दिल्ली

delhi

ETV Bharat / bharat

Naxalite statue in Kanker: सुरक्षा बलों की पहुंच से दूर इस गांव में अपने ही बम से मारे गए नक्सली की मूर्ति

छत्तीसगढ़ से आए दिन नक्सली हमले की खबरें सामने आती (Naxalite Somji alias Mahadev statue)रहती हैं. आज भी राज्य में नक्सलियों का आतंक कम नहीं हो सका (Naxalite statue in Kanker ) है. आए दिन नक्सली हमले की खबरें छत्तीसगढ़ में चर्चा में बनी रहती हैं. इस बीच राज्य में एक नक्सली कमांडर की मूर्ति चर्चा में है. कांकेर जिले के आलदंड गांव में नक्सली कमांडर की मूर्ति लगी ( Kanker police administration alert on Naxalite statue) हुई है.

Naxalite statue in Kanker
कांकेर में नक्सली की मूर्ति

By

Published : Jun 29, 2022, 7:03 PM IST

Updated : Jun 29, 2022, 11:31 PM IST

कांकेर :बस्तर में नक्सलवाद को पनपे लगभग चार दशक होने जा रहा है. बस्तर की जमीन ने लाल आतंक का दंश झेला है. आज भी बस्तर के क्षेत्र नक्सली वारदातों से रूबरू होते हैं. आज भी कुछ गांव ऐसे हैं, जिनकी नजर में नक्सलियों की सूरत भयावह ना होकर कुछ और ही है. ऐसा ही एक गांव है आलदंड गांव. आलदंड गांव नारायणपुर जिला और कांकेर जिला के सरहद में बसा हुआ है. या यूं कहें कि अबूझमाड़ से लगा हुआ गांव है. यहां एक नक्सली की मूर्ति लगाई गई है.

किसकी है ये मूर्ति: अबूझमाड़ क्षेत्र में बसा गांव आलदंड. यहां पर एक नक्सली की मूर्ति बनाई गई (Naxalite statue in Kanker) है. यह मूर्ति नक्सली सोमजी उर्फ महादेव की है. सोमजी कांकेर के आमाबेड़ा जोन में आज से महज एक साल पहले खूनी खेल खेला करता था. नक्सली कमांडर सोमजी ने कई वारदातों को अंजाम दिया. नक्सली सोमजी आलदंड गांव का था. यहां आज भी उसका परिवार रहता है. लिहाजा परिवार ने खुद के लिए इस मूर्ति का निर्माण करवा लिया.

कांकेर में नक्सली की मूर्ति

कैसे हुई थी सोमजी की मौत? :कांकेर के आलदंड में नक्सली सोमजी की तूती बोलती (Terror of Naxalite Somji in Kankers Aaland ) थी. लेकिन भगवान ने इसके लिए कुछ और ही प्लान कर रखा था. हुआ यूं कि 18 फरवरी 2021 को फोर्स को उड़ाने की नीयत से सोमजी विस्फोटक प्लांट कर रहा था. लेकिन इस विस्फोटक सामग्री ने सोमजी को ही अपने चपेट में ले लिया. बम प्लांट करते वक्त चूक हुई और सोमजी का शरीर टुकड़ों में बिखर गया.

क्या है पुलिस का बयान :इस मामले में जब कांकेर एसपी शलभ सिन्हा से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि ''जिले के कई क्षेत्र ऐसे हैं, जहां सुरक्षा बल अबतक नहीं पहुंच पाए हैं. जहां-जहां सुरक्षा कैंप खुले हैं, जहां थाना है, जहां फोर्स है, वहां लोगों से रेग्युलर मिलना-जुलना होता है. वो जानते हैं कि नक्सली किस तरह पब्लिक को भ्रमित कर उनको विकास से दूर रखना चाहते हैं. लेकिन आलदंड जैसे कुछ इलाके हैं, जहां हमारी उपस्थिति लगातार नहीं है. हम बीच-बीच में जाते हैं. सिविक एक्शन कार्यक्रम करते हैं और वापस आ जाते हैं. इस वजह से उन्होंने विकास कार्य नहीं देखा है. वहां पर पुलिया की घोषणा हुई तो ग्रामीण उसके विरोध में उतर आए. नक्सली चाहते हैं कि ग्रामीण अंधेरे में रहें. मुझे लगता है कि धीरे-धीरे हमारी पहुंच बढ़ रही है, वैसे-वैसे ग्रामीण समझ रहे हैं. ग्रामीण शासन-प्रशासन के काम को देख रहे हैं. जैसे बस्तर फाइटर्स की भर्ती में अंदरूनी क्षेत्रों से बड़ी संख्या में युवाओं ने आवेदन दिया. जो आज नक्सलियों को आदर्श मानते हैं, कल जब हमारी पहुंच वहां होगी तो सरकार को अपना आदर्श मानेंगे और नक्सलियों के प्रोपोगेंडा से दूर रहेंगे.''

Last Updated : Jun 29, 2022, 11:31 PM IST

ABOUT THE AUTHOR

...view details