हैदराबाद :डब्ल्यूएचओ, वंडरमैन थॉम्पसन, यूनिवर्सिटी ऑफ मेलबर्न और पोलफिश ने एक वैश्विक अध्ययन किया, जिसका उद्देश्य यह पता लगाना था कि जेन जेड और मिलेनियल्स को कोविड-19 महामारी से जुड़ी जानकारी कैसे मिलती है.
एक वर्ष पहले जब कोरोना वायरस के कारण महामारी फैली तो उसी समय सोशल मीडिया और अन्य डिजिटल प्लेटफॉर्मों पर गलत सूचना भी वायरस की तरह फैली, जो वैश्विक सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए खतरा साबित हो रहा है.
कोरोना महामारी के दौरान सोशल मीडिया और अन्य डिजिटल प्लेटफॉर्मों पर गलत सूचना का प्रसार बढ़ गया. प्रौद्योगिकी में प्रगति और सोशल मीडिया लोगों को सुरक्षित, सूचित और जुड़े रहने के अवसर प्रदान करता है. हालांकि, इन्ही माध्यमों से वर्तमान इन्फोडेमिक भी फैल रहा है, जो महामारी को नियंत्रित करने के प्रयासों में खलल डाल रहा है.
यद्यपि युवा लोगों को कोविड-19 जैसी गंभीर बीमारी का खतरा कम होता है, हालांकि इस वायरस के प्रसार को कम करने और इस महामारी को रोकने में वह अहम भूमिका निभाते हैं. युवा प्रतिदिन औसतन पांच डिजिटल प्लेटफॉर्म (जैसे, ट्विटर, फेसबुक, यूट्यूब और इंस्टाग्राम) पर सक्रीय रहते हैं. इन प्लेटफॉर्मों पर इन्ही की संख्या सबसे ज्यादा है.
यह समझने के लिए कि इस वैश्विक संचार संकट के दौरान युवा कैसे प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल कर रहे हैं, एक अंतर्राष्ट्रीय अध्ययन किया गया था. इसमें 23,500 उत्तरदाताओं को शामिल किया गया था, जिनकी आयु 18-40 वर्ष के बीच थी और यह लोग पांच महाद्वीपों के 24 देशों से थे.
यह परियोजना विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ), वंडरमैन थॉम्पसन, यूनिवर्सिटी ऑफ मेलबर्न और पोलफिश ने मिलकर शुरू की थी. अक्टूबर 2020 के अंत से जनवरी 2021 के अंत तक आंकड़े एकत्र किए गए थे.
यह दिखाता है कि जेन जेड और मिलेनियल्स कोविड-19 की जानकारी कहां से पाते हैं, उन्हें किस स्रोतों पर भरोसा है, वह झूठी खबरों को लेकर कितने जागरूक हैं आदि.
विज्ञान सामग्री को शेयर योग्य देखा गया
यह पूछे जाने पर कि वह किस तरह की कोविड-19 की जानकारी (यदि हो तो) सोशल मीडिया पर पोस्ट करेंगे, 43.9% उत्तरदाताओं, दोनों पुरुष और महिला, ने कहा कि वह संभवतः अपने सोशल मीडिया पर 'वैज्ञानिक' सामग्री साझा करेंगे.
शोध के आंकड़ों से पता चला है कि यह सामान्य प्रवृत्ति के विपरीत हैं, जिसमें मजेदार, मनोरंजक और भावनात्मक सामग्री सबसे तेजी से फैलती है. इसके बाद 'प्रासंगिक' (36.7%) और 'संबंधित' (28.5%) सामग्री आती है.
इसके अलावा, 28.3% का कहना है कि वे ऐसा कंटेंट साझा करते हैं जिसमें लेख शामिल है, इसके बाद वीडियो (24.1%), छवि (23.0%), कथा (20.8%), एक भावनात्मक प्रतिक्रिया (18.2%) और ह्यूमर (18.1%) शामिल हैं.
सोशल मीडिया पर साझा करने की संभावना | सामग्री (प्रकार) साझा करने की अधिक संभावना |
43.9 % वैज्ञानिक सामग्री | 28.3% सामग्री |
36.7% प्रासंगिक जानकारी | 24.1% वीडियो |
28.5% जानकारी जो चिंताजनक है | 23.0% इमेज |
झूठी खबरों के बारे में जागरूकता और उदासीनता
जेन जेड और मिलेनियल्स के सर्वेक्षण में आधे से ज्यादा (59.1%) कोविड-19 से जुड़ी फर्जी खबरों के बारे में जागरूक हैं और उन्हें पहचान सकते हैं. हालांकि, ज्यादातर इसको काउंटर नहीं करते और 35.1% इसकी अनदेखी कर देते हैं.
24.4% सामग्री को रिपोर्ट करते हैं और 19.3% उस पर टिप्पणी करते हैं. इसे साझा करने वाले खाते को केवल 8.7% अनफॉलो करते हैं. 40.8% कहते हैं कि वे हमेशा यह सुनिश्चित करते हैं कि जो सामग्री वह सोशल मीडिया पर पोस्ट करने जा रहे हैं वह सही है या नहीं.