा भेजती है.
झारखंड में धान खरीद
झारखंड राज्य में इस वर्ष धान खरीद का लक्ष्य 80 लाख क्विंटल का है. झारखंड में 31 मार्च तक सरकार किसानों से धान की खरीद करेगी. सरकार ने इस वर्ष हर प्रखंडों में स्थित लैम्प्स में 562 धान क्रय केंद्र बनाया है. राज्य में 64 हजार 856 किसानों के सरकार ने निबंधित किया है और एमएसपी पर धान बेचने के लिए मैसेज किया है. जनवरी के पहले सप्ताह में जारी सरकारी आंकड़ों के अनुसार 6 हजार 936 किसानों ने एमएसपी पर धान बेचा है. राज्य सरकार ने साधारण धान का मूल्य 2050 रुपए रखा है. ग्रेड ए धान की कीमत 2070 रुपया निर्धारित की है. इस बार सरकार ने धान प्राप्त करने के वक्त ही 50% भुगतान करने का निर्णय लिया है. इसके बाद शेष राशि 3 महीने के अंदर भुगतान की जाएगी. सरकार ने इस बार एक नया नियम भी बनाया है कि एक किसान केवल 200 क्विंटल धान ही बेच सकता है. धान के भंडारण के लिए सरकार अस्थायी गोदाम की व्यवस्था की है. धान खरीद के एक सप्ताह के भीतर उसे धान मिलों के चावल बनाने के लिए दे दिया जाता है. मिले चावल को एफसीआई गोदाम में सराकर की नियमावली के अनुसार भेजा जाता है.
दिल्ली में धान खरीद
देश की राजधानी दिल्ली के कुल 142 गांवों में खेती होती है. इसमें गेहूं, ज्वार, बाजरा, सरसों, धान जैसी फसलों सहित सब्जियों की भी पैदावार होती है. लेकिन यहां के किसानों को दर्द है कि दशकों से अपनी पैदावार को सरकार के जरिये बेचना चाहते हैं, लेकिन अन्य राज्यों की तरह यहां दिल्ली सरकार सीधे किसानों से अनाज नहीं खरीदती. नतीजा किसान अपना अनाज पड़ोसी राज्यों को एमएसपी से कम पर बेचने को मजबूर हैं. दिल्ली में अनाज की दो मंडी है लेकिन इस पर सरकार का नियंत्रण नहीं है.
किसान अपनी पैदावार लेकर यहां आते हैं और उसे वहां खुले बाजार में बेचते हैं. दिल्ली के नजफगढ़ और नरेला मंडी दिल्ली में धान की किस्म RH 10 का भाव 2760 रुपये प्रति क्विंटल है. वहीं धान का भाव 2350 रुपए है. 1121 मीडियम धान का भाव 3350 रुपए है. 1718 धान का भाव का मूल्य 3475 और आवक 10000 बैग है. इसी तरह सरसों के लिए एमएसपी 4450 रुपये तय जबकि इससे करीब 1000 रुपये के नुकसान पर किसानों ने 3500 रुपये प्रति क्विंटल की दर से बिक्री की. बाजरा में भी 2150 की बजाय किसानों को महज 1200 रुपये में संतोष करना पड़ा. दिल्ली में एमएसपी न मिलने से उन्हें नजफगढ़ मंडी में फसलों की बिक्री करनी पड़ती है. सरकार की ओर से तय एमएसपी का लाभ न मिलने से बिचौलियों को 500-1000 रुपये प्रति क्विंटल कम कीमत पर फसलों की बिक्री के लिए किसान मजबूर होना पड़ता है. इसके लिए सांसद और मंत्रियों से बातचीत का भी कोई नतीजा नहीं निकला है.
हिमाचल प्रदेश में धान खरीद
हिमाचल प्रदेश में बीते सीजन में पहली बार धान की खरीद हुई थी. प्रदेश में 15 अक्टूबर 2021 से धान की खरीद ऑनलाइन पोर्टल से शुरू हुआ था. जिसके तहत प्रदेश में 9 केंद्र सिरमौर, ऊना, कांगड़ा और सोलन जिलों में बनाए गए थे. इनके माध्यम से दो लाख क्विंटल से अधिक धान की खरीद हुई और चार हजार से अधिक किसानों को 38 करोड़ रुपए का भुगतान हुआ. कृषि विभाग के मुताबिक भारतीय खाद्य निगम ने धान खरीद को लेकर दो लाख क्विंटल का आंकड़ा पार किया और किसानों से खरीदे गए धान का भुगतान 24 घंटे के भीतर कर दिया गया. प्रदेश के करीब चार हजार किसानों को सीधे-सीधे लाभ पहुंचाते हुए उनके खातों में लगभग 38 करोड़ रुपए से अधिक की राशि हस्तांतरित की जा चुकी है.
