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कोरोना का कहर : कहीं 'पिघल' रहा श्मशान, कहीं 'छलनी' होता कब्रिस्तान - crematorium-and-graveyard-ground-reality

कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर में मौत का आंकड़ा रोज़ नए रिकॉर्ड बना रहा है. देश के कई राज्यों और शहरों में हाल इतना खराब है कि श्मशान पिघलने को मजबूर है और कब्रिस्तान का सीना रोज छलनी-छलनी हो रहा है.

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Published : Apr 21, 2021, 5:03 AM IST

हैदराबाद : देश में कोरोना की दूसरी लहर चल रही है. इस दौरान मौत जिस तरह का तांडव कर रही है और इसकी भयावह तस्वीर श्मशान से लेकर कब्रिस्तान तक पसरी हुई है. इस तरह के दुख भरे दृश्य के बारे में शायद ही किसी ने कभी सोचा होगा. यहां तक कि पिछले साल कोरोना संक्रमण के दौरान भी ऐसी दिल दहला देने वाली तस्वीर नहीं दिखी थी. यहां पहुंच रहे ज्यादातर शव कोविड संक्रमित हैं या नहीं इस पर भी सवाल उठ रहे हैं. श्मशान में जल रही चिताओं के कारण कई लोग कोविड से मृतकों के सरकारी आंकड़ों पर भी सवाल उठा रहे हैं. इस पर ईटीवी भारत ने भी एक ग्राउंड रिपोर्ट पेश की थी. लेकिन आज आपको श्मशान और कब्रिस्तान के उन पहलुओं से रू-ब-रू करवाएंगे जहां इन दिनों मौत के बाद भी इंसान को सुकून नसीब नहीं मिल रहा.

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1) गुजरात में 'पिघल रहे श्मशान'

i) पिघल रही श्मशान की भट्टियां

सूरत में श्मशान की चिमनियां

कोरोना की दूसरी लहर के दौरान गुजरात में भी नए केस और मौत के आंकड़े लगातार बढ़ते जा रहे हैं. सूरत गुजरात के सबसे ज्यादा प्रभावित शहरों में शामिल है. यहां के श्मशानों से दिल दहलाने वाली तस्वीरें सामने आई हैं. ऐसा लग रहा है कि यहां के श्मशान घाटों में चिताओं के जलने का सिलसिला मानो थम ही नहीं रहा. आलम ये है कि श्मशान की भट्टियां 24 घंटे जल रही है जिसके कारण चिता जलाने के लिए बनी धातु की भट्टियां और चिमनियां पिघलने लगी है. सूरत के कुरुक्षेत्र शव दाह गृह में गैस से चलने वाली 6 भट्टियां हैं जो इन दिनों 24 घंटे जल रही है. श्मशान प्रबंधन के मुताबिक पिछले साल करीब 20 शवों का दाह संस्कार यहां होता था लेकिन इस बार ये आंकड़ा 5 गुना हो गया है. जिसके कारण श्मशान की भट्टियां 24 घंटे जल रही हैं, नतीजतन कुछ भट्टियों में मरम्मत की जरूरत आ जाती है. श्मशान प्रबंधन के मुताबिक अगर 2 भट्टियों में मरम्मत की जरूरत होती है तो सारा भार इन दिनों बाकी बची 4 भट्टियों पर पड़ता है जिससे उन्हें भी मरम्मत की जरूरत होने लगती है. शव के दाह संस्कार के लिए इन भट्टियों का तापमान करीब 600 डिग्री तक ले जाना पड़ता है. ये भट्टियां और चिमनियां इस तापमान को सहने के लिए बनाई गई है लेकिन इन दिनों 24 घंटे शवों का दाह संस्कार ये भट्टियां और चिमनियां भी नहीं झेल पा रही

वडोदरा में अस्थियां लेने नहीं आ रहे परिजन

ii) यहां जेसीबी खोद रही है कब्र

सूरत के कब्रिस्तानों की हालत श्मशानों से जुदा नहीं है. यहां भी आम दिनों के मुकाबले 5 गुना शवों को सुपुर्द-ए-खाक किया जा रहा है. आलम ये है कि मजदूरों की जगह अब जेसीबी से कब्रों की खुदाई हो रही है. दरअसल मजदूरों को एक कब्र खोदने में 2 से 3 घंटे का वक्त लगता है लेकिन इन दिनों कब्रिस्तान में दफन होने के लिए शवों के आने का सिलसिला लगातार जारी है. आम दिनों के मुकाबले 4 से 5 गुना शव पहुंचने से कब्रिस्तान में कब्र खोदने वाले मजदूरों की हिम्मत भी जवाब दे गई है. जिसके चलते जेसीबी की मदद ली जा रही है. कब्रिस्तान की हालत देखकर लगता है कि सूरत में इन दिनों मौत का तांडव हो रहा है. यही वजह है कि कब्रिस्तान में जेसीबी की मदद से एडवांस में ही कब्रें खोदी जा रही हैं. सूरत में मोराभागल कब्रिस्तान में 25 कब्रों की खुदाई पहले से की गई है. इनके पूरा होने पर 25 कब्रों की फिर से खुदाई की जाती है. सामान्य शवों को 6 फीट की कब्र में दफनाया जाता है लेकिन कोरोना के संक्रमित शव को दस फीट की कब्र में दफनाया जाता है.

