नई दिल्ली : राज्यसभा ने मंगलवार को बहु राज्य सहकारी समिति संशोधन विधेयक 2022 को मंजूरी दे दी. बहु राज्य सहकारी समिति अधिनियम 2002 में संशोधन के प्रावधान वाले इस विधेयक का उद्देश्य सहकारी समितियों के कामकाज को बेहतर, ज्यादा पारदर्शी और जवाबदेह बनाना तथा उनकी चुनाव प्रक्रिया में सुधार लाना है. इस विधेयक को लोकसभा ने गत सप्ताह मंजूरी दी थी.
मणिपुर मुद्दे को लेकर विपक्षी दलों के बहिर्गमन के बीच राज्यसभा में विधेयक पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए सहकारिता राज्यमंत्री बी एल वर्मा ने कहा कि इस विधेयक के कानून बन जाने से सहकारिता क्षेत्र को बहुत लाभ होगा और इसमें जो खामियां हैं, वे दूर होंगी. उन्होंने कहा कि सहकारिता को लेकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की जो दूरदृष्टि है, इस विधेयक के पारित होने के बाद वह उस दिशा में आगे बढ़ेगी. उन्होंने कहा कि सहकारिता से समृद्धि की परिकल्पना को यह विधेयक साकार करने वाली है और सहकारिता आंदोलन जमीनी स्तर तक पहुंचेगी.
वर्मा ने कहा कि इससे सहकारिता के क्षेत्र में व्याप्त भाई-भतीजावाद समाप्त होगा, भ्रष्टाचार पर अंकुश लगेगा और चुनाव प्रक्रिया में पारदर्शिता आएगी. केंद्रीय मंत्री ने कहा कि भारत ने 2025 तक अपनी अर्थव्यवस्था को 5000 अरब डॉलर की बनाने का लक्ष्य रखा है और यह बगैर सहकारिता क्षेत्र के संभव नहीं है. उन्होंने कहा कि सहकारिता के क्षेत्र में रोजगार के अवसर भी हैं तथा इसमें करोड़ों लोगों को काम मिल सकता है.
विधेयक पर चर्चा में भाग लेते हुए बीजू जनता दल के निरंजन बिशी ने कहा कि सहकारी संगठन जमीनी स्तर पर किसानों को ऋण सुविधा प्रदान करने के लिए बनाये जाते हैं. उन्होंने कहा कि इस विधेयक में कानून का उल्लंघन करने वाली सहकारी समितियों को दंडित करने का भी प्रावधान किया गया है. उन्होंने सुझाव दिया कि इस विधेयक को सदन से पारित किये जाने से पहले संबंधित पक्षों की सभी चिंताओं का निराकरण किया जाना चाहिए.
विधेयक पर चर्चा के दौरान विपक्षी दलों के सदस्य मणिपुर मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के बयान की मांग को लेकर नारेबाजी करते रहे और बाद में उन्होंने सदन से बहिर्गमन किया. वाईएसआर कांग्रेस पार्टी के एस निरंजन रेड्डी ने कहा कि कुछ सदस्यों ने इस बात पर चिंता जतायी है कि इस विधेयक के प्रावधानों से राज्यों के अधिकारों का हनन होता है. उन्होंने विधेयक का समर्थन करते हुए कहा कि इसमें सहकारी समिति में अनुसूचित जाति एवं जनजाति के सदस्यों को अनिवार्य रूप से शामिल करने का प्रावधान है.
भाजपा के अनिल सुखदेवराव बोंडे ने सहकारी संस्थाओं में अधिक से अधिक किसानों, मजदूरों, ग्रामीणों को शामिल किए जाने की आवश्यकता पर बल दिया. उन्होंने कहा कि सहकारिता मंत्री अमित शाह ने इस विधेयक में सहकारी संस्थाओं में अधिक से अधिक लोगों को शामिल करने के प्रावधान बनाये हैं. उन्होंने कहा कि बहु राज्यीय संस्थाओं का नियमन होना आवश्यक है. उन्होंने कहा कि देखने में आता है कि कुछ सहकारी संस्थाओं पर कुछ खास परिवारों का कब्जा हो जाता है. उन्होंने कहा कि ऐसी संस्थाओं में वर्षों तक चुनाव नहीं करवाये जाते और ऐसी स्थितियों को देखते हुए इन संस्थाओं को नियमन के दायरे में लाने की आवश्यकता है.