सिवान : सिवान के सिसवन डाला के पास एक काॅलेज है जेडए इस्लामिया कॉलेज. इस काॅलेज के प्रिंसिपलने छात्र-छात्राओं के लिए एक नोटिस जारी की है. इसके बाद से काॅलेज प्रिंसिपल और प्रबंधन दोनों की काफी किरकिरी हो रही है. वहीं विद्यार्थी व अन्य लोग इसे प्रिंसिपल का तुगलकी फरमान बता रहे हैं. इस नोटिस के जारी होने के बाद छात्र-छात्रा काॅलेज कैंपस में अपने सहपाठी से जरूरी बात तक करने से कतरा रहे हैं.
ये भी पढ़ें : Siwan News: सिवान के पॉलिटेक्निक कॉलेज में प्रिंसिपल ने छात्र का सिर फोड़ा, विरोध में छात्रों ने काटा बवाल
नोटिस में धारा 29 और 30 का भी हवाला:जेडए इस्लामियाकाॅलेज के प्रिंसिपल के आदेश से जारी नोटिस में लिखा है कि अगर किसी भी छात्र-छात्रा को कैंपस में एक साथ बैठे, बातचीत करते, हंसी मजाक करते पकड़ा गया तो उनका नामांकन रद्द कर दिया जाएगा. और तो और इस लेटर में संविधान की धारा 29 एवं 30 का हवाला देते हुए यह भी कहा गया है कि यह एक अल्पसंख्यक महाविद्यालय है और इसके सारे प्रबंधन का अधिकार निकाय के निहित है.
बच्चों को डराने के लिए जारी किया नोटिस :इस नोटिस के बाबत जब स्कूल के प्रिंसिपल मो. इदरिस आलम से बात की गई तो उन्होंने कहा किकुछ बैड एलिमेंट्स हैं जो कॉलेज परिसर में चले आते हैं. इसमें कुछ लड़कियों की भी गलती है जो उनका सहयोग करते हुए बातचीत और हंसी मजाक करती हैं. इसको रोकने के लिए इस तरह का पत्र जारी किया गया है. यह सिर्फ छात्र-छात्राओं को डराने के लिए पत्र जारी किया गया है, ताकि बाहरी एलिमेंट न आए.
"इसमें जो दो धाराओं 29 एव 30 की बात की गई है वह गलती से लिखा गया है. हमलोगों का कोई ऐसा इरादा नहीं था कि नोटिस में आर्टिकल एड करें और अपनी धौंस जमाए. सिर्फ बाहरी तत्वों का प्रवेश काॅलेज में न हो इसलिए यह आदेश जारी किया गया. काॅलेज में अनुशासन बनाए रखने के लिए नोटिस जारी की गई थी."-मो. इदरिस आलम, प्रिंसिपल
क्या है धारा 29 और 30 :संविधान की धारा 29 (1) में उन समुदायों के अधिकारों की रक्षा की बात कही गई है, जिनकी भाषा, संस्कृति और लिपि अलग-अलग है. इसका मुख्य उद्देश्य भारत के अल्पसंख्यक समूहों की संस्कृति की रक्षा करना है. वहीं धारा 30(1) में शैक्षणिक संस्थानों की स्थापना और प्रबंधन के संबंध में अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा का प्रावधान है.