नई दिल्ली : असम और मेघालय के मुख्यमंत्रियों द्वारा केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को दोनों राज्यों के बीच सीमा समझौते से संबंधित दस्तावेज सौंपे जाने के कुछ दिनों बाद, कांग्रेस ने सोमवार को कहा कि सीमा मुद्दे (Assam Meghalaya border row) के किसी भी समाधान के लिए संसद की मंजूरी की आवश्यकता होती है. कांग्रेस ने कहा कि वह सुप्रीम कोर्ट का भी दरवाजा खटखटाएगी.
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और असम से राज्यसभा सांसद रिपुन बोरा (Congress leader Ripun Bora) ने ईटीवी भारत से बात करते हुए कहा कि असम और मेघालय दोनों संवैधानिक सीमा साझा करते हैं, न कि ऐतिहासिक सीमा. इसलिए, दशकों से चले आ रहे सीमा विवाद के स्थायी समाधान के लिए संसद की सहमति की आवश्यकता है. बोरा ने कहा कि संसद के आगामी सत्र में इस मुद्दे को उठाने के अलावा कांग्रेस इस मुद्दे को लेकर उच्चतम न्यायालय में भी जाएगी.
कांग्रेस सांसद का कहना है कि हम इस मुद्दे को संसद में जरूर उठाएंगे क्योंकि सीमा विवाद का कोई भी समाधान संवैधानिक होना चाहिए. उन्होंने कहा कि 1985 में, असम और मेघालय सरकार ने न्यायमूर्ति वाईवी चंद्रचूड़ को दोनों राज्यों के बीच बॉर्डर के सीमांकन के लिए एक समिति का नेतृत्व करने के लिए नियुक्त किया था. बोरा ने आगे कहा कि समिति ने मेघालय सरकार के कुछ दावों और सिफारिशों को भी खारिज कर दिया था.
मेघालय बनने के बाद दोनों राज्यों में कभी भी सीमा मुद्दे पर आम सहमति नहीं बनी है. बोरा ने कहा कि अचानक असम के सीएम अपनी जमीन दूसरे राज्य को दे देते हैं जो बिल्कुल भी स्वीकार्य नहीं है. हम भी समाधान चाहते हैं, लेकिन असम के हितों की कीमत पर नहीं होना चाहिए.