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iii) अपनों के इंतज़ार में अस्थियां

श्मशान घाट में जैसे तैसे शवों का अंतिम संस्कार तो हो रहा है लेकिन अंतिम संस्कार के बाद लोग अपने परिजनों की अस्थियां लेने नहीं पहुंच रहे. वडोदरा के खेजड़ी श्मशान घाट में अस्थियों की पोटलियां रखी हुई हैं. कोरोना संक्रमण के बाद पहले मरीज और मौत के बाद शव से परिजन दूरी बनाकर रखते हैं. अंतिम संस्कार में भी ज्यादातर मुक्तिधाम या प्रशासन के लोग शामिल होते हैं. ऐसे में जब अस्थियां लेने भी लोग नहीं पहुंच रहे तो मुक्तिधाम में अस्थियों का ढेर लग गया है. लोग अस्थियां लेने नहीं आते तो मुक्तिधाम के लोग इन्हें इकट्ठा करके रख देते हैं. परिजनों के ना आने पर किसी संस्था या स्थानीय प्रशासन की मदद से इन अस्थियों का विसर्जन होता है.

वडोदरा के श्मशान घाट में अस्थियों की पोटली

2) मध्य प्रदेश में 'मौत का तांडव'

i) अंतिम संस्कार हुआ महंगा

भोपाल के श्मशान में जलती चिताएं

मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में कोरोना कहर बरपा रहा है. भोपाल के श्मशान और कब्रिस्तान में रोजाना कई शवों का अंतिम संस्कार हो रहा है. यहां कोरोना से मौत के बाद मृत देह का अंतिम सफर भी महंगा हो गया है. कोरोना में कोविड के मौत के बाद शव के अंतिम संस्कार के लिए 3500 रुपये लिए जा रहे हैं जबकि मौत का अन्य कारण होने पर शव का अंतिम संस्कार 3100 रुपये में हो रहा है. भोपाल के भदभदा विश्राम गृह में रोज 60 से 70 शवों का अंतिम संस्कार हो रहा है इनमें से ज्यादातर अंतिम संस्कार कोविड प्रोटोकॉल के तहत हो रहे हैं. कब्रिस्तान में भी यही हाल है जहां कब्र खोदने वालों के हाथों में छाले पड़ गए हैं. यहां रोजाना 10 से 12 शवो को दफनाया जा रहा है. कब्र खोदने के काम में लगे मजदूरों के हाथों में छाले पड़ गए हैं. आलम ये है कि कब्र खोदने का काम जेसीबी से हो रहा है और एडवांस में कब्रें खोदी जा रही है.

ii) अधजले शवों को नोच रहे पशु-पक्षी

मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा में भी कोरोना संक्रमण के मामले बढ़ते जा रहे हैं. संक्रमण का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि जिले में ही बीते हफ्ते तक 450 से ज्यादा कंटेनमेंट जोन घोषित कर दिए गए थे. इसी बीच यहां के एक श्मशान घाट में अधजले शवों को पशु पक्षी नोचते नजर आए. इन तस्वीरों ने मोक्षधाम प्रबंधन पर कई सवाल उठाए हैं. ये तस्वीरें बता रही है कि कोरोना संक्रमण काल के मौजूदा दौर में मौत के बाद भी त्रासदी का दौर जारी है.

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iii) अंतिम संस्कार के लिए टोकन

मध्य प्रदेश के ही इंदौर में कोरोना से मौत के बाद दाह संस्कार के लिए टोकन सिस्टम शुरू कर दिया गया है. इंदौर के पंचकुइया मुक्तिधाम में एक साथ कई शवों का अंतिम संस्कार हो रहा है. जिसे देखते हुए मुक्तिधाम प्रबंधन ने टोकन सिस्टम शुरू कर दिया है. जिसके तहत मृतक के परिजन सबसे पहले प्रबंधन से संपर्क करते हैं और फिर उनके दिए गए वक्त पर दाह संस्कार के लिए मुक्तिधाम पहुंचते हैं.

