स्कूल में छठी कक्षा के छात्र की मौत कडप्पा: आंध्र प्रदेश के वाईएसआर जिले के खाजीपेट मंडल के कोठापेटा के पास एक स्कूल में छठी कक्षा के छात्र सोहित (11) की मौत से इलाके में तनाव पैदा हो गया. माता-पिता, परिवार के सदस्यों और रिश्तेदारों ने आरोप लगाया कि उनके बच्चे की मौत स्कूल स्टाफ की पिटाई के कारण हुई. पांच-छह घंटे बाद भी प्रबंधन ने संतोषजनक जवाब नहीं दिया तो उन्होंने पत्थरों और डंडों से स्कूल की खिड़कियां तोड़ दीं. बाद में पुलिस ने लाठीचार्ज कर उन्हें तितर-बितर कर दिया. पीड़ित परिवार के सदस्यों को समझाने के बाद लड़के के शव को पोस्टमार्टम के लिए सरकारी सर्वजन अस्पताल भेज दिया गया.
वाईएसआर जिले के पुलिवेंदुली के नागराजू एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर हैं और उनकी पत्नी ललिता एक वार्ड स्वयंसेवक के रूप में काम करती हैं. उन्होंने दो हफ्ते पहले अपने बेटे सोहित (11) का स्कूल में छठी कक्षा में दाखिला कराया. शनिवार की सुबह सोहित ने स्कूल से अपने पिता को फोन कर बताया कि उसके पेट में दर्द हो रहा है. उन्होंने तुरंत कडप्पा में अपने रिश्तेदारों को सूचित किया. स्कूल पहुंचने पर देखा कि स्कूल संचालकों ने सोहित को बरामदे में सुला दिया. परिजन तुरंत सोहित को लेकर चेन्नुरु सरकारी अस्पताल पहुंचे जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया.
लड़के के पेट और हाथ के पिछले हिस्से पर चाकू के घाव पाए गए. परिजन तुरंत छात्र के शव को स्कूल ले आये. परिजनों और उनके रिश्तेदारों के स्कूल पहुंचने पर स्कूल प्रबंधन के लोग वहां से भाग गए. फिर परिजन शव को लेकर स्कूल परिसर में प्रदर्शन करने लगे. हालात बिगड़ने पर पहुंची पुलिस ने उन्हें तितर-बितर किया. मैदुकुरु सीआई नरेंद्र रेड्डी ने एक वृद्ध व्यक्ति की गर्दन पकड़ कर उसे धक्का दिया और वह नीचे गिर गया. फिर प्रदर्शनकारी वहां से चले गए और राष्ट्रीय राजमार्ग पर धरना दिया. छात्र की मां ललिता यह कहते हुए रो पड़ीं कि लाखों रुपये फीस देने के बाद उन्होंने अपने बेटे को खो दिया.
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बंद करने का आदेश दिया:डीईओ राघवरेड्डी ने तत्काल स्कूल को बंद करने का आदेश दिया. उन्होंने खुलासा किया कि अन्य सभी वैधानिक अनुमतियां तुरंत वापस ले ली जाएंगी. घटना की जांच के लिए पांच सदस्यीय समिति नियुक्त की गई. एमईओ को संदिग्ध मौत की सूचना पुलिस को देने का निर्देश दिया गया. आदेश में कहा गया है कि रविवार को अभिभावकों की बैठक आयोजित की जाए ताकि अन्य छात्रों को दूसरे स्कूलों में स्थानांतरित किया जा सके.