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अखिलेश ने बसपा-भाजपा को दिया झटका, सात विधायक सपा में शामिल

उत्तर प्रदेश में सियासी पारा चढ़ता जा रहा है, सभी राजनीतिक दल चुनावी वायदे, दावे और रैलियां तो कर ही रहे हैं, वहीं जोड़-तोड़ की राजनीति भी तेज हो गई है. इसी कड़ी में बसपा के छह और भाजपा का एक विधायक समाजवादी पार्टी में शामिल हो गए हैं.

सात विधायक सपा में शामिल
सात विधायक सपा में शामिल

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Published : Oct 30, 2021, 1:53 PM IST

Updated : Oct 30, 2021, 11:25 PM IST

लखनऊ: उत्तर प्रदेश में सियासी पारा चढ़ता जा रहा है, सभी राजनीतिक दल चुनावी वायदे, दावे और रैलियां तो कर ही रहे हैं, वहीं, जोड़ तोड़ की राजनीति भी तेज हो गई है. सूत्रों की माने तो 6 बीएसपी और भाजपा के एक विधायाक समाजवादी पार्टी में शामिल हो गए हैं.

बता दें कि बीसपी के विधायक असलम अली, सुषमा पटेल, असलम राईनी, मुज्तबा सिद्दीकी, हरगोविंद भार्गव और हाकिम लाल बिंद समाजवादी पार्टी में शामिल हो गए. इसके अलावा बीजेपी विधायक राकेश राठौर ने भी समाजवादी पार्टी का दामन थाम लिया.

इस मौके पर समाजवादी पार्टी के सुप्रीमो अखिलेश यादव ने भारतीय जनता पार्टी पर तंज कसते हुए कहा कि मेरा परिवार भाजपा परिवार की जगह, अब मेरा परिवार भागता परिवार हो गया है. जनता में बहुत आक्रोश है. बहुत सारे लोग समाजवादी पार्टी में शामिल होना चाहते हैं.

प्रेसवार्ता में अखिलेश यादव ने कहा कि सभी माननीय विधायकों का समाजवादी पार्टी में बहुत-बहुत स्वागत है. आने वाले समय में हमारी सरकार बनने जा रही है. उन्होंने प्रदेश सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि भाजपा सरकार ने 2017 में अपना लोक कल्याण संकल्प पत्र बनाया और सरकार बनने के बाद उसे कूड़ेदान में फेंक दिया. वादा किया गया था कि 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने के लिए निश्चित रोडमैप तैयार किया जाएगा मगर ये वादा आज तक अधूरा है. किसान का धान तैयार है बिकने के लिए, लेकिन भाजपा सरकार में जो कीमत तय की गई थी वह किसान को नहीं मिल रही है.

अखिलेश यादव ने कहा कि मंडियों को बनाने का वादा किया गया था, लेकिन जो मंडिया चल रही थी उन्हें बंदकर दिया गया और नई मंडिया किसानों के लिए बनाई नहीं गई. लैपटॉप वितरण पर अखिलेश ने कहा कि लैपटॉप देने के वादे पर मैं क्या बोलूं, भाजपा सरकार साढ़े 4 साल से न जाने कौन सी "टेबलेट" दे रही है, जो अब टैबलेट देने का वादा कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि शिक्षा संस्थानों को चौपट कर दिया गया है. सभी तीर्थ स्थलों को फोरलेन मार्ग से जोड़ा जाएगा जो बजट में हेड खोला गया था सरकार ने वो हेड खत्म कर दिया है, सरकार ने कहा था इससे तीर्थ स्थलों को फोरलेन मार्ग से जोड़ा जाएगा, उन्होंने योगी सरकार से सवाल करते हुए कहा कि भाजपा बताए किस जिला मुख्यालय को किस फोरलेन से जोड़ा गया है.

बता दें कि 6 बीएसपी और भाजपा के एक विधायाक समाजवादी पार्टी में शामिल हो गए, जिसके बाद यूपी की सियासी पारा बढ़ता जा रहा है.

विधायकों का प्रोफाइल-

हरगोविंद भार्गव (बसपा), सिधौली विधानसभा (सीतापुर)

सीतापुर जिले की सिधौली विधानसभा सीट से 2017 में बहुजन समाज पार्टी के टिकट पर विधायक बने हरगोविंद भार्गव कृषि अर्थशास्त्री हैं. 2007 में यह बसपा के टिकट पर पहली बार विधायक बने थे. 2012 में भी इन्होंने बसपा के टिकट पर चुनाव लड़ा पर इन्हें पराजय का सामना करना पड़ा. इन्हें सपा प्रत्याशी मनीष रावत ने पराजित किया. इस सीट पर 1993 से 2002 तक समाजवादी पार्टी का कब्जा रहा है. यह पहली बार है जब भार्गव बसपा छोड़कर अन्य दल में शामिल हो रहे हैं. भार्गव का जन्म 30 दिसंबर 1974 को हुआ था.

