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MP अजब-गजब: एक ऐसा गांव जहां दोनों हाथों से एक साथ लिखते हैं बच्चे, मनोवैज्ञानिक ने बताए ये तर्क - सिंगरौली के बच्चे पांच भाषाएं एक साथ लिखते हैं

सिंगरौली के स्कूल में बच्चों के पास ऐसी कला है जिसे जान आप हैरान हो जाएंगे. यहां के बच्चों में दोनों हाथों से एक साथ लिखने का हुनर है(singrauli school students write with both hand). दोनों हाथों से एक साथ लिखने से याद रखने की क्षमता बढ़ती है, दिमाग तेज होता है और सबसे बड़ी बात समय की बचत होती है.

singrauli school students write with both hand
सिंगरौली स्कूल के छात्र दोनों हाथों से लिखते हैं

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Published : Nov 13, 2022, 10:29 PM IST

सिंगरौली।दोनों हाथों से एक साथ लिखने का हुनर, यह किसी जादूगर की कला नहीं बल्कि मध्य प्रदेश के सिंगरौली जिले के छोटे से गांव बुधेला में 100 बच्चों के रोजमर्रा का काम है. इस गांव के एक निजी स्कूल में छात्र इस विधा में इतने निपुण हो चुके हैं कि कंप्यूटर के कीबोर्ड से भी तेज रफ्तार से उनकी कलम चलती है(singrauli school students write with both hand). जिस काम को सामान्य बच्चे आधे घंटे में पूरा कर पाते हैं, उसे ये बच्चे मिनटों में निपटा देते हैं. लगातार अभ्यास से बच्चे इतने कुशल हो चुके हैं कि, दोनों हाथ से एक साथ लिखकर सबको हैरत में डाल देते हैं. यही नहीं, वे पांच भाषाओं (हिंदी, अंग्रेजी, उर्दू, स्पेनिश, संस्कृत) में यह करिश्मा कर लेते हैं. छात्र इस हुनर को 'हैरी पॉटर' वाला जादू नाम देते हैं.

से गांव के बच्चों ने सीखा ये अजब का हुनर:जिले के एक छोटे से गांव बुधेला में एक निजी स्कूल की नींव यहीं के निवासी वीरंगद शर्मा ने एक रोचक सोच के साथ आठ जुलाई 1999 को रखी थी. इससे कुछ हफ्ते पहले वीरंगद जबलपुर में सेना का प्रशिक्षण ले रहे थे. वह बताते हैं, 'एक दिन जबलपुर रेलवे स्टेशन पर एक पुस्तक में मैंने पढ़ा कि देश के पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद दोनों हाथ से लिखते थे. ऐसा कैसे हो सकता है, इस जिज्ञासा ने और खोजबीन करने की प्रेरणा दी. यह विचार इतना पुख्ता हुआ कि कुछ दिनों में सेना का प्रशिक्षण छोड़ दिया. खोजने पर उन्हें पता चला कि प्राचीन नालंदा विश्र्वविद्यालय में छात्र औसतन प्रतिदिन 32 हजार शब्द लिखने की क्षमता रखते थे. इस पर पहले भरोसा करना कठिन था, लेकिन इतिहास खंगाला तो कई जगह इसका उल्लेख मिला. बस इसी सोच के साथ स्कूल की नींव पड़ गई.'

सिंगरौली स्कूल के छात्र दोनों हाथों से लिखते हैं

11 घंटे में बच्चे 24 हजार शब्द तक लिख लेते हैं: वीरंगद ने देश के इतिहास की बात को वर्तमान में सार्थक करने की ठान ली है. पहले खुद दोनों हाथों से लिखने का प्रयास किया, लेकिन खास सफलता नहीं मिली. इसके बाद उन्होंने बच्चों पर इसका प्रयोग आजमाया. बच्चे सीखने में अव्वल निकले. इसी से सीख लेकर बच्चों की लेखन क्षमता बढ़ाने का प्रयास शुरू किया. अब आलम यह है कि 11 घंटे में बच्चे 24 हजार शब्द तक लिख लेते हैं. हालांकि, यह गति एक प्रतियोगिता के दौरान हासिल हुई. सीखने-सिखाने के इस काम के दौरान वीरंगद ने एलएलबी की पढ़ाई भी पूरी कर ली.

वीरंगद बताते हैं कि, 'यह एक साधना की तरह है. ध्यान, योग, दृढ़ संकल्प होकर लक्ष्य पाया जा सकता है, इसलिए स्कूल में ध्यान और योग भी करीब डेढ़ घंटे तक रोज सिखाया जाता है. दोनों हाथों से एक साथ लिखने से याद रखने की क्षमता बढ़ती है, दिमाग तेज होता है और सबसे बड़ी बात समय की बचत होती है. इसी का परिणाम है कि बच्चे एक से 100 तक की गिनती उर्दू में 45 सेकंड में, एक मिनट में रोमन में, एक मिनट में देवनागरी लिपि में लिख लेते हैं. एक मिनट में दो भाषाओं के 250 शब्दों का अनुवाद कर देते हैं. एक मिनट में 17 तक का पहाड़ा लिख लेते हैं. एक हाथ दो का पहाड़ा लिखता है तो दूसरा हाथ तीन का, फिर पहला हाथ चार तो दूसरा हाथ पांच का पहाड़ा लिखना शुरू कर देता है.

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क्या है इसके पीछे विज्ञान का तर्क:सिंगरौली जिला अस्पताल के मनोचिकित्सक डॉक्टर आशीष पाण्डेय बताते हैं कि, हमारा दिमाग दो हिस्सों में बटा होता है. ब्रेन का बायां हिस्सा दायें हिस्से को कंट्रोल करता है और दायां हिस्सा बाएं हिस्से को नियंत्रित करता है. इसी थ्योरी के हिसाब से लोग दाएं या बाएं हिस्से से काम करते है, लेकिन 1 प्रतिशत ऐसे भी लोग होते है जो दोनों हाथ से एक साथ काम करते है, उन्हें क्रॉस वार्य कहते हैं. उनके दोनों हिस्से एक साथ काम करने के लिए विकसित होते हैं और उनका पूरे ब्रेन पर एक साथ नियंत्रण होता है.

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