नई दिल्ली :एसोसिएशन ऑफ हेल्थ केयर प्रोवाइडर्स (इंडिया) के महानिदेशक डॉ. गिरिधर ज्ञानी ने कहा कि केंद्र सरकार ने सभी निजी अस्पतालों को कोविड टीकाकरण केंद्र (सीवीसी) के रूप में संचालित करने की अनुमति दी है. संबंधित राज्य सरकारों द्वारा ऐसे अस्पताल का कम उपयोग करना ही पूरे भारत में टीकाकरण के धीमा होने का बड़ा कारण लगता है.
डॉ. ज्ञानी ने कहा कि सरकारी और निजी क्षेत्र के बीच विश्वास की कमी, टीकाकरण के लिए निजी सुविधाओं के उपयोग की इतनी खराब भागीदारी का एक प्रमुख कारण है. उन्होंने दावा किया कि भारत के प्रमुख महानगर निजी अस्पतालों का कम उपयोग कर रहे हैं.
मुंबई नगर निगम ने हाल ही में 59 निजी अस्पतालों को सीवीसी के रूप में संचालित करने के लिए अधिकृत किया है. इसी तरह, कोलकाता, हैदराबाद, बेंगलुरु और चेन्नई जैसे महानगरों ने 10, 57, 20 और 65 निजी अस्पतालों को सीवीसी के रूप में इस्तेमाल किया.
डॉ. ज्ञानी ने कहा कि इन सभी महानगरों में 500 से अधिक निजी अस्पताल हैं. वास्तव में मुंबई और दिल्ली में 900 से अधिक निजी अस्पताल और नर्सिंग होम हैं. उन्होंने कहा कि अपवाद होने के नाते दिल्ली में सरकार के 56 अस्पतालों के साथ ही 125 निजी अस्पतालों की सेवा का उपयोग हो रहा है.
प्रारंभ में केंद्र सरकार ने केंद्रीय सरकारी स्वास्थ्य सेवा योजना (CGHS), आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (AB-PM JAY) और राज्य स्वास्थ्य बीमा योजनाओं के तहत सूचीबद्ध निजी अस्पतालों को कोविड टीकाकरण केंद्र के रूप में अनुमति दी थी.
इसके बाद सभी निजी अस्पतालों को पर्याप्त संख्या में टीकाकरण, टीकाकरण के लिए पर्याप्त स्थान और पर्याप्त कोल्ड चेन व्यवस्था के प्रबंधन के लिए पर्याप्त व्यवस्था करने की अनुमति दी है. स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़े बताते हैं कि उत्तराखंड, हरियाणा, मध्य प्रदेश, तमिलनाडु, कर्नाटक, महाराष्ट्र और गोवा में निजी अस्पतालों में केवल 16.53 प्रतिशत टीकाकरण हुआ.
डॉ. ज्ञानी ने आरोप लगाया कि निजी अस्पताल टीकाकरण में शामिल नहीं हो रहे हैं. उन्होंने कहा कि सरकार को टीकाकरण के लिए बड़ी संख्या में अस्पतालों की अनुमति देनी चाहिए. इसके अलावा खुले बाजार की रणनीति के माध्यम से 16 वर्ष से अधिक आयु के सभी लोगों को टीकाकरण की अनुमति दी जानी चाहिए.