सुषमा पटेल (बसपा), मुंगरा बादशापुर विधानसभा (जौनपुर)

2017 के चुनाव में भाजपा की लहर के बावजूद बहुजन समाज पार्टी से पहली बार चुनकर आईं सुषमा पटेल ने भाजपा की सीमा द्विवेदी को पराजित किया था. वह सिविल सर्विसेज में जाना चाहती थीं, लेकिन ससुराल पक्ष उन्हें राजनीति में लाना चाहता था. अंततः वह राजनीति में आईं. सुषमा पटेल जियोलॉजी में पीएचडी हैं. इनके पति रंजीत सिंह पटेल पीसीएस अफसर हैं. सुषमा के ससुर दूधनाथ पटेल 1985 से मड़ियाहूं विधानसभा सीट से विधायक रहे. इनकी सास सावित्री पटेल भी 1989 से 1996 तक विधायक रह चुकी हैं. सुषमा भार्गव का जन्म 5 मार्च 1989 को हुआ था.

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असलम अली चौधरी (बसपा), धौलाना विधानसभा (गाजियाबाद)

असलम चौधरी 17वीं विधानसभा में बहुजन समाज पार्टी के टिकट पर चुनकर विधानसभा पहुंचे. पिछले दिनों असलम अली चौधरी तब चर्चा में आए जब इनका एक ऑडियो वायरल हुआ था, जिसमें वह बिजली विभाग के एक एसडीओ को धमकी दे रहे थे. इससे पहले भी ऐसे कई मामलों में यह चर्चा में रह चुके हैं. बताया जाता है कि यह प्रापर्टी का काम करते हैं. इनका जन्म एक जनवरी 1968 को गाजियाबाद में हुआ था.

असलम राइनी (बसपा), भिनगा विधानसभा सीट (श्रावस्ती)

राइनी 2017 में बसपा के टिकट पर चुनाव जीतकर आए थे. इन्होंने भाजपा प्रत्याशी को पराजित किया था. असलम राइनी ने 1997 में अपना राजनीतिक जीवन आरंभ किया. इन्होंने पहला चुनाव 2002 में बसपा से लड़ा और महज 132 वोट से हार गए. उसके बाद ये 2007 में कांग्रेस से लड़े और मात्र 91 वोट से बसपा से पराजय का सामना करना पड़ा. इन्होंने 2012 का चुनाव भी कांग्रेस के टिकट पर ही लड़ा था.

हाकिम लाल बिंद (बसपा), हंडिया विधानसभा क्षेत्र (प्रयागराज)

बहुजन समाज पार्टी के टिकट पर चुनाव जीतकर पहली बार प्रयागराज की हंडिया विधानसभा सीट से विधायक बने. हाकिम लाल बिंद ने स्नातक तक शिक्षा प्राप्त की है. 2012 में यह सीट बिंद ने सपा प्रत्याशी को हराकर अपने कब्जे में ली थी. पिछले चुनाव में मोदी लहर के बावजूद बिंद बसपा प्रत्याशी के रूप में यह सीट जीतने में कामयाब रहे थे. इस सीट पर पूर्व मंत्री राकेश धर त्रिपाठी का वर्चस्व माना जाता रहा है. पिछले चुनाव में उनकी पत्नी प्रमिला देवी को हाकिम लाल ने पराजित किया था. इनका जन्म 21 मार्च 1977 को हुआ था.

हाजी मुजतबा सिद्दीकी (बसपा), प्रतापपुर विधानसभा (प्रयागराज)

2002 में पहली बार चौदहवीं विधानसभा में विधायक बने हाजी मुजतबा सिद्दीकी ने 2017 का चुनाव बसपा के टिकट पर जीता था. वह अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और विमुक्त जातियों संबंधी संयुक्त समिति के सदस्य रहे. 2007 में वह दूसरी बार विधायक बने और 2017 में वह तीसरी बार विधायक चुने गए. एलएलबी की शिक्षा प्राप्त कर मुजतबा व्यवसाय भी करते हैं.

राकेश राठौर (भाजपा), सदर विधानसभा (सीतापुर)

राकेश राठौर 2017 के चुनाव में भाजपा के टिकट पर सीतापुर सदर सीट से विधायक बने. इससे पहले यह 2007 में बसपा के टिकट पर चुनाव लड़े थे और पराजित हो गए थे. इनके पिता कई भाषाओं के विशेषज्ञ और सम्मानित नागरिक थे. बसपा से हारने के बाद इन्होंने भाजपा का दमन थामा था और योगी-मोदी लहर में विधायक भी बन गए थे. पिछले दो वर्ष से भी अधिक समय से यह भाजपा में बागी तेवर अपनाए हुए थे. इन्होंने सपा उम्मीदवार को पराजित कर जीत हासिल की था. सीतापुर शहर के निवासी राठौर व्यवसायी भी हैं. इनका जन्म 4 मार्च 1964 को हुआ था.

Last Updated : Oct 30, 2021, 11:25 PM IST

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