नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने कहा है कि विशेष अदालतों के पास अवैध खनन और खनिजों के अवैध परिवहन जैसे अपराधों के लिए खान और खनिज (विकास एवं नियमन) अधिनियम (एमएमडीआरए) के तहत संज्ञान लेने और दंड प्रक्रिया संहिता के तहत अनुमत होने पर अन्य अपराधों के आरोपियों पर संयुक्त मुकदमा चलाने का अधिकार है.
एमएमडीआर अधिनियम के तहत अपराधों का संज्ञान लेने के लिए एक विशेष अदालत की शक्तियों से संबंधित कई कानूनी मुद्दों पर निष्कर्ष एक निर्णय में प्रस्तुत किया गया है जिसके माध्यम से शीर्ष अदालत ने कर्नाटक उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ दायर अपील को खारिज कर दिया.
उच्च न्यायालय ने वन विभाग और खान एवं भूविज्ञान विभाग की अनुमति के बिना लौह अयस्क के परिवहन और निर्यात के आरोपी कुछ व्यक्तियों के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही को रद्द करने से इनकार कर दिया था.
न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति विक्रमनाथ और न्यायमूर्ति बीवी नागरत्ना की पीठ ने केनरा ओवरसीज लिमिटेड के प्रबंध निदेशक प्रदीप एस वोडेयार और उक्त कंपनी के निदेशक लक्ष्मीनारायण गुब्बा तथा अन्य द्वारा उठाई गई विभिन्न कानूनी आपत्तियों पर विचार किया, जिनके खिलाफ विशेष अदालत द्वारा अपराध संबंधी संज्ञान लिया गया था.