नई दिल्ली: ऐसा लगता है कि सोनिया गांधी ने कांग्रेस अध्यक्ष पद के चुनावों में चतुराई से जी23 को बेअसर कर दिया. जी23 कांग्रेस के असंतुष्ट वरिष्ठ नेताओं का एक समूह है जिसने 2020 में सभी पदों के लिए आंतरिक पार्टी चुनाव कराने का आग्रह किया था. शुक्रवार को हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपिंदर सिंह हुड्डा ने ईटीवी भारत को कहा कि जो मुद्दा हमने सोनिया जी के सामने मांग के तौर पर रखा था, उसका समाधान किया जा रहा है. मल्लिकार्जुन खड़गे जी एक अनुभवी नेता हैं और हम सभी उनका समर्थन कर रहे हैं. King of Cong
हुड्डा, जी23 सदस्यों जिनमें आनंद शर्मा, पृथ्वीराज चव्हाण और मनीष तिवारी व अन्य नेता शामिल हैं एक प्रमुख नेता हैं. इन नेताओं ने अगस्त 2020 में अंतरिम कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को एक पत्र लिखा था, जिसमें मांग की गई थी कि पार्टी के सभी पदों के लिए आंतरिक चुनाव जल्द से जल्द कराए जाएं ताकि पार्टी को एक पूर्णकालिक अध्यक्ष मिल सके. जो भविष्य की चुनौतियों से निपटने के लिए पार्टी को बेहतर तरीके से तैयार कर सके.
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बताया जा रहा है कि कांग्रेस अध्यक्ष अध्यक्ष पद के लिए चुनाव 2021 में ही हो जाने चाहिए थे. लेकिन कोरोना महामारी के कारण यह नहीं हो सका. आंतरिक चुनावों के कार्यक्रम को पिछले साल अक्टूबर में अंतिम रूप दिया गया था. पार्टी को सितंबर में एक नया अध्यक्ष मिल जाता लेकिन चुनाव प्रक्रिया को अक्टूबर में स्थानांतरित कर दिया गया. पार्टी के अंदरूनी सूत्रों के अनुसार, G23 के सदस्यों आनंद शर्मा, मनीष तिवारी और शशि थरूर ने राष्ट्रपति चुनाव में मतदान करने वाले 9000 से अधिक पीसीसी प्रतिनिधियों की सूची नामांकन से पहले प्रकाशित करने की मांग करके दबाव बनाने की कोशिश की थी.
पार्टी द्वारा उनकी मांग को अस्वीकार करने के बाद, G23 सक्रिय रूप से अपनी ओर से एक उम्मीदवार को मैदान में उतारने पर विचार कर रहा था. ऐसा तब हुआ था जब शशि थरूर ने अध्यक्ष पद के लिए चुनाव लड़ने के अपने इरादे स्पष्ट कर दिये थे. राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के रेस से बाहर होने और दिग्विजय सिंह के चुनाव लड़ने की संभावनाओं के बाद G23 समूह फिर से सक्रिय हो गया. शर्मा, तिवारी और चव्हाण ने शुक्रवार को पूरे घटनाक्रम की समीक्षा की.
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सूत्रों के अनुसार, मनीष तिवारी को थरूर के खिलाफ चुनाव लड़ने के लिए मनाने की कोशिश की जा रही थी. लेकिन पंजाब से इस लोकसभा सांसद ने यह कहते हुए मना कर दिया कि अभियान शुरू करने में बहुत देर हो चुकी है. बीएस हुड्डा से भी इस संबंध में बात की गई लेकिन वह भी इसके लिए तैयार नहीं हुए. शुक्रवार की सुबह, जैसे ही मल्लिकार्जुन खड़गे चुनाव लड़ने के लिए तैयार हो गये. दिग्विजय सिंह ने कर्नाटक के नेता के पक्ष में अपनी वापसी की घोषणा की.
जी23 ने भी पार्टी के मूड को भांप लिया और मल्लिकार्जुन खड़गे को समर्थन देने का फैसला किया. भूपिंदर सिंह हुड्डा, आनंद शर्मा, मनीष तिवारी और पृथ्वीराज चव्हाण मल्लिकार्जुन खड़गे के साथ एकजुटता व्यक्त करने के लिए एआईसीसी मुख्यालय पहुंचे. मीडिया में चर्चा है कि मल्लिकार्जुन खड़गे सीधे तौर पर सोनिया गांधी के उम्मीदवार हैं. गुलाम नबी आजाद, जिन्होंने 2020 से G23 का नेतृत्व किया था, पहले ही पार्टी छोड़ चुके हैं. और अब गृह राज्य जम्मू और कश्मीर में अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं को पूरा कर रहे हैं.
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जी23 के बारे में पूछे जाने पर थरूर ने कहा कि यह समूह कभी औपचारिक रूप से अस्तित्व में नहीं था. इसके सदस्य वास्तव में कभी भी एक स्थान पर एक साथ नहीं मिले. थरूर के अनुसार, 23 सदस्यों ने पार्टी में सुधारों को लेकर कुछ वरिष्ठ नेताओं द्वारा तैयार एक पत्र पर हस्ताक्षर किए थे क्योंकि कोविड से संबंधित प्रतिबंधों के कारण एक स्थान पर इकट्ठा होना संभव नहीं था. थरूर ने कहा कि वास्तव में, लगभग 100 नेता थे जिन्होंने पत्र में व्यक्त विचारों पर सहमति जताई थी.
हालांकि, उसपर हस्ताक्षर केवल 23 के ही थे. जी23 के प्रमुख सदस्यों के मल्लिकार्जुन खड़गे के पक्ष में होने होने से एक सवाल यह उठ रहा है कि 19 अक्टूबर को जब अध्यक्ष पद के चुनाव हो जाएंगे तो कांग्रेस में उनकी स्थिति क्या होगी. एआईसीसी के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि जी23 आंतरिक चुनावों की आवश्यकता के बारे में बात कर रहा था. अब चुनाव हो रहे हैं. कुछ हफ्तों में कांग्रेस को एक नया निर्वाचित अध्यक्ष मिल जायेगा.
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