पटना : कांग्रेस पार्टी हाईकमान द्वारा बिहार में कांग्रेस को मजबूत करने के लिए हर संभव प्रयास जारी हैं. पार्टी में गुटबंदी समाप्त करने के लिए पहल भी की जा रही है लेकिन हकीकत में इससे उलट ही हो रहा है. हालिया घटनाक्रम कांग्रेस शीर्ष नेतृत्व के लिए भी चुनौतीपूर्ण साबित हो सकता है क्योंकि पार्टी के ही पूर्व विधायक ने कांंग्रेस के 11 विधायकों के टूटने का दावा ठोंक दिया है. जिस पर बीजेपी के सांसद रामकृपाल सिंह ने मुहर लगा दी है.
अंदरखाने मची हलचह से सियासत गर्म
कांग्रेस के पूर्व विधायक भरत सिंह ने कांग्रेस के विधायकों के टूटने का दावा कर बिहार कांग्रेस की हकीकत बयां कर दी है. कांग्रेस नेता भरत सिंह ने दावा किया है कि पार्टी में जल्द ही बड़ी टूट होने वाली है. पार्टी के आधे से ज्यादा विधायक कांग्रेस का साथ छोड़ सकते हैं. उन्होंने दावा किया है कि पार्टी के 11 विधायक जल्द ही पार्टी छोड़ देंगे. पूर्व विधायक भरत सिंह का कहना है कि इस बार कांग्रेस के टिकट पर 19 विधायक जीते हैं लेकिन इनमें 11 विधायक ऐसे हैं जो भले ही कांग्रेस टिकट पर जीते हों लेकिन वे कांग्रेस के नहीं है. उन्होंने दावा किया कि इन लोगों ने पैसे देकर टिकट खरीदे और विधायक बन गए.
पांच कदम आगे तो छह कदम पीछे कांग्रेस
बिहार में कांग्रेस का यह हाल है कि वह पांच कदम आगे बढ़ती है तो छह कदम पीछे खिसकती नजर आती है. पार्टी ने वरिष्ठ नेता और राजयसभा सांसद शक्ति सिंह गोहिल के अनुरोध को स्वीकार करते हुए उन्हें बिहार के प्रभारी से मुक्त कर दिया. वहीं पूर्व केंद्रीय मंत्री भक्त चरण दास को बिहार का प्रभारी बनाया है. इसके बाद भी कांग्रेस के नेता पार्टी के विधायकों के टूटने का दावा कर रहे हैं, जो चाैंकाने वाला है.
महाठबंधन की हार का ठीकरा कांग्रेस पर
पिछले साल हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस महागठबंधन में शामिल होकर राज्य के 243 विधानसभा सीटों में से 70 सीटों पर चुनाव लड़ी. हालांकि उसके मात्र 19 प्रत्याशी ही विजयी हो सके. चुनाव के बाद महागठबंधन में शामिल दलों ने कांग्रेस के कारण महागठबंधन की सरकार नहीं बनने की बात कही थी. भाकपा माले नेता दीपांकर भट्टाचार्य ने कहा कि महागठबंधन में सीटों का बंटवारा यथार्थवादी होना चाहिए था. उन्होंने यहां तक कहा कि कांग्रेस के कारण ही बिहार में महागठबंधन की सरकार नहीं बन सकी.
पैसे देकर टिकट देने का आरोप लगा
चुनाव के दौरान ही कांग्रेस में गुटबंदी दिखाई देने लगी थी. चुनाव परिणाम के बाद कांग्रेस में गुटबंदी धरातल पर पहुंच गई जब कांग्रेस के कार्यकर्ता कार्यालय तक पहुंचकर प्रदर्शन करने लगे. कई नेताओं ने तो खुले तौर पर राज्य के वरिष्ठ नेताओं पर पैसे लेकर टिकट देने का भी आरोप लगाया. कांग्रेस नेता भरत सिंह कहते हैं कि राजग अपने संख्या बल को बढ़ाना चाहता है. ऐसे में वे कांग्रेस विधायकों के संपर्क में है. हालांकि कांग्रेस के कई नेता इसे नकार रहे हैं. राज्यसभा सांसद अखिलेश सिंह कहते हैं कि पार्टी पूरी तरह एकजुट है. उन्होंने कहा ऐसे लोगों के बयान का कोई मतलब नहीं है.