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कानपुर: 1984 सिख दंगा मामले में एसआईटी ने चार आरोपियों को किया गिरफ्तार - kanpur today news

करीब तीन साल से चल रही 1984 सिख दंगा मामले की जांच में एसआईटी ने 4 आरोपियों को गिरफ्तार किया है. डीआईजी बालेंदु भूषण सिंह ने बताया कि सभी आरोपी घाटमपुर के रहने वाले हैं.

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1984 सिख दंगा

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Published : Jun 15, 2022, 4:21 PM IST

कानपुर: शहर में 1984 सिख दंगा मामले की गूंज अब भी चश्मदीदों के कानों में गूंजता है. इस मामले की जांच कर रही एसआईटी ने बुधवार को बड़ी कार्रवाई करते हुए साक्ष्यों के आधार पर चार आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया. सभी की गिरफ्तारी घाटमपुर से हुई. जो आरोपी गिरफ्तार हुए हैं, उन सभी की उम्र 60 से 65 साल के बीच है. वहीं, इस मामले को लेकर डीआईजी बालेंदु भूषण सिंह ने बताया कि तीन साल पहले गठित एसआईटी ने अब तक 94 आरोपितों की पहचान कर ली थी. हालांकि, उनमें से 22 आरोपी ऐसे हैं, जिनकी मौत हो चुकी है. अभी 70 से अधिक गिरफ्तारी होनी हैं.

उन्होंने यह भी बताया कि इस मामले को लेकर कुल 14 मुकदमों में साक्ष्य मिले थे. इनमें 147 लोगों की गवाहियां दर्ज की गई थीं. वहीं, साल 2018 में अखिल भारतीय दंगा पीड़ित राहत कमेटी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी, जिसके बाद गंभीरता से जांच शुरू हुई.

समय से आरोपियों की गिरफ्तारी न होने से नाराज थे सिख

1984 सिख दंगा मामले में पीड़ित परिवार के लोग तय समय पर आरोपियों की गिरफ्तारी न होने से नाराज थे. लोगों का कहना था कि इस दर्दनाक मामले में पुलिस ने ढुलमुल रवैया अपनाया. इसे लेकर कई सिख संगठनों ने शहर में धरना-प्रदर्शन भी किया. हालांकि, बुधवार को चार आरोपियों की गिरफ्तारी होने से सिख दंगा पीड़ितों को काफी हद तक राहत मिली.

100 से अधिक लोगों की जानें चली गई थीं

1984 में हुए सिख दंगा मामले में 100 से अधिक लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी थी. चश्मदीदों के मुताबिक, दंगा कई दिनों तक हुआ था. एसआईटी प्रभारी के मुताबिक, भीड़ ने निरालानगर की एक ऐसी बिल्डिंग पर धावा बोल दिया था, जिसमें 15 से अधिक परिवार के लोग रहते थे. भीड़ ने एक मकान में आग लगा दी थी, जब दंगा हुआ था. तब हत्या, लूट व डकैती समेत अन्य धाराओं में 40 से अधिक मुकदमे दर्ज हुए थे. उनमें से 20 मुकदमों को अग्रिम विवेचना के लायक माना गया था और जांच शुरू की गई थी. इसमें से 11 मुकदमों की विवेचना पूरी हो गई. अब मुकदमों के आधार पर गिरफ्तारियां होंगी.

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