नई दिल्ली :श्रीलंका के विदेश मंत्री जीएल पेइरिस (Sri Lankan Foreign Minister GL Peiris) भारत के दौरे पर हैं. उनकी यह यात्रा ऐसे समय हो रही है जब एक ओर द्वीप राष्ट्र गंभीर आर्थिक संकट का सामना कर रहा है वहीं, चीन इस क्षेत्र में अपनी ताकत बढ़ा रहा है. श्रीलंका को लेकर भारत और चीन के बीच रस्साकशी में नया मोड़ आ गया है.
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने ट्विटर पर कहा, ' विदेश सचिव हर्ष वी श्रृंगला ने श्रीलंका के विदेश मंत्री प्रो जीएल पेइरिस से मुलाकात की. जन-केंद्रित विकास साझेदारी सहित कई क्षेत्रों में संबंधों को मजबूत करने पर चर्चा की.'
'ईटीवी भारत' से बात करते हुए ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन (ओआरएफ) में अनुसंधान निदेशक, प्रोफेसर हर्ष वी पंत ने कहा, 'श्रीलंका में भारत की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण बनी हुई है. श्रीलंका भी यह स्वीकार कर रहा है कि चीन पर अधिक निर्भरता के कुछ अनपेक्षित परिणाम हो सकते हैं, जो श्रीलंका के लिए पूरी तरह से समस्याएं पैदा कर सकते हैं.
चीन पर 'अति-निर्भरता' श्रीलंका के के लिए हानिकारक : प्रोफेसर पंत
उन्होंने कहा कि श्रीलंका के साथ भारत के संबंध तेजी से विकसित हो रहे हैं. हम हमेशा श्रीलंका में चीनी प्रभाव को कुछ हद तक चिंता के साथ देखते हैं लेकिन श्रीलंका में भी जो हो रहा है, वह यह है कि 'चीन के आर्थिक मॉडल' पर 'अति-निर्भरता' श्रीलंका के हित के लिए हानिकारक है. चाहे वह उर्वरक विवाद हो या ज्यादा ऋण, जो श्रीलंकाई अर्थव्यवस्था को बहुत अनिश्चित समय की ओर ले जा रहा है. ऐसे में श्रीलंका को एक मजबूत और स्थिर साझेदार के रूप में भारत की जरूरत है. पिछले कुछ महीनों में भारत और श्रीलंका के बीच व्यापक विचार-विमर्श हुआ है.'
प्रो. पंत ने रेखांकित किया कि श्रीलंका ने आर्थिक सहायता मांगी है. भारत श्रीलंका को ऋण देने के लिए सहमत हो गया है, ताकि वे इस संकट से निपट सके. गौरतलब है कि भारत ने उर्वरक संकट से निपटने में भी द्वीप राष्ट्र की मदद की, जो एक समय में बहुत गंभीर मुद्दा था.
श्रीलंकाई विदेश मंत्री की यात्रा श्रीलंका सरकार द्वारा पेट्रोलियम उत्पादों की खरीद के लिए भारत के साथ 500 मिलियन डॉलर के लाइन ऑफ क्रेडिट (LOC) समझौते पर हस्ताक्षर करने के कुछ दिनों बाद हो रही है. पहली किश्त का इस्तेमाल इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन (IOC) से 80,000 टन पेट्रोल और डीजल खरीदने के लिए किया जाएगा.