पालमपुर : तकरीबन 20 साल पहले भारत ने पाकिस्तान को कारगिल की जंग में धूल चटाई थी. कारगिल का यह युद्ध भारतीय सेना के अदम्य साहस और बेजोड़ युद्ध कौशल का नायाब नमूना था. जिसकी चर्चा समूचे विश्व में हुई थी. कई रणबांकुरों ने देश की रक्षा के लिए अपनी जान कुर्बान की. इन्हीं वीरों में वीरभूमि हिमाचल के शेर कारगिल हीरो कैप्टन विक्रम बत्रा भी शामिल थे.
कैप्टन बत्रा ने कारगिल के पांच बेहद महत्वपूर्ण प्वाइंट्स पर तिरंगा लहराने में अहम भूमिका निभाई थी. उनके पिता गिरधारी लाल बत्रा बताते हैं कि युद्ध के दौरान कैप्टन बत्रा के साथी नवीन नागपा के पास एक ग्रेनेड आकर गिरा, जिसकी वजह से नवीन बुरी तरह घायल हो गए. विक्रम ने सूबेदार रघुनाथ को आवाज लगाई और कहा कि नवीन घायल हो गया है, उसे वहां से लाना होगा. सूबेदार रघुनाथ ने कहां मैं नवीन को लेकर आता हूं. विक्रम बत्रा कंपनी के कमांडर थे, उन्होंने रघुनाथ से कहा आप रुकिये मैं नवीन को लेने जाऊंगा.
कई पाक सैनिकों को मौत के घाट उतारा
नवीन को पोस्ट पर लाने के बाद वे खुद ही दुश्मनों से मोर्चा लेने के लिए आगे बढ़ गए. इसी बीच करीब 17 हजार फीट की ऊंचाई पर प्वाइंट 4875 को फतह करने के दौरान कई पाक सैनिकों को मौत के घाट उतारा, लेकिन इसी दौरान छिप कर बैठे घुसपैठिए ने विक्रम बत्रा की छाती पर गोली मार दी. ये वो वक्त जब उनके मुंह से आखिरी बार भारत माता की जय निकला था. 7 जुलाई 1999 को भारत माता का ये वीर सपूत अपने प्राणों को न्योछावर कर अमर हो गया.
गिरधारी लाल बत्रा बताते हैं कि बेटे की शहादत के बाद सुबेदार रघुनाथ की पत्नी परिवार से मिलने आई थीं. उन्होंने विक्रम की माता के पैर छूकर कहा था कि आपके बेटे ने मेरे सुहाग को बचाया है, मैं आपके बेटे के कर्मों का कर्ज कैसे चुकाऊंगी.