रायपुर: चंदखुरी में माता कौशल्या महोत्सव का सोमवार को समापन हो गया. इस समापन कार्यक्रम में बॉलीवुड के सिंगर कैलाश खेर ने शानदार प्रस्तुति दी. इस दौरान ईटीवी भारत ने उनसे खास बातचीत की. जिसमें उन्होंने अपने जीवन और छत्तीसगढ़ से जुड़ी कई बातें बताई.
सवाल: माता कौशल्या की नगरी और भगवान श्री राम के ननिहाल में आप पहुंचे हैं. आपको कैसा लग रहा है ?
जवाब: छत्तीसगढ़ पावन भूमि है, जब भी मैं छत्तीसगढ़ आता हूं. छत्तीसगढ़िया सबले बढ़िया नारा बोलकर जाता हूं. आज मैं ऐसे पावन स्थली पर आया हूं. जो शिल्पकारों की नगरी है. खनिज पदार्थों की नगरी है. यह बेहद खूबसूरत जगह है. पर्यटन को लेकर तो लाजवाब जगह है. भारत के हर खंड की अपनी विशेषताएं हैं, लेकिन छत्तीसगढ़ की अपनी पौराणिक विशेषताएं हैं.आज की विशेषता इसलिए बड़ी है कि, आज ना केवल पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए बल्कि पर्यटन में भी आध्यात्मिक पर्यटन को बढ़ावा दिया जा रहा है. माता कौशल्या महोत्सव की स्थली भगवान श्री राम का ननिहाल है. यह दंडकारण्य का ऐसा वन्य क्षेत्र था. जहां 14 वर्षों के वनवास के मध्य भगवान राम ने 10 साल यहां के वनों में गुजारे थे. यहां शबरी ने राम को जूठे बेर खिलाए थे. वह स्थान भी यहां है. इसे शिवरी नारायण कहा जाता है. कई पौराणिक कथाएं भगवान ने इस धरती पर रची है. यह कौशल राज्य है. यही से मां भानुमती विवाह के बाद माता कौशल्या बनीं थीं. छत्तीसगढ़ बहुत ही पौराणिक और सार्थक स्थली है. यहां के लोग बेचैन नहीं हैं. यहां के लोग शांत और आराम प्रवृत्ति के हैं. इसी से पता लग रहा है कि, यह धरती अध्यात्म की स्थली है.
सवाल: आपने, अपने दोनों हाथों में घड़ी पहन रखी है. इसका क्या कारण है?
जवाब: हर बात का कारण नहीं होता है.बिना कारण के भी जीना चाहिए. मैंने दो घड़ियां इसलिए पहनी हैं कि, मेरे पास दो घड़ियां थी. कई लोग बोलते हैं. मेरे पास भी दो घड़ियां हैं. लेकिन वे पहनते नहीं हैं. मेरे पास दो घड़ी है और दो हाथ हैं. इसलिए मैंने उसका प्रयोग किया है.