इन केंद्रों के माध्यम से 24 नवम्बर 2021 तक 2,14,311.95 क्विंटल धान की खरीद की जा चुकी है. इससे 4474 किसानों को लाभ पहुंचा है. आंकड़ों के अनुसार सिरमौर जिले में लगभग 1,01,808.78 क्विंटल, ऊना जिले में 19,612.16 क्विंटल, कांगड़ा जिले में लगभग 51,685.50 क्विंटल और सोलन जिले में लगभग 41205.52 क्विंटल धान की खरीद की गई. हिमाचल में FCI के 19 गोदाम हैं.
ओडिशा में धान खरीद
ओडिशा राज्य में अब तक कुल खरीफ धान की खरीद 4456015 मीट्रिक टन की गई है. राज्य सरकार ने 2021-22 केएमएस में 77 लाख टन धान की खरीद का एक अस्थायी लक्ष्य निर्धारित किया है जो लगभग 52 लाख टन चावल होगा. खरीद 31 मार्च 2022 तक है इसलिए अभी और कितना धान आएगा यह कहना मुश्किल है. किसानों को किया गया कुल भुगतान- 7875.86 करोड़ रुपये है. एक किसान को अपना धान बेचने के समय से भुगतान प्राप्त करने में 24-48 घंटे लगते हैं.
सत्तारूढ़ बीजद सांसद अमर पटनायक की मानें तो FCI को तुरंत इस उबले चावल को खरीदना चाहिए. किसान बिजली के स्विच की तरह नहीं हैं जिन्हें आप उनके साथ ON-OFF कर सकते हैं. ओडिशा के किसान सदियों से बराबर उबले हुए चावल का उत्पादन कर रहे हैं. भारत सरकार उन्हें रातों-रात बढ़ने से रोकने के लिए नहीं कह सकती है. किसानों को किसी भी पेशे की तरह अपने पुराने फसल पैटर्न और अभ्यास से हटने के लिए समय की आवश्यकता है. ऐसा करके भारत सरकार और एफसीआई का किसानों के प्रति रवैया और नीतियां उनकी वास्तविक समस्याओं के प्रति उदासीन हैं, जो चिंताजनक है.
असम से धान खरीद
असम राज्य में अब तक एफसीआई ने केवल 0.5 लाख मीट्रिक टन धान की खरीद की है. असम प्रति वर्ष 80 से 85 लाख मीट्रिक टन चावल का उत्पादन करता है. सरकार ने इस साल सितंबर 2022 तक 10 लाख मीट्रिक टन की खरीद की योजना बनाई है. हालांकि इस खरीद के बारे में किसानों को जागरूक करने में देरी होने के कारण कुछ किसानों ने पहले ही अपने धान को बिचौलियों को सस्ती कीमत पर बेच दिया है. असम राज्य में पर्याप्त भंडारण की सुविधा नहीं है. जहां तक किसानों को हुए भुगतान की बात है तो अभी तक कुछ किसानों को भुगतान मिल गया है लेकिन कुछ किसानों को अभी तक खरीद राशि नहीं मिली है.
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तमिलनाडु में धान खरीद
तमिलनाडु राज्य में नोडल एजेंसी तमिलनाडु नागरिक आपूर्ति निगम (टीएनसीएससी) ने अब तक राज्य में 13,24000 मीट्रिक टन धान की खरीद की है. टीएनसीएससी के अधिकारियों के मुताबिक उन्हें सीजन में 50 लाख मीट्रिक टन धान खरीदने की उम्मीद है, जिसमें से राज्य में 36,76,000 मीट्रिक टन धान की खरीद अभी बाकी है. अभी तक राज्य में भंडारण सुविधा अच्छी स्थिति में है. हालांकि उत्तर पूर्वी मानसून (नवंबर और दिसंबर) के दौरान डेल्टा क्षेत्र में खुले स्थानों में स्थित कुछ प्रत्यक्ष खरीद केंद्रों (डीपीसी) ने खराब स्थिति का खुलासा किया कि बड़ी मात्रा में धान अंकुरित होने लगे हैं. वर्तमान में धान खरीद के लिए राज्य भर में 2000 डीपीसी हैं. जब कटाई का मौसम शुरू हुआ तो किसानों को भुगतान में थोड़ी देरी हुई. हालांकि किसानों को आजकल बिना देर किए भुगतान मिल रहा है.
कर्नाटक में धान खरीद
कर्नाटक राज्य में एमएसपी के तहत धान खरीद की जा रही है. धान खरीद का कुल लक्ष्य 5 लाख मीट्रिक टन है. अब तक 2.18 लाख किसानों ने धान खरीद के लिए पंजीयन किया है. पंजीकरण की समय सीमा फरवरी माह तक बढ़ा दी गई है. राज्य में एमएसपी 1,940 ₹ प्रति क्विंटल (सामान्य धान) है. जबकि एमएसपी 1,969 ₹ प्रति क्विंटल (ग्रेड ए धान) के लिए निर्धारित किया गया है.