गंगटोक: सिक्किम डेमोक्रैटिक फ्रंट (एसडीएफ) प्रमुख पवन कुमार चामलिंग ने दावा किया है कि सिक्किमवासी ठगा-सा महसूस करते हैं, क्योंकि इस पूर्वोत्तर राज्य को विशेष प्रावधानों की गारंटी देने वाले अनुच्छेद 371एफ का उल्लंघन किया गया है. पूर्व मुख्यमंत्री चामलिंग ने एक साक्षात्कार में यह आरोप भी लगाया कि सिक्किम राजनीतिक हिंसा का केंद्र बन गया है. उन्होंने 2024 में स्वतंत्र एवं निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करने के लिए राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग की.
अनुच्छेद 371एफ के अनुसार सिक्किम के भारत में विलय के पहले से रह रहे निवासियों अर्थात् मूल सिक्किमवासियों के वैसे वंशज जिनके नाम 1961 में पंजी में हैं, उन्हें ही जमीन के स्वामित्व का अधिकार होगा और उन्हें ही राज्य सरकार की नौकरियां मिलेंगी. उन्हें आयकर भुगतान से भी छूट दी गयी थी.
चामलिंग ने कहा कि लेकिन अब, वित्त विधेयक 2023 के अनुसार सिक्किमवासी कोई भी भारतीय नागरिक हो सकता है, जो सिक्किम में रहता है और उसे वे ही लाभ प्राप्त होंगे, जो मूल निवासियों को प्राप्त हैं, जिनके पुरखों के नाम 1961 की पंजी में हैं. उन्होंने कहा कि अनुच्छेद 371एफ 1975 में भारत में सिक्किम के विलय का आधार था और यह (विधेयक) इसका (अनुच्छेद का) उल्लंघन है. सिक्किम के लोग ठगा-सा महसूस करते हैं, क्योंकि उन्हें दिये गये विशेष प्रावधान वापस ले लिये गये हैं.
विश्लेषक महसूस करते हैं कि सिक्किम के नेताओं के लिए बड़ी चिंता है कि जो भूस्वामित्व अब तक उन्हीं सिक्किमवासियों को प्राप्त है, जिनके माता-पिता पूर्व रियासत के नागरिक थे, वह अब किसी भी भारतीय नागरिक को मिल जाएगा, जो इस हिमालयी राज्य में रहता हो. जब चामलिंग से पूछा गया कि क्या यह एक बड़ा चुनावी मुद्दा होगा, तब उन्होंने कहा कि लोग इस मुद्दे को लेकर बहुत नाराज हैं. हमारी बस छह-सात लाख की आबादी है और हमें डर है कि दो-तीन सालों में हमारे यहां अन्य लोग खचाखच भर जायेंगे.