इंदौर में अंतिम संस्कार के लिए टोकन

iv) दाह संस्कार के लिए रिश्वत

ग्वालियर में नगर निगम कर्मचारियों द्वारा कोरोना संक्रमित का दाह संस्कार करने के लिए रिश्वत मांगने का मामले सामने आया है. जबकि नगर निगम की ओर से यह सुविधा बिल्कुल निशुल्क है. पीड़ित परिजनों के मुताबिक श्मशान घाट पर मौजूद एक सफाईकर्मी ने उनसे पहले 8000 रुपये की मांग की. मोलभाव करते हुए वो 6000 और फिर 4000 रुपये की मांग करने लगा. मामला सामने आने के बाद जिला प्रशासन की तरफ से श्मशान घाट पर ही हेल्प डेस्क बनाने के निर्देश दिए गए हैं. ताकि इस तरह के मामलों पर नकेल कसी जा सके.

v) छोटे पड़ गए श्मशान घाट

मध्य प्रदेश के विदिशा जिले में भी कोरोना से मौत के मामले लगातार बढ़ रहे हैं. जिनके अंतिम संस्कार के लिए श्मशान घाट छोटे पड़ रहे हैं. जिसके चलते अंतिम संस्कार खुली जगह में भी किया जा रहा है. जिसके बाद जिला प्रशासन की तरफ से 10 नए अस्थाई शव दाह स्थल बनाने की प्रक्रिया शुरू कर दी है. इसके अल्वा शहर में भी 3 अलग-अलग स्थानों पर भी अस्थाई शव दाह स्थल बनाए जाएंगे.

विदिशा में बन रहे अस्थाई शव दाह स्थल

vi) श्मशान में रिश्ते भी हुए खाक

कोरोना संक्रमण के इस दौर में परिवारों को अपने परिजन का अंतिम संस्कार करना तक नसीब नहीं हो रहा है. परिवार के किसी सदस्य के कोरोना संक्रमित होने पर संक्रमण के डर से बाकी सदस्य अस्पताल जाने को तैयार नहीं हैं या उनसे दूरी बना रहे हैं. वहीं इंदौर में बच्चे अंतिम संस्कार के दौरान अपने माता-पिता के शवों से गहने उतारकर रख रहे हैं. इंदौर के रामबाग मुक्तिधाम में कोरोना काल के दौरान कई शवों के ना तो अंतिम संस्कार में और ना ही अस्थियां लेने कोई परिजन आया लेकिन शव से गहने निकालने के लिए पहुंच रहे परिजन रिश्तों के साथ-साथ इंसानियत को भी शर्मशार कर रहे हैं.

3) छत्तीसगढ़

छत्तीसगढ़ की स्थिति

i) कचरे की गाड़ी में शव

छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव में कोरोना मरीज की मौत के बाद उसके शव को कचरा उठने वाली गाड़ी में ही मुक्तिधाम ले जाया गया. मामला नगर पंचायत डोंगरगांव का है जहां कोविड सेंटर में इलाज के दौरान दम तोड़ने वाले मरीज के शव को नगर पंचायत के कर्मचारी कचरा उठाने वाली गाड़ी में ही अंतिम संस्कार के लिए ले गए. इस पूरे मामले पर नगर पंचायत और स्वास्थ्य विभाग अपनी-अपनी दलीलें दे रहे हैं. स्वास्थ्य विभाग इसके लिए नगर पंचायत को जिम्मेदार ठहरा रहा है तो नगर पंचायत के पास अपना शव वाहन ही नहीं है जिसके कारण कचरा उठाने वाली गाड़ी से ही शव को श्मशान पहुंचाया गया.

ii) श्मशान में लगा लकड़ियों का ढेर

छत्तीसगढ़ में कोरोना की दूसरी लहर सबसे ज्यादा कहर दुर्ग जिले पर पड़ा है. मौत के बढ़ते आंकड़ों की गवाही यहां के श्मशान घाट दे रहे हैं. दुर्ग जिले के मुक्तिधामों में इन दिनों 50 से ज्यादा लाशें जल रही है. जिसे देखते हुए मुक्तिधाम की तरफ से लकड़ी का बंदोबस्त किया गया है और मुक्तिधामों के बाहर लकड़ी के ढेर नजर आ रहे हैं. 20 से 30 फुट ऊंचे लकड़ी के ढेर यहां की भयावह स्थिति की गवाही देते हैं. रोज इतने अंतिम संस्कारों को देखते हुए मुक्तिधामों में एडवांस में ही चिताएं तैयार की गई है. कोरोना संक्रमित के शव को उठाने से लेकर जलाने तक के लिए मुक्तिधामों में पैसों की डिमांड की जा रही है.

दुर्ग में कूड़ा उठाने वाली गाड़ी में ले गए शव

कुल मिलाकर कोरोना संकट काल में श्मशान से लेकर कब्रिस्तान तक मौत का तांडव नजर आ रहा है. लेकिन इस तांडव के बीच कहीं इंसानियत मर रही है तो कहीं रिश्ते दम तोड़ रहे हैं. कहीं कोरोना का खौफ और कही प्रशासन की लापरवाही मौत के बाद के सफर को और तकलीफदेह बना रही है.

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