नई दिल्ली : तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एवं द्रमुक प्रमुख एमके स्टालिन ने गुरुवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की. इस दौरान उन्होंने श्रीलंका में जारी आर्थिक संकट के बीच राज्य सरकार द्वारा वहां रह रहे तमिलों को मानवीय सहायता मुहैया कराने के लिए केंद्र की अनुमति मांगी. स्टालिन ने मोदी के साथ अपनी मुलाकात के दौरान विभिन्न मुद्दों को लेकर उन्हें एक विस्तृत ज्ञापन सौंपा, जिसमें द्वीपीय देश में आर्थिक संकट से जुड़े मुद्दे भी शामिल थे.
श्रीलंकाई तमिलों द्वारा झेली जा रही मुश्किलों का जिक्र करते हुए स्टालिन ने कहा कि इनमें से कई तमिलनाडु की 'दूभर यात्रा' पर निकल पड़े, क्योंकि द्वीपीय देश में जरूरी वस्तुओं की कीमतें उनकी पहुंच के बाहर हो गई हैं और वे राज्य में एक ट्रांजिट शिविर में रह रहे हैं. ज्ञापन में इस बात का जिक्र किया गया है कि श्रीलंका में गहराते आर्थिक संकट के बीच राज्य में वहां से और लोग भी आ सकते हैं.
ज्ञापन में कहा गया है कि इस पड़ाव पर तमिलनाडु सरकार एक जीवनरक्षक उपाय के तौर पर गंभीर खाद्य संकट से जूझ रहे श्रीलंका के उत्तरी और पूर्वी भाग में रह रहे तमिलों तथा वहां के बागानों में काम करने वाले मजदूरों को जरूरी वस्तुएं व जीवनरक्षक दवाएं उपलब्ध कराने की इच्छुक है. ज्ञापन के मुताबिक, तमिलनाडु सरकार श्रीलंकाई महिलाओं व बच्चों सहित अन्य संवेदनशील समूहों की मदद करने की भी इच्छुक है. इसमें कहा गया है, 'परोपकारी गतिविधि को अंजाम देने के लिए केंद्र सरकार से जरूरी अनुमति प्रदान करने का अनुरोध किया जाता है.'
मोदी के सामने तमिलनाडु के मछुआरों से संबंधित मुद्दे उठाते हुए स्टालिन ने केंद्र से भारत और श्रीलंका के बीच मछुआरों के स्तर की वार्ता की व्यवस्था करने का आग्रह किया, जो 2016 के बाद से नहीं हुई है, ताकि मछुआरों की गिरफ्तारी और उनकी नौकाओं की जब्ती की घटनाओं पर लगाम लगाई जा सके. उन्होंने कहा कि 1974 में श्रीलंका को सौंपे गए कच्चातीवू को वापस लाना और पाक खाड़ी क्षेत्र में भारतीय मछुआरों के मछली पकड़ने के पारंपरिक अधिकारों को बहाल करना इस समस्या का स्थायी समाधान सुनिश्चित करेगा.
कावेरी नदी पर कर्नाटक सरकार की मेकेदातु परियोजना को लेकर स्टालिन ने प्रधानमंत्री से जल शक्ति मंत्रालय को यह निर्देश देने का अनुरोध किया कि वह इस परियोजना या कावेरी घाटी में कर्नाटक की किसी भी नई जलाशय परियोजना को अपनी मंजूरी न दे. उन्होंने कहा कि कावेरी जल प्रबंधन प्राधिकरण को मेकेदातु परियोजना को अस्वीकार करने और तमिलनाडु की सहमति के बगैर किसी नई परियोजना का निर्माण शुरू न करने का निर्देश दिया जाना चाहिए.