चंडीगढ़: साल 2014 में पंजाब के अजनाला कस्बे के कुएंं से बड़ी मात्रा में नर कंकाल (skeleton found in well in punjab) बरामद हुए थे. जब इनकी गिनती की गई तो पता चला की ये 282 लोगों के कंकाल हैं. इसके बाद ये शोध शुरू किया गया कि आखिर ये कंकाल किसके हैं? यहां पर कैसे आए? ये शोध पंजाब यूनिवर्सिटी के एंथ्रोपोलॉजी विभाग ने शुरू किया. बाद में हैदराबाद के सीसीएमबी इंस्टिट्यूट, बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी और बीरबल सहनी इंस्टीट्यूट लखनऊ को भी इस रिसर्च में जोड़ा गया.
कई सालों की रिसर्च के बाद साइंटिस्ट इस नतीजे पर पहुंचे हैं कि ये नर कंकाल भारतीय सैनिकों के हैं. जो 1857 में अंग्रेजों से लोहा लेते हुए शहीद हुए. माना जा रहा है कि अंग्रेजों ने भारतीय सैनिकों के शव को कुएं में फेंक दिया था. इन नर कंकालों पर रिसर्च करने वाले डॉक्टर जेएस सेहरावत ने ईटीवी भारत से खास बातचीत की. जिसमें उन्होंने बताया कि नतीजों पर पहुंचने के लिए हमने कई अलग-अलग तकनीकों का इस्तेमाल किया. जिसमें पता चला कि ये लोग 26 बंगाल इंफिनिटी बटालियन से थे.
1857 की क्रांति में शहीद हुए भारतीय सैनिकों के थे पंजाब के अजनाला मिले नर कंकाल उन्होंने कहा कि हमने इसके लिए कई किताबों का सहारा भी लिया. इसके अलावा इन कंकालों का डीएनए टेस्ट भी किया. दरअसल भारत में अलग-अलग राज्यों के लोगों में अलग-अलग प्रकार के डीएनए पाए जाते हैं. इन कंकालों पर रिसर्च (research on male skeletons found in punjab) करने पर पता चला कि ये लोग पंजाब से नहीं थे, बल्कि उत्तर प्रदेश, बिहार, बंगाल राज्यों के रहने वाले थे. मुख्य वो राज्य, जो गंगा नदी के किनारे पर बसे हुए हैं.
डॉक्टर जेएस सेहरावत ने कहा- हमने यूके सरकार से इन लोगों से जुड़े और ज्यादा दस्तावेज मांगे हैं. डीएनए रिपोर्ट और उन दस्तावेजों के आधार पर इनके परिजनों तक पहुंचने की कोशिश करेंगे. हमें यूके सरकार से जो डाटा मिलेगा. उसके आधार पर हम इनके परिवारों को खोजने का काम करेंगे. इसके लिए गंगा नदी से जुड़े राज्यों के लोगों के ब्लड सैंपल लिए जाएंगे. जिससे डीएनए टेस्ट करेंगे. डीएनए सैंपल मैच होने के बाद इन कंगालों को इनके परिजनों को सौंपा जाएगा. अभी तक की रिसर्च में ये भी सामने आया कि सभी नर कंकाल भारतीय जवानों के नहीं है, हो सकता है इनमें कुछ लोग स्थानीय हों. उन्होंने कहा कि हमें कंकालों पर चोट के निशान भी मिले हैं. कुछ कंकाल ऐसे मिले हैं जिनके माथे पर गोली मारी गई थी. उनके आगे और पीछे दोनों तरफ गोली का निशान है. जिसे देखकर लगता है कि उनके माथे पर सामने से गोली मारी गई थी. जो पीछे से बाहर निकल गई.
उन्होंने कहा कि इन अवशेषों में दांतों को देखकर ये अंदाजा लगाया जा सकता है कि इनमें से ज्यादातर लोग सेना से जुड़े हुए थे, क्योंकि दांत अच्छी हालत में हैं और साफ-सुथरे हैं. सेना के लोगों में इस तरह की साफ-सफाई मिलती है. इसके अलावा कई अन्य और सबूत मिले हैं. जिनसे पता चलता है कि ये लोग भारतीय सेना से थे. इन अवशेषों में हमें सिक्के और मेडल भी मिले हैं. जो इस बात को पुख्ता करते हैं कि ये विशेष सेना के लोग थे. जो सिक्के हमें मिले हैं वो सभी सिक्के 1857 से पहले के हैं, यानी ये घटना भी 1857 तक ही हुई थी. अब हमारा अगला लक्ष्य है कि इन अवशेषों को इनके परिजनों तक पहुंचाया जाए. जिसपर हमारा काम जारी है.
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