नई दिल्ली:अमेरिका के 16वें सबसे बड़े ऋणदाता बैंक सिलिकॉन वैली के बंद होने के बाद सिग्नेचर बैंक पर भी ताला लगना साफ संकेत है कि अमेरिका में बैंकिंग संकट गहराता जा रहा है. जिसका असर भारत के भी स्टार्ट-अप्स पर भी देखा जा रहा है, जिनके लाखों डॉलर अमेरिकी बैंकों में फंसे हैं. हालांकि ये बात और है कि अमेरिकी प्रशासन ने आश्वासन दिया है कि सभी का पैसा वापस मिलेगा, जिसके बाद केंद्रीय सूचना प्रौद्योगिकी राज्यमंत्री राजीव चंद्रशेखर ने भी भरोसा जताया है कि भारतीय स्टार्टअप्स पर मंडराता खतरा टल गया है. लेकिन साथ ही वह इससे मिले सबक को भी याद रखने को कह रहे हैं. उनका कहना है कि अगर भारतीय स्टार्टअप्स एसबीआई पर ज्यादा भरोसा करें तो बेहतर है (SVB collapse affects indian startups).
पिछले सप्ताह केवल जैसे ही सिलिकॉन वैली बैंक (एसवीबी) धराशायी हुआ, सैकड़ों भारतीय स्टार्ट-अप पर संकट गहरा गया. लेकिन फिलहाल संकट टलता नजर आ रहा है. एसवीबी का धराशायी होना इसलिए भी चिंता का कारण बना क्योंकि ये ऐसा बैंक था, जिससे बड़ी संख्या भारतीय स्टार्टअप भी लोन ले रहे थे. इनमें ज्यादातर टेक्नोलॉजी से जुड़े स्टार्टअप हैं.
आसान तरीके से लोन देने वाला बैंक था एसवीबी :सिलिकॉन वैली बैंक ने भारत में स्टार्ट-अप के लिए आसान तरीका पेश किया, विशेष रूप से सॉफ्टवेयर क्षेत्र में, जिनके पास कई अमेरिकी ग्राहक हैं. बैंक ने इन्हें नकदी जमा करने के लिए सहूलियतें दीं. भारतीय कंपनियां संयुक्त राज्य अमेरिका की सामाजिक सुरक्षा संख्या या आयकर पहचान संख्या की आवश्यकता के बिना अपने बैंक खाते स्थापित कर सकती हैं. इसके अलावा, जैसा कि एक संस्थापक ने समझाया, SVB के पास अमेरिका में वकीलों और एकाउंटेंट का एक बहुत मजबूत नेटवर्क था, जो निश्चित फीस के लिए सक्रिय रूप से बैंक को उच्च-विकास स्टार्ट-अप की सिफारिश करते थे. बैंक जोखिम को देखते हुए भी स्टार्ट-अप को उधार देने में हिचकता नहीं था.
हालांकि सिलिकॉन वैली बैंक को अपने कुछ निवेशों को उस समय बेचने के लिए मजबूर होना पड़ा जब उसके शेयरों में भारी गिरावट आई. बैंक से एक दिन में 42 बिलियन डॉलर की निकासी के लिए जमाकर्ताओं के आवेदन आ गए.