पीलीभीत : टोक्यो ओलंपिक में लंबे समय बाद भारत को कास्य पदक हासिल हुआ है. भारतीय हॉकी टीम में शामिल पीलीभीत के छोटे से गांव के रहने वाले हॉकी खिलाड़ी सिमरनजीत ने दो गोल किए, जिसके बाद सिमरनजीत के गांव और घर में जश्न का माहौल है. आस-पास के लोग सिमरनजीत के घर पहुंचकर उनके माता-पिता को बधाइयां दे रहे हैं.
पीलीभीत के मझारा के रहने वाले इकबाल सिंह के घर में बड़े बेटे के रूप में जन्म लेने वाले सिमरनजीत की बड़ी रोचक दास्तां है. सिमरनजीत शुरू से ही खेलों के प्रति अलग ही सोच रखते थे. अपने ताऊ रशपाल सिंह को रोल मॉडल मानते हुए हॉकी में हुनर आजमाने के लिए महज 10 साल की उम्र में सिमरजीत ने अपने माता पिता को छोड़ पंजाब जाने का फैसला किया, जहां पंजाब की चीमा हॉकी एकेडमी में दाखिला लेने के साथ-साथ ताऊ के घर रह कर ही सिमरजीत ने अपनी पढ़ाई पूरी की. परिवार जनों की मानें तो सिमरनजीत ने हॉकी थामने के बाद कभी पलटकर नहीं देखा. पहले स्टेट लेवल और नेशनल लेवल के कई मैच खेल कर बेहतर प्रदर्शन कर भारतीय हॉकी टीम में अपनी जगह बनाई. अब सिमरनजीत अपने गांव के आस-पास रहने वाले बच्चों के उज्जवल भविष्य के लिए कुछ करना चाहते हैं.
छोटी उम्र में लिया बड़ा फैसला
टोक्यो ओलंपिक में भारतीय हॉकी टीम का हिस्सा बने पीलीभीत के सिमरनजीत के पिता इकबाल सिंह ने ईटीवी भारत के कैमरे पर खुशी जाहिर करते हुए बताया कि छोटी सी उम्र में परिवारजनों से दूर जाकर सिमरनजीत ने पंजाब में रहने वाले अपने ताऊ रशपाल सिंह के घर रहने का फैसला किया और हॉकी की ट्रेनिंग लेने के लिए सुरजीत हॉकी एकेडमी जालंधर में दाखिला ले लिया और देखते ही देखते अपने प्रतिभा के बल पर पहले स्टेट और फिर नेशनल हॉकी टीम में अपनी जगह बना ली.