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चंडीगढ़ में शुरू हुआ वायु सेना के दो जवानों का कोर्ट मार्शल - Court-martial begins in Chandigarh

फरवरी 2019 में हुए पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में बालाकोट हमलों के दौरान एक एमआई -17 हेलिकॉप्टर को हादसे के मामले में, चंडीगढ़ में इंडियन एयर फोर्स द्वारा 2 जनरल कोर्ट मार्शल (GCM) किया गया. इस घटना में हेलीकॉप्टर में मौजूद वायु सेना के छह जवानों की मौत हो गई थी, जिसमें दो पायलट और चालक दल के चार अन्य सदस्य शामिल थे और हेलीकॉप्टर भी बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया था.

Court-martial begins in Chandigarh
वायु सेना के दो जवानों का कोर्ट मार्शल

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Published : Feb 24, 2022, 3:57 PM IST

चंडीगढ़ः फरवरी 2019 में हुए पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में बालाकोट हमलों के दौरान एक एमआई -17 हेलिकॉप्टर हादसे के मामले में, चंडीगढ़ में इंडियन एयर फोर्स द्वारा 2 अधिकारियों पर जनरल कोर्ट मार्शल (GCM) शुरू किया (Court-martial begins in Chandigarh) गया. इस दुर्घटना में हेलीकॉप्टर में मौजूद वायु सेना के छह जवानों की मौत हो गई थी, जिसमें दो पायलट और चालक दल के चार अन्य सदस्य शामिल थे. दुर्घटना में एक आम नागरिक की भी मौत हुई थी.

जिन दो अधिकारियों पर मुकदमा चल रहा है उनमें ग्रुप कैप्टन एसआर चौधरी और विंग कमांडर श्याम नैथानी शामिल हैं. चौधरी तत्कालीन मुख्य संचालन अधिकारी और नैथानी, श्रीनगर वायु सेना स्टेशन में तत्कालीन वरिष्ठ वायु यातायात नियंत्रक थे. साल 2019 में ही यह पता चल गया था कि पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में हेलिकॉप्टर हादसा, भारतीय वायु सेना के इन दो जवानों से हुई चूक के कारण हुई थी. जांच में पाया गया कि ग्राउंड स्टाफ और हेलीकॉप्टर के चालक दल के सदस्यों के बीच संचार और समन्वय में अंतर था और इसमें मानक संचालन प्रक्रियाओं के उल्लंघन की भी सूचना मिली थी.

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घटना पर कोर्ट ऑफ इन्क्वायरी (COI) ने जांच करने का आदेश दिया था, जिसमें कई अन्य लोगों के साथ-साथ दो अधिकारियों को उनकी ओर से कथित चूक के लिए दोषी ठहराया गया था, जिसके बाद में उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की सिफारिश की गई. अधिकारी एसआर चौधरी और विंग कमांडर श्याम नैथानी दोनों ने विशेष वायु सेना नियमों के उल्लंघन के आधार पर कोर्ट ऑफ इन्क्वायरी के साथ इसके निष्कर्षों को चुनौती दी थी.

इसके बाद दलीलों पर, सैन्य अदालत ने सितंबर 2020 में अगली तारीख तक अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई पर रोक लगा दी थी. लेकिन ट्रिब्यूनल ने इस मुद्दे पर सुनवाई करते हुए, मई 2021 के अपने आदेश में कोर्ट ऑफ इन्क्वायरी को बरकरार रखा था. और तो और अधिकारियों को यह सुनिश्चित करने की सलाह दी गई थी कि प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों को बनाए रखने के लिए सभी वैधानिक उपाय किए जाएं.

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