उत्तराखंड: राज्य में आने वाली आपदाओं ने सरकार को और आपदा प्रबंधन तंत्र को पूरी तरह से सरप्राइज किया है. पारंपरिक तौर से आने वाली आपदाओं की जगह अब रैणी, जोशीमठ और सिलक्यारा जैसी आपदाओं ने परेशान किया है. इनके कारणों में मानवीय हस्तक्षेप शामिल है.
उत्तराखंड में हर बार चौंकाती है आपदा: उत्तराखंड में आने वाली आपदाओं ने पिछले कुछ सालों में सभी को चौंकाया है. उत्तराखंड में पारंपरिक तरीके से बादल फट जाना, बाढ़, भूस्खलन, जल भराव, हिमस्खलन या पहाड़ों और बर्फ में फंस जाना जैसे आपदाएं देखने को मिलती थीं. पिछले कुछ सालों में प्राकृतिक आपदाओं की जगह कुछ अलग तरह की ही आपदाओं से उत्तराखंड आपदा प्रबंधन का सामना हुआ है. बाढ़, भूस्खलन, हिमस्खलन जैसी आपदाओं के लिए तैयार उत्तराखंड ने 2021 में अजीब-ओ-गरीब बेमौसम रैणी आपदा देखी थी. बिना एक भी मौत के जोशीमठ जैसी दहशत भी देखी. वहीं अब केवल सड़कों को बेहतर बनाने के लिए चल रहे प्रोजेक्ट में सुरंग के अंदर फंसे 40 मजदूरों को बचाने के लिए आपदा प्रबंधन विभाग जूझ रहा है.
सिलक्यारा टनल हादसा आपदा प्रबंधन के लिए नई चुनौती:पिछली जिन तीन आपदाओं का हमने जिक्र किया, उनमें प्रकृति एक कारण तो थी ही, लेकिन इसमें नुकसान की बड़ी वजह मानव निर्मित निर्माण देखने को मिले हैं. बिल्कुल चटक धूप में रैणी आपदा से दो हाइड्रो प्रोजेक्ट में काम कर रहे मजदूर चपेट में आए और इन हाइड्रो प्रोजेक्ट की सुरंग कई मजदूरों की कब्रगाह बन गई थीं. वहीं इसके बाद जोशीमठ में धरती पर बड़ी-बड़ी दरारें पड़ीं. इसमें भी किसी को जान का नुकसान नहीं हुआ, लेकिन जोशीमठ के बड़े-बड़े होटल बहुमंजिला इमारतें झुकने लगीं. अब यहां तीसरे मानव निर्मित निर्माण में आपदा आई है. चारधाम ऑल वेदर रोड के तहत निर्माणाधीन सिलक्यारा टनल में 40 मजदूर भूस्खलन की वजह से दूसरी तरफ फंस गए हैं.
टनल में फंसे 40 मजदूरों को सुरक्षित निकालना है लक्ष्य:इस आपदा को लेकर आपदा प्रबंधन सचिव रंजीत कुमार सिन्हा ने बताया कि उत्तरकाशी सिलक्यारा में निर्माणाधीन टनल में फंसे 40 मजदूरों को निकालने का प्रयास किया जा रहा है. उन्होंने बताया कि इन मजदूरों को निकालने के रेस्क्यू मिशन में स्टेट गवर्नमेंट की एसडीआरएफ, सेंट्रल गवर्नमेंट से एनडीआरफ और जल निगम की पूरी मशीनरी और एनएचआईडीसीएल की टीम काम कर रही हैं. इसके अलावा, क्योंकि यह बिल्कुल नई तरह की चुनौती है, इसके लिए टेक्निकल एक्सपर्ट के तौर पर वहां पर भूगर्भीय जानकारी को प्राप्त करने के लिए एक टेक्निकल टीम भी डिप्लॉय की गई है. ये टीम भूस्खलन का कारण जानने के लिए मिट्टी और पत्थरों के सैंपल कलेक्ट कर रही है. इसके बाद टीम अपनी टेक्निकल जांच कर रिपोर्ट तैयार करेगी. इस कमेटी के लिए वाडिया, सीबीआरआई (Central Building Research Institute), USDMA (Uttarakhand State Disaster Management Authority) सहित तमाम टेक्निकल एजेंसियों के वैज्ञानिकों को शामिल किया गया है. यह टेक्निकल टीम मौजूदा स्थिति पर तकनीकी जानकारियां प्राप्त करने के साथ ही भविष्य में टनल निर्माण में बरती जाने वाली सावधानियों को लेकर भी अपनी एडवाइजरी देगी.
क्या कहते हैं एसडीआरएफ के कमांडेंट:वहीं इस घटना पर स्टेट डिजास्टर रिस्पांस फोर्स यानी एसडीआरएफ के रेस्क्यू ऑपरेशन को हेड कर रहे कमांडेंट मणिकांत मिश्रा ने बताया कि उत्तराखंड राज्य आपदा राहत बचाव दल उत्तराखंड में आने वाली तमाम आपदाओं से लड़ने और उनसे निपटने के लिए हरदम तैयार रहता है. उन्होंने बताया कि पर्वतीय राज्य उत्तराखंड में आपदाओं की आशंकाएं लगातार बनी रहती हैं. आपदा के लिहाज से उत्तराखंड बेहद संवेदनशील है. इसको लेकर एसडीआरएफ ने पिछले कुछ सालों में अपने रेस्क्यू ऑपरेशन की ट्रेनिंग में कई तब्दीलियां की हैं. अलग तरह की आपदाओं से निपटने के लिए अलग तरह के लोगों को तैयार किया गया है.
हर तरह की चुनौती के लिए तैयार है एसडीआरएफ:उन्होंने बताया कि उत्तराखंड में ज्यादातर बादल फटने और फ्लैश फ्लड की आशंका मानसून में सबसे ज्यादा होती है. इसके लिए अंडरवाटर रेस्क्यू ऑपरेशन के लिए जवान तैनात किए गए हैं. खास तौर से पानी के नीचे सर्च ऑपरेशन चलाने के लिए अलग से दल तैयार किया गया है. इसके अलावा ऊंचे हिमालयी क्षेत्र में कई बार बर्फीले इलाकों में ट्रेकर फंस जाते हैं, जिसके लिए उत्तराखंड की खास हाई एल्टीट्यूड रेस्क्यू टीम जो कि पूरे उत्तर भारत में अपने आप में विशेष महत्व रखती है, उसे तैयार किया गया है. इसके अलावा भूस्खलन और भूकंप सहित तमाम आम प्राकृतिक आपदाओं के लिए भी लगातार एसडीआरएफ सशक्त हो रही है.
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पहले से आपदा का आकलन करना मुश्किल:मणिकांत मिश्रा ने बताया कि आपदाएं हमेशा सस्पेंस लेकर आती हैं. भले हमारी कितनी तैयारी हो, लेकिन आपदाओं के स्वरूप का आकलन पहले से करना बेहद मुश्किल होता है. उत्तरकाशी के सिलक्यारा की घटना भी इसी तरह का एक नया चैलेंज है, जिसको लेकर लगातार काम किया जा रहा है. उन्होंने बताया कि एसडीआरएफ की टीम रात दिन एक करके उत्तरकाशी टनल भूस्खलन में फंसे मजदूरों को निकालने के लिए रास्ता बनाने का काम कर रही है. वहीं पिछली कुछ इसी तरह की आपदाओं के बारे में उन्होंने बताया कि हर एक नए तरह की आपदा उन्हें एक नए तरह का अनुभव देकर जाती है, जिससे वह और ज्यादा अनुभवी और सशक्त बनते हैं.
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