सुरंग में बार-बार गिर रहा मलबा. उत्तरकाशी (उत्तराखंड):उत्तरकाशी सिलक्यारा टनल हादसे में फंसे 40 मजदूरों को निकालने का सिलसिला जारी है. धीरे-धीरे काम अब अंतिम चरण पर पहुंच रहा है. लेकिन इस बीच एक चिंताजनक खबर सामने आई है. मंगलवार को सुरंग के अंदर काम कर रहे मजदूरों पर मलबा गिर गया. मलबा तब गिरा जब टनल के अंदर ट्रेल फिट किया जा रहा था. हादसे में दो मजदूर चोटिल हो गए. चोटिल मजदूरों का कहना है कि तंग सुरंग के अंदर भारी भीड़ होने के कारण काम करने में दिक्कतें आ रही हैं. फिलहाल दोनों मजदूर का अस्पताल में उपचार चल रहा है.
मलबा गिरने से मची भगदड़ में घायल हुआ मजदूर. उत्तरकाशी सिलक्यारा टनल हादसे के तीसरे दिन टेक्निकल टीम द्वारा टनल में फंसे 40 मजदूरों को बाहर निकालने के लिए पहले ट्रेल बिछा कर ऑगर मशीन के जरिए लोहे के मोटे पाइप डालने की काम किया. ताकि टनल में फंसे सभी मजदूरों को सुरक्षित बाहर निकाला जा सके. 10 मजदूर ट्रेल करने का काम कर रहे हैं. शाम करीब पौने पांच बजे अचानक भारी मात्रा में मलबा गिरा. जिससे बचने के लिए मजदूर बाहर की तरफ भागे. भगदड़ में युसूफ अली और सहीदू रामा चोटिल हो गए. दोनों को तत्काल टनल के समीप स्थापित किए गए अस्थाई अस्पताल पहुंचाया गया. जहां दोनों को प्राथमिक उपचार दिया गया.
घायल मजदूर को अस्पताल में कराया गया भर्ती. तमाशबीन के रूप में मौजदू लोग बन रहे बाधा: बताया जा रहा है कि सुरंग में काम तो 10 से 15 ही लोग कर रहे हैं. जिनमें मजदूर व तकनीकी स्टाफ शामिल है. लेकिन वहां तमाशबीन के रूप मौजूद अन्य विभागों के लोग सुरंग के तंग हिस्से में रहकर कार्य में बाधा उत्पन्न कर रहे हैं. यही वजह है कि बार-बार मलबा गिरने के बाद भगदड़ जैसी स्थिति पैदा हो रही है. इस घटना के बाद अब मिट्टी हटाना का कार्य कर रहे लोगों और मशीन ऑपरेटरों को चौकन्ना होकर काम करने के निर्देश दिए गए हैं.
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बार-बार गिर रहा मलबा, दो मजदूर चोटिल:जिला प्रशासन के मुताबिक यदि प्लान बी सफल रहा तो अभी भी टनल में फंसे मजदूरों को निकालने में 40 से 50 घंटे का समय लग सकता. राहत की बात यह है कि फिलहाल तीन दिन से टनल में फंसे सभी 40 मजदूर सुरक्षित हैं. बताया जा रहा है कि जिस जगह पर यह टनल धंसी है उसे जगह के छोर पर मिट्टी हटाने का काम लगातार तेजी से चल रहा है. लेकिन इसी बीच ऊपर से फ्रेश मलबा आने की वजह से सभी की चिंताएं और बढ़ गई है. अगर ऐसा होता रहा तो रेस्क्यू में और समय लग सकता है. इतना ही नहीं, घटनास्थल पर मौजूद तमाम वैज्ञानिकों की भी सलाह इस मामले में ली जा रही है. ताकि किसी भी परिस्थिति से निपटा जा सके.
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