हैदराबाद :यह कहना संभव नहीं है कि इंसान कब तक जीवित रहेगा. हालांकि, अध्ययन से पता चला है कि एक आदमी द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले पॉलिथीन बैग का जीवनकाल 500 साल से अधिक है. वर्षों तक मिट्टी में पड़ी रहने वाली पॉलिथीन ने भविष्य के अस्तित्व पर सवाल खड़े कर दिए हैं. पॉलिथीन बैग के उपयोग पर प्रतिबंध केवल शब्दों तक सीमित है और कोई उचित कार्रवाई नहीं की जाती है.
तीन सॉफ्टवेयर इंजीनियरों ने इस समस्या का समाधान निकाला है. उन्होंने उच्च गुणवत्ता वाले पेपर बैग बनाए हैं, जो पॉलिथीन बैग से सस्ते हैं और शहर में बड़ी मात्रा और मुफ्त में वितरित किए जाते हैं. इनका प्रमुख उद्देश्य एकल उपयोग प्लास्टिक को समाप्त करना है.
पॉलिथीन बैग मनुष्य और पृथ्वी के बीच एक बाधा बन गए हैं और दुनिया के लिए एक बड़ी चुनौती हैं. प्लास्टिक के उपयोग और प्लास्टिक को रीसाइकिल करने की असंभवता को लेकर लोग जागरूक नहीं हैं. एक व्यक्ति जो घर से बाहर निकलता है वह कम से कम एक पॉलिथीन बैग के साथ घर लौटता है. इस गणना के अनुसार, पॉलीथिन बैग के कारण हैदराबाद महानगर में पर्यावरणीय क्षति हो रही है.
जीएचएमसी की फाइन की चेतावनी के बावजूद लोग अब भी पॉलिथीन का इस्तेमाल कर रहे हैं. इसका मुख्य कारण यह है कि लोगों को पॉलिथीन बैग का कोई सस्ता विकल्प नहीं मिल रहा है. हालांकि, तीन युवा इंजीनियरों- हरीश, किरण कुमार और महेश येचुरी का कहना है कि उनके पास समस्या का एक अच्छा समाधान है. हैदराबाद के कुकटपल्ली के रहने वाले इन सॉफ्टवेयर इंजीनियर का उद्देश्य समस्याओं की पहचान करना और ऐसी समस्याओं का स्थायी समाधान खोजना है. इसी कड़ी में उन्होंने हैदराबाद में 'रिकवरी' नाम की एक कंपनी शुरू की है.
रिकवरी के संस्थापक हरीश और उनकी टीम का मुख्य उद्देश्य एकल उपयोग प्लास्टिक को खत्म करना है. पॉलिथीन बैग की जगह पेपर बैग को बढ़ावा देने का प्रयास किया जा रहा है. इन्हें रीसाइकिल किए हुए फूड ग्रेड पेपर से बनाया जाता है. इसमें 3-5 किलो तक सामान रखा जा सकता है.