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जब मसूरी में बप्पी लाहिड़ी ने गाया 'यार बिना चैन कहां रे...'

10 दिन के अंदर संगीत की दुनिया को दो बड़े झटके लगे हैं. पहले छह फरवरी को स्वर कोकिला लता मंगेशकर का निधन हुआ. अब 16 फरवरी को संगीतकार बप्पी लाहिड़ी भी इस दुनिया को छोड़ गए. बप्पी लाहिड़ी की उत्तराखंड से जुड़ी यादें लोग याद कर रहे हैं. 15 साल पहले बप्पी लाहिड़ी शरदोत्सव में मसूरी आए थे. तब उन्होंने अपने गानों का यहां जलवा बिखेरा था. लोग उनके गानों पर जमकर झूमे थे.

बप्पी लाहिड़ी
बप्पी लाहिड़ी

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Published : Feb 17, 2022, 4:42 PM IST

मसूरी :सिनेमा जगत के जाने-माने संगीतकार बप्पी लाहिड़ी अब इस दुनिया में नहीं हैं. यहां तक की उनकी शरीर भी जलकर राख हो चुकी है. परंतु उनके संगीत लोगों को उनकी हमेशा याद दिलाता रहेगा. बप्पी दा की यादें उत्तराखंड के मसूरी से भी जुड़ी हैं, यहां वे 2007 में एक कार्यक्रम में शिरकत करने आए थे. तब उन्होंने अपने गानों से मसूरी वासियों को झूमने को मजबूर कर दिया था. मसूरी ऑटम फेस्टिवल में बप्पी लाहिड़ी को सुनने के लिए श्रोताओं का हुजूम उमड़ पड़ा था. मसूरी के सिल्वर्टन ग्राउंड में आयोजित ऑटम फेस्टिवल में आई भीड़ को नियंत्रित करने के लिए पुलिस-प्रशासन को विशेष प्रबंध करने पड़े थे.

बप्पी दा ने सुनाए थे ये गाने : शरदोत्सव में बप्पी लाहिड़ी ने 'याद आ रहा है...', 'यार बिना चैन कहां रे...' और 'तम्मा तम्मा लोगे...' सहित पांच हिट गीत गाए थे. उस वक्त सभासद रहे विनोद सेमवाल और रमेश भंडारी ने बताया कि उनके गाने सुनकर भीड़ बेकाबू हो गई थी. बड़ी मुश्किल से आयोजकों ने पुलिस-प्रशासन के सहयोग से व्यवस्था को संभाला था.

होटल में हुआ था झमेला: बप्पी लाहिड़ी को मसूरी के उस समय के एक मात्र पांच सितारा होटल में ठहराया गया था. सुबह होटल से चेक आउट करते समय थोड़ा झमेला भी हुआ था. दरअसल नगर पालिका परिषद मसूरी ने होटल का बिल नहीं चुकाया था. इस कारण बप्पी लाहिड़ी को कुछ समय होटल में रोका गया था. पालिका के बिल देने के बाद बप्पी लाहिड़ी होटल से निकल पाये थे. इसको लेकर बप्पी लाहिड़ी नाराज भी हुए थे.

बता दें कि बप्पी लाहिड़ी का असली नाम अलोकेश लाहिड़ी था. फिल्म इंडस्ट्री में उन्हें बप्पी लाहिड़ी के नाम से जाना जाता था. बप्पी लाहिड़ी का जन्म बंगाली परिवार में हुआ. उनके पिता अपरेश लाहिड़ी और मां बांसुरी लाहिड़ी थीं. दोनों ही शास्त्रीय संगीत और श्यामा संगीत में बंगाली गायक और संगीतकार थे. बप्पी उनके इकलौते बच्चे थे. सिंगर किशोर कुमार भी बप्पी लाहिड़ी के रिश्तेदार थे. वह उनके मामा लगते थे. बप्पी के अंदर भी म्यूजिक को लेकर बचपन से इंटरेस्ट आ गया था. उन्होंने तीन साल की उम्र में तबला बजाना सीखना शुरू कर दिया था. उन्हें उनके माता-पिता ने ही ट्रेन किया था. बप्पी लाहिड़ी ने चित्राणी लाहिड़ी से शादी की थी. उनके दो बच्चे हैं. एक बेटा बप्पा लाहिड़ी और बेटी रेमा लाहिड़ी हैं. बप्पी लाहिड़ी का फेवरेट कोट होता था 'सोना ही मेरा भगवान' है. यही वजह है कि वो काफी सारा सोना पहनते थे. वह अपने गोल्ड जूलरी को लेकर भी काफी फेमस थे.

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बंगाली फिल्म दादू से की शुरुआत:बप्पी लाहिड़ी को बंगाली फिल्म दादू से पहली बार बतौर म्यूजिक कम्पोजर काम करने का मौका मिला. हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में फिल्म नन्हा शिकारी से उनकी शुरुआत हुई थी. हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में उन्हें जिससे पहचान मिली थी वो थी फिल्म जख्मी. इसमें ना सिर्फ उन्होंने म्यूजिक कम्पोज किया था बल्कि गाना भी गाया था. इस फिल्म से उन्हें फेम मिलना शुरू हो गया था और वह हिंदी म्यूजिक इंडस्ट्री में अपना कमाल दिखाने लगे. बप्पी लाहिड़ी अपने शानदार काम से उस वक्त के यंग म्यूजिक डायरेक्टर बन गए थे.

बप्पी लाहिड़ी के कुछ सुपर हिट गाने: बप्पी लाहिड़ी ने वैसे तो अनेक हिट गाने गाए और उनमें संगीत दिया था. लेकिन कुछ गाने ऐसे बन पड़े जो आज भी लोगों की जुबान पर चढ़े हुए हैं. इनमें तम्मा तम्मा लोगे फिल्म- थानेदार (1989), यार बिना चैन कहां रे फिल्म- साहेब (1985), सुपर डांसर फिल्म- डांस डांस (1987), ऊलाला ऊलाला फिल्म- डर्टी पिक्चर (2011) शामिल हैं.

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