दिल्ली

delhi

जीना इसी का नाम है! अनाथ बच्चों को मां की तरह पाल रही हरियाणा की सिमरन

By

Published : May 26, 2022, 9:45 PM IST

कुछ घटनाएं ऐसी होती हैं जिन्हें देखकर और महसूस कर इंसान कुछ अलग करने की सोचता है. सिर्फ सोचता ही नहीं बल्कि कुछ अलग कर दूसरों के लिए मिसाल बनता है. ऐसी ही एक कहानी है हरियाणा के फरीदाबाद जिले की रहने वाली सिमरन लांबा की.

faridabad social worker simran
faridabad social worker simran

फरीदाबाद: फरीदाबाद की रहने वाली 40 वर्षीय सिमरन आज दूसरों के लिए मिसाल बनी हैं. सिमरन अनाथ बच्चों को अपनाकर उनकी परवरिश (faridabad social worker simran) कर रही हैं. इसकी शुरुआत सिमरन ने साल 2015 में दो बच्चों के साथ की थी. आज सिमरन 44 बच्चों की परवरिश कर रही हैं. जिनमें 3 साल से लेकर 10 साल तक के बच्चे शामिल हैं. बच्चों के प्रति इस लगाव की कहानी शुरू होती है साल 2012 से. सिमरन उस समय दिल्ली में एक एनजीओ के साथ मिलकर बच्चों के लिए काम करती थी.

साल 2012 में उन्होंने एक अनाथ आश्रम में विजिट किया. इस दौरान सिमरन ने वहां किसी परिवार को अनाथ बच्चों के साथ अपने बच्चे का जन्मदिन मनाते हुए देखा. उस जन्मदिन पर अनाथ बच्चों के चेहरे पर जो खुशी थी. उसे सिमरन को भावुक कर दिया. जिसके बाद उन्होंने फैसला किया कि वो कुछ ऐसा करेंगी. जिससे हर बच्चे को परिवार का प्यार मिले. इसके बाद उन्होंने सोशल वर्क में मास्टर्स की और साल 2015 में उन्होंने मिरेकल चैरिटेबल ट्रस्ट (Miracle charitable trust faridabad) की स्थापना की. फरीदाबाद सेक्टर 31 में ट्रस्ट के माध्यम से सिमरन ने अनाथ आश्रम की शुरुआत की.

जीना इसी का नाम है! अनाथ बच्चों को मां की तरह पाल रही हरियाणा की सिमरन

शुरुआत में सिमरन के पास दो बच्चे थे. ट्रस्ट की स्थापना के समय उनके साथ कुछ ही लोगों की टीम थी. वक्त बीतने के साथ अनाथ आश्रम में बच्चों की संख्या बढ़ने लगी. उनके साथ काम करने वाले साथियों की संख्या भी बढ़ रही थी. इस समय उनकी टीम में 20 के करीब लोग हैं. जो आर्थिक रूप से तो संस्था की मदद करते ही हैं. साथ में बच्चों के दूसरे कामकाज में भी वो सिमरन की मदद करते हैं. इस बीच सिमरन को कई परेशानियों का सामना करना पड़ा. शुरुआत में कमलेश परिवार के लिए वक्त नहीं निकाल पाती थी. जिस वजह से परिवार के लोग उनसे अक्सर खफा रहने लगे.

सिमरन ने पारिवारिक परेशानियों के बीच अपने हौंसले को डगमगाने नहीं दिया. इसी का नतीजा है कि सिमरन के पास इस समय 44 बच्चे हैं. जिनमें से 27 लड़कियां हैं और 17 लड़के हैं. इनमें 15 बच्चे ऐसे हैं जिन्होंने कोरोना में अपने माता पिता को खो दिया. कुछ बच्चे मानसिक रूप से दिव्यांग हैं. जिन्हें अपनों ने छोड़ दिया. संस्था को चलाने के लिए फंड की जरूरत होती है और फंड के लिए सिमरन लोगों को डोनेशन करने के लिए भी जागरूक करती हैं. साथ ही सिमरन की टीम में जो हमने लोग हैं. वो बच्चों की जरूरतों के सामान का इंतजाम करते हैं.

मिरेकल चैरिटेबल ट्रस्ट में ही सिमरन गोद लिए बच्चों को पढ़ाती भी हैं.

सिमरन बच्चों को मां की तरह पालती है. हरियाणा सरकार की तरफ से भी समय-समय पर सिमरन के एनजीओ को सहायता राशि दी जाती है. सिमरन के पास आने वाले बच्चे जीरो से लेकर 10 साल तक के होते हैं, क्योंकि हरियाणा में अभी छोटे बच्चों को रखने के लिए किसी प्रकार का कोई शेल्टर होम नहीं है. इसीलिए प्रशासन की तरफ से छोटे बच्चों को सिमरन की इस संस्था को ही सौंपा जाता है. सिमरन के अनाथ आश्रम में फरीदाबाद, गुरुग्राम, पलवल, मेवात, पानीपत, सोनीपत से बच्चे लाए जाते हैं. सिमरन के पति एक ट्रांसपोर्टर हैं.

हरियाणा की विश्वसनीय खबरों को पढ़ने के लिए गूगल प्ले स्टोर से डाउनलोड करें Etv Bharat APP

ABOUT THE AUTHOR

...view details