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जम्मू-कश्मीर : पंचायत के सदस्यों का आरोप, 'पंचायती राज को सशक्त नहीं होने दिया जा रहा' - Jammu Kashmir administration

जम्मू-कश्मीर (Jammu Kashmir) में पंचायत व्यवस्था (Panchayat system) को मजबूत करने के लिए प्रशासन ने बार-बार पंचायत सदस्यों के लिए उच्च स्तरीय सम्मेलनों और कार्यक्रमों का आयोजन किया है. इन कार्यक्रमों में कश्मीर घाटी पंचायत (Kashmir Valley Panchayat) के सदस्य हिस्सा तो ले रहे हैं, लेकिन प्रशासन से संतुष्ट नहीं हैं.

पंचायत के सदस्यों का आरोप
पंचायत के सदस्यों का आरोप

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Published : Sep 16, 2021, 7:19 PM IST

श्रीनगर : जम्मू-कश्मीर (Jammu Kashmir) में पंचायत व्यवस्था (Panchayat system ) को मजबूत करने के लिए प्रशासन ने बार-बार पंचायत सदस्यों के लिए उच्च स्तरीय सम्मेलनों और कार्यक्रमों का आयोजन किया है.

हाल ही में जम्मू-कश्मीर प्रशासन (Jammu Kashmir administration ) ने पंचायत सदस्यों के लिए 'पंचंती राज को मजबूत करने' पर एक बड़ा कार्यक्रम आयोजित किया, जिसमें लोकसभा अध्यक्ष (Lok Sabha Speaker) ओम बिरला (Om Birla) मुख्य अतिथि थे.

दर्जनों केंद्रीय मंत्री इस समय जम्मू-कश्मीर के दौरे पर हैं, विभिन्न जिलों में पंचायत सदस्यों के साथ बैठक कर उन्हें जिला विकास कार्यक्रमों (district development programs) की जानकारी दे रहे हैं.

पंचायती राज को सशक्त नहीं होने दिया जा रहा

इन कार्यक्रमों में कश्मीर घाटी पंचायत (Kashmir Valley Panchayat) के सदस्य हिस्सा तो ले रहे हैं, लेकिन प्रशासन से संतुष्ट नहीं हैं.

उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने न तो उनकी समस्याओं का समाधान किया है और न ही अधिकारी अपने अधिकार पर उनके मामलों का निपटारा कर रहे हैं.

उन्होंने आगे कहा कि जम्मू-कश्मीर में नौकरशाह उन्हें वह अधिकार नहीं दे रहे हैं.

आपको बता दें कि जम्मू-कश्मीर में नवंबर 2018 में पंचायती चुनाव हुए थे, जिसमें राजनीतिक और सामाजिक कार्यकर्ताओं (political and social activists) ने हिस्सा लिया और निर्वाचित हुए.

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हालांकि, घाटी में प्रतिकूल परिस्थितियों के कारण कई पंचायत क्षेत्रों में चुनाव नहीं हुए और इन निर्वाचन क्षेत्रों में कोई उम्मीदवार खड़ा नहीं हुआ, लेकिन जो निर्वाचित हुए, वे प्रशासन से नाराज नजर आ रहे हैं.

पंचायत और डीडीसी चुनावों ने जहां जम्मू-कश्मीर में लोकतंत्र को मजबूत किया है और विकास कार्यों में तेजी लाई है, वहीं जम्मू-कश्मीर के निर्वाचित सदस्य प्रशासन से असंतुष्ट हैं.

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