आगरा में चांदी ज्वैलरी प्रदर्शनी लगी. आगरा:एशिया की सबसे बड़ी चांदी की मंडी आगरा है. आगरा में बनी चांदी की ज्वैलरी और मूर्तियों समेत प्रोडेक्ट की डिमांड गल्फ कंट्री के साथ अमेरिका, इंग्लैंड, थाईलैंड, मलेशिया, सिंगापुर समेत अन्य देशों में हैं. चांदी की लाइटवेट (हॉलो) मूर्ति और ज्वैलरी भारत पहले चाइना से इम्पोर्ट करता था. मगर, अब भारत चांदी की लाइटवेट मूर्ति और ज्वैलरी एक्सपोर्ट कर रहा है. आगरा, सूरत, भाव नगर, मुंबई, बैंगलुरू, कोल्हापुर, मुम्बई, कोयंबटूर और कोलकाता में बनीं टू डी और थ्री डी डिजाइन की लाइटवेट मूर्ति और ज्वैलरी दुनियां में छा रहीं हैं. ईटीवी भारत की एक्सक्लूसिव स्टोरी में जानिए, कैसे भारत इम्पोर्टर से बना गया चांदी की लाइटवेट मूर्ति और ज्वैलरी का एक्स्पोर्टर बन गया है.
आगरा में तीन दिवसीय चांदी ज्वैलरी प्रदर्शनी का आयोजन. प्रदर्शनी में पहुंचे देशभर से चांदी कारोबारीबता दें कि आगरा में तीन दिवसीय चांदी ज्वैलरी प्रदर्शनी चल रही है. जिसमें देशभर से चांदी कारोबारी और मैन्यूफैक्चरर्स आए हैं. जिन्होंने अपनी स्टॉल पर एक्सक्लुसिव डिजाइन और प्रोडक्ट को डिस्प्ले किए हैं. इस बी-टू-बी ज्वैलरी प्रदर्शनी में पांच किलो की पायल, करधनी, महाभारत में अर्जुन का रथ कपिध्वज आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं.
भारत अब चांदी की लाइटवेट मूर्ति-ज्वैलरी का बड़ा एक्सपोर्टर बन गया है.
थ्री डी प्रिंटर से प्रोडेक्शन फास्ट हुआ प्रोडक्शन
ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए अमित कुमार अग्रवाल ने बताया कि पहले चांदी की मूर्ति बनाने के लिए डाई तैयार की जाती थी. अब नई टेक्नोलाॅजी आ गई है. अब कम्प्यूटर से डिजाइन बनती हैं. थ्री डी प्रिंटर से वैक्स की डिजाइन बनती है. जिससे डायरेक्ट ही चांदी की मूर्ति या अन्य आभूषण की कास्टिंग हो जाती है. इससे प्रोडेक्शन फास्ट हो जाता है. मनमुताबिक डिजाइन चेंज कर सकते हैं. इसकी क्वालिटी बहुत अच्छी आती है.
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चाइना से अच्छी क्वालिटी की मूर्तियां बना रहे
चांदी कारोबारी अमित अग्रवाल बताते हैं कि सबसे पहले चाइना में इलेक्ट्रो फाॅर्म कहें या लाइटवेट मूर्ति या होलो मूर्तियां या लाइटवेट ज्वैलरी बनाना शुरू किया था. चाइना ने भारत के लोग इन्हें इम्पोर्ट करते थे. अब ऐसा नहीं है. भारत में टेक्नोलाॅजी हाई हो गई है. हम लोग खुद अब चाइना से अच्छी क्वालिटी की और सस्ती चांदी की मूर्तियां और ज्वैलरी बना रहे हैं. थ्री डी प्रिंटर से मूर्तियों और ज्वैलरी की फिनिंशिग बेहतर हो गई है. अमित अग्रवाल बताते हैं कि पहले भले ही भारत के कारोबारी चाइना से चांदी की मूर्तियां और चांदी की ज्वैलरी इम्पोर्ट करते थे. मगर, तीन से चार साल में अब भारत के कारोबारी ही चांदी की मूर्ति और ज्वैलरी को एक्सपोर्ट कर रहे हैं. आगरा से अमेरिका, बैंकाॅक, यूके, आस्ट्रेलिया समेत अन्य देश में एक्सपोर्ट कर रहे हैं.
प्रदर्शनी में लगी सिल्वर ज्वैलरी को दिखाते कारोबारी. लाइटवेट मूर्ति और ज्वैलरी की डिमांड खूब
चांदी कारोबारी अमित अग्रवाल बताते हैं कि जैसे-जैसे चांदी की कीमत बढ़ रही है. वैसे ही लाइटवेट मूर्ति या लाइटवेट ज्वैलरी की डिमांड बढ़ी है. इसलिए, आगरा में चार से कारखाना हैं. जहां पर थ्री प्रिंटिंग से होलो मूर्ति और होलो ज्वैलरी बना रहे हैं. जिसकी खूब डिमांड है. क्योंकि, चांदी की कीमत अधिक होने से लोगों की जेब पर भी भार बढा है. इसलिए, लोग भी अब ठोस ज्वैलरी और मूर्तियां खरीदने की अपेक्षा लाइटवेट मूर्तियां और ज्वैलरी खरीद रहे हैं.
प्रदर्नशनी में देशभर से पहुंचे चादी कारोबारी. अब भारत बन गया बड़ा एक्सपोर्टरमुम्बई के चांदी कारोबारी राज जैन ने बताया किपहले चाइना को हॉलो मूर्ति या ज्वैलरी बनाने में महारत हासिल थी. सबसे ज्यादा ऐसी ज्वैलरी का एक्सपोर्ट चाइना करता था. मगर, अब दुनिया में भारत हॉलो मूर्ति और ज्वैलरी का एक्सपोर्टर है. भारत में आगरा, बैंगलुरू, कोलकाता, कोम्यबटूर, कोल्हापुर, सूरत, भावनगर में बड़े स्तर पर बन रही है. भारत से अधिकतर गल्फ कंट्री, मलेशिया, सिंगापुर समेत एशिया के अधिकतर देश में एक्सपोर्ट किया जा रहा है.
थ्री डी प्रिंटिंग से डिजाइन की क्लियर्टी हाई चांदी कारोबारी ने राज जैन बताया कि लाइट वेट मूर्ति या ज्वैलरी का भविष्य है. कस्टमर की डिमांड है कि मूर्तियां और ज्वैलरी में डिजाइन में क्लियर्टी चाहिए. इसलिए, चांदी की मूर्ति या ज्वैलरी बनाने में टू डी और थ्री डी टेक्नोलाॅजी उपयोग की जा रही है. जिससे मूर्तियों का चेहरा से लेकर हर डिजाइन में क्लियारिटी आती है. ऐसे ही चांदी की ज्वैलरी में भी अब टू डी और थ्री डी ज्वैलरी का उपयोग खूब किया जा रहा है. जिससे शानदार डिजाइन और क्लैरिटी बेहतरी आ रही है.
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