देहरादून : वैश्विक महामारी कोविड-19 के इस दौर में जो लोग कोरोना वॉरियर्स की कतार में सबसे आगे खड़ें हैं, वो हैं प्रदेश के डॉक्टर. लेकिन एक अस्पताल ऐसा भी है जो पिछले 35 सालों से डॉक्टरों की एक झलक पाने के लिए तरस रहा है. चकराता के नागथात में स्थित रेडक्रॉस सोसायटी द्वारा बनाया गया 30 बेड का अस्पताल आज की विषम परिस्थिति में भी डॉक्टर की राह देख रहा है.
एक वक्त था, जब यहां के लोगों ने एक स्वस्थ्य समाज की कल्पना करते हुए अपनी पुश्तैनी जमीन दान में ये सोचकर दे दी थी कि यहां के लोगों को इलाज के लिए बाहर न जाना पड़े. आज जब प्रदेश में जगह-जगह अस्थायी अस्पताल बनाए जा रहे हैं, वहीं इस स्थायी अस्पताल का फायदा यहां के लोगों को नहीं मिल रहा है. इस अस्पताल को लेकर कई लोगों ने स्वास्थ्य विभाग का ध्यान खींचा, लेकिन किसी ने इसकी सुध नहीं ली गई.
बॉलीवुड सिंगर जुबीन नौटियाल का छलका दर्द
रविवार को अपने क्षेत्र में पहुंचे बॉलीवुड सिंगर जुबिन नौटियाल को जब इस अस्पताल के बारे में पता चला तो वे अपने-आप को रोक नहीं पाए. जुबीन अस्पताल की हालत देखने वहां पहुंच गए. अस्पताल में लगे ताले को देखकर जुबिन बेहद दु:खी नजर आए. इस दौरान उन्होंने ईटीवी भारत से अपना दर्द साझा किया. उन्होंने कहा कि जिस परिस्थिति में सभी लोग एक दूसरे की मदद के लिए आगे आ रहे हैं, वहीं कुछ लोगों को अस्पताल की सुविधा न मिलना बेहद दुखदायी है, जिन लोगों ने अस्पताल के लिए जमीन दान दी है.
जुबिन नौटियाल ने ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए कहा कि लोगों ने इस अस्पताल को अपने बुरे वक्त में काम आने के लिए बनावाया था, लेकिन जब बुरा वक्त आया तो यह अस्पताल सफेद हाथी बना हुआ है. जुबीन ने अस्पताल के हर कमरे में जाकर वहां के हालात देखे. उन्होंने रेड क्रॉस सोसायटी पर सवाल उठाते हुए कहा कि गांव वालों को छला गया है. लोगों को अस्पताल की सुविधा मिले या फिर उनकी जमीन वापस की जाए.
सरकार से की डॉक्टरों की मांग
जुबिन नौटियाल ने इस मौके पर सरकार से डॉक्टरों और स्वास्थ्य संबंधी उपकरण की मांग की है. उन्होंने कहा कि इन्हीं सब कारणों से लोग पलायन करने पर मजबूर होते हैं. उन्होंने अस्पताल का उपयोग गेस्ट हाउस के तौर पर किए जाने को अफसोसजनक बताया.