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राजस्थान के इस शख्स की है सापों से दोस्ती, लोग बोलते हैं 'स्नेक मैन'

राजस्थान में भरतपुर स्थित नदबई के सुरेश सहगल सांपों को रेस्क्यू करने में माहिर माने जाते हैं. तभी तो इन्हें भरतपुर का स्नेक मैन (Snake Man of Bharatpur) कहते हैं. इन विषधरों से एक तरह से दोस्ती है सुरेश की. जहां कहीं से भी इन्हें बुलावा आता है तुरंत चल पड़ते हैं. इनकी फनधारियों से दोस्ती की कहानी क्या है? कैसे सुरेश स्नेक मैन बने? आइए जानते हैं...

Bharatpur Rescuer Of Snake
भरतपुर के स्नेक मैन

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Published : Feb 3, 2022, 12:32 PM IST

नदबई.आमतौर पर सांपों कि बात सुनकर मन में डर कि स्थिति बनने लगती है लेकिन राजस्थान के सुरेश सहगल सांपों से डरने के बजाए उनकी मदद करते हैं. इस काम के चलते लोग उन्हें स्नेक मैन (Snake Man of Bharatpur) के नाम से जानते हैं. सुरेश को बचपन से ही सांप पकड़ने का शौक है जिसके चलते उन्होंने अब तक हजारों सांपों की जिंदगी बचाई है.

सुरेश भरतपुर जिले के नदबई कस्बे में रहते हैं जिन्होंने सन् 1995 से ही सांपों से दोस्ती गांठ रखी है. बड़ा हो या छोटा फनधारी सभी इनकी अंगुलियों के इशारे पर नाचते हैं. कोबरा, फ्लाइंग स्नेक, रैटल स्नेक, करेत, धामन, रसैल वाईपर जैसे खतरनाक सांपों के नाम सुनते ही जहां आमजन सिहर जाते हैं, वहीं सुरेश का तेज दिमाग और निगाहों का पैनापन मिनटों में सांपों को अपने काबू में कर लेता है.

राजस्थान के इस शख्स की है सापों से दोस्ती

सुरेश न सिर्फ सांपों को पकड़ते हैं बल्कि लोगों में सांपों को लेकर भ्रांति को दूर करने का प्रयास भी करते हैं. वे बताते हैं कि अगर घर या किसी अन्य जगह सांप दिख जाए तो शांत रहे, न कि उससे छेड़छाड़ करें. आपका शांत रवैया आपको सांप के दंश से बचा सकता है. इसके साथ ही उन्हें सांपों की भी बहुत जानकारी है. उन्होंने बताया कि राजस्थान में 36 प्रजातियों से अधिक सर्प प्रजातियां पाई जाती हैं जिनमें से महज 4 ही जहरीली हैं.

भरतपुर के स्नेक मैनने अब तक 6000 से अधिक सांपों को पकड़ कर सुरक्षित स्थानों पर छोड़ा है. कोरोना काल में भी वे बिना रुके अपना मकसद पूरा करते रहे. उन्हें जहरीले सांपों से इतना लगाव है की वह इन पर गहन अध्ययन कर लोगों को जागरूक भी करते रहते हैं. उनका सिर्फ एक मकसद है. सांपों की खोज में घूमना, उनकी पूरी जानकारी जुटाना, उसका अध्ययन करना और लोगों में सांपों के प्रति खौफ को कम कर उन्हें सुरक्षा प्रदान करना. अपनी इस कोशिश में वे कई बार सर्पदंश का शिकार भी हुए हैं लेकिन इलाज भी वे खुद ही कर लेते हैं. अपने इस जुनून को पूरा करने के लिए वे आम लोगों को निशुल्क सेवा देते हैं.

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