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Salman Khan Black Buck Poaching Case चिंकारा का स्टैच्यू बना, स्मारक भी हो रहा तैयार

बॉलीवुड एक्टर सलमान खान ने जिस काले हिरण का शिकार किया था, उस चिंकारा का स्टैच्यू (Statue of Kankani Black Buck) बनकर तैयार हो गया है. राजस्थान में जोधपुर के कांकाणी गांव में कृष्ण मृग का स्मारक करीब 7 बीघा जमीन पर बन रहा है.

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Published : Aug 12, 2022, 2:12 PM IST

Statue of Kankani Black Buck is Ready
कांकाणी में बन रहे कृष्ण मृग स्मारक के लिए मूर्ति तैयार

जोधपुर.कांकाणी गांव में काले हिरण का स्मारक बनाया जा रहा है. यहां लगने वाले काले हिरण जिसे कृष्ण मृग और चिंकारा कहा जाता है, उसकी मूर्ति भी तैयार हो गई है. अगले 20 दिनों में इसे यहां स्थापित कर दिया जाएगा. यह स्मारक उस जगह पर बनाया जा रहा है जहां अक्टूबर 1998 में सलमान खान द्वारा शिकार किए गए (Kankani Black Buck Case) हिरणों को दफनाया गया था. इस मंदिरनुमा स्मारक का निर्माण तेजी से चल रहा है.

इस निर्माण से जुड़े प्रेमाराम सारण बताते हैं कि अगले पंद्रह से बीस दिनों में काम पूरा हो जाएगा. उसके बाद मूर्ति की स्थापना होगी. जोधपुर के कारीगर शंकर ने मूर्ति तैयार की है. यहां मूर्ति लगाने का उद्देश्य काले हिरणों को सरंक्षण (Protection of Black Bucks) प्रदान करना है, ताकि लोग शिकार नहीं करें. क्योंकि किसी समय में पूरे इलाके में हिरणों के झुंड नजर आते थे, लेकिन कड़ी कार्रवाई नहीं होने और शिकार की घटनाएं बढ़ने से इनकी संख्या कम हो रही है. कृष्ण मृग का स्मारक करीब 7 बीघा जमीन पर बन रहा है. जो मूर्ति बनाई गई है, उसमें लोहे और सीमेंट का प्रयोग किया गया है. मूर्ति बनाने में करीब 15 दिन का समय लगा.

पढ़ें :Kankani Black Buck Case: 'शहीद' काले हिरणों की याद में अब बनेगा स्मारक, सलमान खान पर शिकार का लगा था आरोप

'हम साथ साथ' की शूटिंग के दौरान शिकार :1998 सितंबर में सलमान खान हिंदी फिल्म हम साथ साथ हैं फिल्म की शूटिंग के लिए आए हुए थे. उस दौरान हुए शिकार के मामलों का आरोप (Salman Khan Black Buck Poaching Case) सलमान खान पर लगा था. सलमान पर आरोप था कि जोधपुर के घोड़ा फार्म हाउस और भवाद गांव में 27-28 सितंबर व 1 अक्टूबर 1998 की रात को कांकाणी में दो कृष्ण मृग का शिकार किया था. जिसके बाद सलमान खान को गिरफ्तार भी होना पड़ा था. इस प्रकरण में सलमान खान को ही 5 साल की सजा हुई, बाकी सब बरी हो गए थे. सोनाली बेंद्रे और नीलम को गवाह बरसों बाद पहचान नहीं पाए थे, इसलिए इस मामले में उनको भी इसका फायदा हुआ.

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