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बावनखेड़ी हत्याकांड में शबनम के बेटे की राष्ट्रपति से गुहार-मां के गुनाहों को कर दो माफ

अमरोहा के बावनखेड़ी गांव में परिवार के सात लोगों को मौत के घाट उतारने वाली शबनम को फांसी की सजा सुनाई गई है. राष्ट्रपति ने उसकी दया याचिका भी खारिज कर दी है. अब शबनम को फांसी देने की तैयारी शुरू हो गई है. इसी बीच शबनम के बेटे ने राष्ट्रपति से गुहार लगाई है.

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शबनम के बेटे की गुहार- मां को माफ कर दो 'राष्ट्रपति अंकल'

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Published : Feb 19, 2021, 9:18 AM IST

Updated : Feb 19, 2021, 9:26 AM IST

अमरोहा : बहुचर्चित बावनखेड़ी हत्याकांड की गुनहगार शबनम के डेथ वारंट पर कभी भी हस्ताक्षर हो सकता है और शबनम को फांसी दे दी जाएगी. फांसी की संभावनाओं के बीच शबनम के बेटे ने देश के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से अपनी मां की फांसी की सजा को माफ करने की गुहार लगाई है. बच्चा न सिर्फ राष्ट्रपति से अपनी मां के गुनाहों को माफ करने की गुहार लगा रहा है, बल्कि उसकी पलकें उन लम्हों को याद कर नम हो जाती हैं, जब वह अपनी मां से मिलने के लिए रामपुर जेल जाता था.

शबनम के बेटे की गुहार- मां को माफ कर दो 'राष्ट्रपति अंकल'

कहां है शबनम का बेटा

कॉलेज में शबनम के साथी रहे उस्मान सैफी ने उसके बेटे की परवरिश की जिम्मेदारी ली है और वह उनके साथ ही रह रहा है. सैफी के मुताबिक कॉलेज के दिनों से वह पैसे, स्वास्थ्य और पढ़ाई के मामले में कमजोर थे और तब शबनम ने उनकी मदद की थी. यहां तक कि शबनम ने ही उनकी कॉलेज फीस भी भरी थी. सैफी शबनम को अपनी बड़ी बहन मानते हैं और शबनम के बच्चे की देखभाल उन्हीं का परिवार कर रहा है. गौरतलब है कि अमरोहा की बाल कल्याण समिति ने एक विज्ञापन जारी कर कहा था कि जेल मैन्युअल के हिसाब से कैदी महिलाएं अपने 6 साल से ज्यादा उम्र के बच्चों को साथ नहीं रख सकती, जिसके बाद ताज को गोद लेने के लिए अपील भी जारी की गई थी.

शबनम के बच्चे की चल रही है पढ़ाई

बुलंदशहर के सुशीला विहार कॉलोनी में रहने वाली शबनम को निचली अदालत से सुप्रीम कोर्ट तक फांसी की सजा सुनाई गई है. उसके बेटे का जन्म जेल में हुआ था, लेकिन जब उसकी उम्र 6 साल हुई तो उसको जेल से बाहर लाया गया और अमरोहा जिला प्रशासन ने उस्मान सैफी को बच्चे का कस्टोडियन बनाया. उस्मान ने बताया कि शबनम का बच्चा बुलंदशहर के प्रतिष्ठित स्कूल में पढ़ाई कर रहा है और वह जहां तक पढ़ेगा उसकी पढ़ाई और परवरिश का पूरा इंतजाम है.

यह था पूरा मामला

15 अप्रैल वर्ष 2008 को अमरोहा के गांव बावनखेड़ी की रहने वाली शबनम ने अपने प्रेमी सलीम की मदद से प्रेम सम्बन्धों में बाधा बने अपने माता पिता, दो भाई, भाभी, मौसी की लड़की और सात माह के दुधमुंहे भतीजे को कुल्हाड़ी से काटकर मौत के घाट उतार दिया था, जिसके बाद निचली अदालत से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक शबनम को फांसी की सजा सुनाई गई. राष्ट्रपति ने भी शबनम की सजा को बरकरार रखा और दया याचिका को खारिज कर दिया. इसी के साथ अब शबनम को फांसी देने की तैयारी शुरू कर दी गई है.

जानकारी देते शबनम के वकील.

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रामपुर कारागार में शुरू हुई फांसी की तैयारी

रामपुर जिला कारागार स्थित फांसी घर में शबनम को फांसी दी जाएगी और यह आजाद हिंदुस्तान में किसी महिला को पहली फांसी होगी. जेल प्रशासन ने रस्सी बनाने का ऑर्डर और शबनम के वजन के बराबर पत्थर को लटकाने की रिहर्सल शुरू कर दिया है. यहां तक कि मेरठ का जल्लाद पवन कई बार मथुरा जिला कारागार में फांसी की तैयारी का जायजा ले चुका है, हालांकि अभी जेल प्रशासन को शबनम के डेथ वारंट का इंतजार है.

फांसी घर का निरीक्षण कर चुके हैं पवन जल्लाद

बता दें कि आजादी के बाद हिंदुस्तान में पहली बार किसी महिला को फांसी दी जाएगी, जिसके लिए लगभग एक साल पहले मेरठ के पवन जल्लाद मथुरा जेल में बनाए गए फांसी घर का निरीक्षण कर चुके हैं. पवन ने बताया कि अभी मथुरा जेल के अधिकारियों ने उनसे संपर्क नहीं किया है, लेकिन वह शबनम को फांसी देने में बिल्कुल नहीं हिचकिचाएंगे. क्योंकि महिला हो या पुरुष, गुनहगार को अंजाम तक पहुंचाना उनका फर्ज है.

Last Updated : Feb 19, 2021, 9:26 AM IST

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