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उत्तराखंड के सीतावनी मंदिर में लव कुश संग विराजमान हैं सीता माता, ये है इस देवालय का इतिहास

Sitavani Temple 22 जनवरी को अयोध्या में राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा होने जा रही है. इस मौके पर उत्तराखंड सरकार सीताराम के भक्तों को अनूठा उपहार देने जा रही है. पवलगढ़ कंजर्वेशन रिजर्व का नाम उस दिन सीतावनी कंजर्वेशन रिजर्व रखा जाएगा. आइए आज हम आपको रामनगर वन प्रभाग के कोटा रेंज में स्थित सीतावनी मंदिर के दर्शन कराते हैं, जिसके नाम पर पवलगढ़ कंजर्वेशन रिजर्व का नाम बदलकर रखा जा रहा है.

Sitavani Temple
उत्तराखंड सीतावनी मंदिर

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Jan 18, 2024, 11:05 AM IST

Updated : Jan 18, 2024, 2:21 PM IST

सीतावनी मंदिर के दर्शन

रामनगर: इस समय पूरा देश राममय हुआ है. पूरा देश रामभक्ति में डूबा है. प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम भी जोरों पर चल रहा है. 22 जनवरी को राम मंदिर का उद्घाटन होना है. उससे पहले आज हम आपको ऐसी जगह ले चलते हैं, जहां सीता माता का मंदिर है. यहां पर लव और कुश की प्रतिमाएं भी सीता माता के साथ विराजमान हैं. यह मंदिर पुरातत्व विभाग के अंतर्गत आता है.

उत्तराखंड में है सीतावनी मंदिर

सीतावनी मंदिर के दर्शन: रामनगर से 25 किलोमीटर दूर रामनगर वन प्रभाग के कोटा रेंज में आने वाला सीतावनी क्षेत्र न केवल आध्यत्मिक रूप से अपनी पहचान बनाए हुए है, बल्कि अब पर्यटन के क्षेत्र में भी प्रसिद्धि पा चुका है. सीतावनी मंदिर को त्रेता युग का बताया जाता है. सीतावनी मंदिर वाल्मीकि समाज के लोगों के प्रमुख तीर्थस्थलों में से एक है. रामनगर से इसकी दूरी 25 किलोमीटर है. यह नैनीताल जिले के रामनगर तहसील के अंतर्गत पड़ता है. सीतावनी क्षेत्र घने जंगल के बीच में स्थित है. यह कॉर्बेट से लगा हुआ क्षेत्र है. यहां पर बाघ, भालू, हाथियों के अलावा कई प्रकार के पक्षी पाए जाते हैं. सीतावनी मंदिर क्षेत्र ऐतिहासिक होने के कारण पुरातत्व विभाग के अधीन है. यह क्षेत्र वन विभाग के अंतर्गत आने के कारण यहां प्रवेश के लिए वन विभाग से अनुमति लेनी होती है.

सीतावनी मंदिर परिसर में 3 जल धाराएं हैं

स्कंदपुराण में है सीतेश्वर महादेव का जिक्र: आपको बता दें कि स्कंदपुराण में जिन सीतेश्वर महादेव की महिमा का वर्णन किया गया है, वह यहीं विराजित हैं. स्कंदपुराण के अनुसार कौशिकी नदी, जिसे वर्तमान में कोसी नदी कहा जाता है के बाईं ओर शेष गिरि पर्वत है. यह सिद्ध आत्माओं और गंधर्वों का विचरण स्थल है. रामायण की कथा के अनुसार जिस समय भगवान राम ने देवी सीता को वनवास का आदेश दिया था, उस समय देवी सीता गर्भवती थीं. ऋषि वाल्मीकि के आश्रम में ही इन्होंने अपने जुड़वां पुत्रों को जन्म दिया था और इनका पालन-पोषण किया था. इस घटना की याद मेंं सीतावनी में देवी सीता की प्रतिमा के साथ उनके दोनों पुत्रों को भी दिखाया गया है. सीतावनी में स्थित एक कुंड भी है. ऐसा कहा जाता है कि उसी कुंड में ही सीता माता अंतिम समय में समा गई थीं.

22 जनवरी को वन क्षेत्र का नाम सीतावनी कंजर्वेशन रिजर्व रखा जाएगा

सीतावनी में बहती हैं जल की तीन धाराएं: उसके साथ ही आज भी सीतावनी में जल की तीन धाराएं बहती हैं. इन्हें सीता-राम और लक्ष्मण धारा कहा जाता है. इन धाराओं की विशेषता यह है कि गर्मियों में इनका जल ठंडा और सर्दियों में गर्म रहता है. ऐसी मान्यता भी है कि माता सीता संग भगवान राम ने वैशाख मास में इसी स्थान पर महादेव का पूजन किया था. इसी कारण इस मंदिर को सीतेश्वर महादेव का मंदिर भी कहा जाता है.

राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा के दिन मिलेगा ये तोहफा: आपको बता दें कि अभी माता सीता के नाम से रामनगर वन प्रभाग का सीतावनी पर्यटन जोन चलता है. यहां पर 40 जिप्सियां सुबह की पाली में और 40 जिप्सियां शाम की पाली में पर्यटकों को सफारी पर लेकर जाती हैं. वहीं अब पवलगढ़ कंजर्वेशन रिजर्व का नाम बदलकर सीतावनी कंजर्वेशन रिजर्व रखने की घोषणा की जा चुकी है. 22 जनवरी को अयोध्या राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा के दिन इसका नाम सीतावनी कंजर्वेशन रिजर्व रखा जाएगा. इससे क्षेत्र के लोगों में खुशी की लहर है. बता दें कि सरकार द्वारा स्थानीय लोगों के आग्रह पर यह निर्णय लिया जा रहा है.
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Last Updated : Jan 18, 2024, 2:21 PM IST

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