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Skill Development at GGCU: होली के लिए हर्बल अबीर गुलाल तैयार कर रहे छात्र, इसे बेचकर भर सकेंगे यूनिवर्सिटी की फीस - रूरल टेक्नोलॉजी एंड सोशल डेवलपमेंट

gulal made from natural ingredients छात्र फूलों, सब्जियों और सलाद से रंग निकालकर होली के लिए अबीर गुलाल बना रहे है. पढ़ाई के साथ स्किल डेवलपमेंट के गुण सीखकर छात्र पढ़ाई के दौरान ही अपने लिए रोजगार की राह तलाश ली है. बिलासपुर गुरु घासीदास सेंट्रल यूनिवर्सिटी के रूरल टेक्नोलॉजी एंड सोशल डेवलपमेंट के छात्र हर्बल गुलाल तैयार कर रहे है. प्राकृतिक सामग्री से तैयार गुलाल को बेचकर छात्र अपनी फीस भरेंगे.

Students preparing Herbal Abir Gulal
हर्बल अबीर गुलाल तैयार कर रहे छात्र

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Published : Mar 1, 2023, 10:24 PM IST

Updated : Mar 4, 2023, 9:53 PM IST

हर्बल अबीर गुलाल तैयार कर रहे छात्र

बिलासपुर:छत्तीसपढ़ में फूलों को लेकर हो रहे राजनीति के बीच बिलासपुर के गुरु घासीदास सेंट्रल यूनिवर्सिटी के छात्र फूलों से हर्बल अबीर गुलाल तैयार कर रहे हैं. इस गुलाल की खास बात ये है कि इसे बनाने के लिए जो फूल इस्तेमाल हुए हैं, वे महाशिवरात्री में भगवान भोलेनाथ पर चढ़े वेस्टेज फूल हैं, जिन्हें मंदिरों से जमा किया गया था. छात्रों ने पत्तियों और प्राकृतिक संसाधनों का भी इस्तेमाल किया है. पैकेजिंग और मार्केटिंग का काम भी छात्रों के ही जिम्मे है, जो गुलाल से होने वाली कमाई का उपयोग अपनी फीस के लिए करेंगे.


वेस्टेज फूलों को सुखाकर निकालते हैं रंग:छात्रा श्रद्धा सिंह ने बताया कि "सबसे पहले फूलों को इकट्ठा करके उसे साफ पानी से धोकर सुखाया जाता है. 2 दिन सूखने के बाद गर्म पानी में डालकर उसका कलर निकालते हैं. कलर निकल जाने के बाद उसे मैदा या अरारोट पाउडर में मिलाते हैं. अच्छे से मिलाने के बाद पावडर कलरफुल हो जाता है. इसके बाद इसे भी ले जाकर धूप में सूखाते हैं. धूप में सुखाने के बाद इसे लाकर अच्छे से छानकर गुलाल तैयार किया जाता जाता है. डिब्बे में पैक करने के बाद यह बिक्री के लिए तैयार हो जाता है.

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भविष्य में रोजगार के लिए बेहतर विकल्प:बीएससी फाइनल की छात्रा प्रीति रानी टोप्पो ने बताया कि "गुलाल तैयार करने के बाद इसे यूनिवर्सिटी के छात्र छात्राओं को ही बेचते हैं. इसके अलावा यूनिवर्सिटी के बाहर काउंटर भी लगाया जाता है. सभी खर्च निकालने के बाद इससे बचने वाले पैसे से अपने शैक्षणिक कार्यों के साथ ही सेमेस्टर की फीस भी जमा करती हैं. एक तरफ वह स्वावलंबी बन रहीं हैं तो दूसरी तरफ भविष्य के लिए उनके पास एक स्किल भी तैयार हो रहा है."

स्वावलंबी छत्तीसगढ़ कार्यक्रम के तहत दिया जा रहा प्रशिक्षण:सेंट्रल यूनिवर्सिटी के विभागाध्यक्ष पुष्पराज सिंह ने बताया कि "सेंट्रल यूनिवर्सिटी में स्वावलंबी छत्तीसगढ़ का कार्यक्रम चलाया जा रहा है." उन्होंने बताया कि "पढ़ाई के साथ ही स्टूडेंट्स को स्वावलंबी बनाने पर प्रबंधन का इस ओर फोकस है. कई अलग-अलग कार्यक्रम भी चलाए जा रहे हैं. होली पर्व को देखते हुए यूनिवर्सिटी प्रबंधन ने ग्रामीण प्रौद्योगिकी और सामाजिक विकास विभाग के साथ मिलकर नई पहल की है. वेस्टेज फूल, पत्तियों और उपलब्ध प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग करके गुलाल बनाने का काम किया है. वेस्टेज फूल, पत्तियों और अन्य प्राकृतिक संसाधनों के कलेक्शन, प्रोडक्शन, पैकेजिंग और मार्केटिंग का जिम्मा छात्रों को ही दिया गया है."


हर्बल गुलाल से शरीर को नहीं होता कोई नुकसान:असिस्टेंट प्रोफेसर दिलीप बांदे ने बताया कि "फूलों, सब्जियों और सलाद के प्राकृतिक सामग्रियों से गुलाल तैयार किया जा रहा है. यह गुलाल केमिकल गुलाल के मुकाबले जीरो नुकसान के लिए जाने जाते हैं. केमिकल वाले गुलाल स्किन और आंखों को नुकसान पहुंचाते हैं, लेकिन छात्रों की ओर से तैयार गुलाल से शरीर को कोई नुकसान नहीं होता. सबसे खास बात यह है कि इनको बेचकर इन छात्रों को इतना लाभ होगा कि वो अपने साल भर के पढ़ाई की फीस यूनिवर्सिटी में जमा कर सकते हैं."

Last Updated : Mar 4, 2023, 9:53 PM IST

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