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पाकिस्तान में सिखों को मिली अलग कौम की मान्यता, सुप्रीमकोर्ट के निर्देश पर जनगणना फॉर्म में अलग कॉलम

पाकिस्तान में सिखों को अलग कौम के रूप में मान्यता दी जा रही है, इसके लिए पाकिस्तान की सुप्रीमकोर्ट ने जनगणना फॉर्म में अलग से हो कॉलम देने के निर्देश भी दिए हैं. इस पर पाकिस्तान के सिख एक्टिविस्ट बाबा गुरपाल सिंह (पेशावर) ने ईटीवी भारत से बात की.

Sikhs got the recognition of a separate community in Pakistan
पाकिस्तान में सिखों को मिली अलग कौम की मान्यता

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Published : Dec 14, 2022, 10:43 PM IST

अमृतसर (पंजाब): पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान में अब सिखों को अलग कौम के रूप में मान्यता मिलेगी. जनगणना के दौरान अब सिख कौम को दर्शाने के लिए अलग कॉलम होगा और इसे अलग कौम माना जाएगा. पाकिस्तान सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देशों पर यह फैसला लिया गया है. अब पाकिस्तान आंकड़ा ब्यूरो के जनसंख्या वाले फार्म में सिखों के लिए अलग से कॉलम होगा. अब तक सिख भाईचारे को अन्य धर्मों के कॉलम में ही शामिल किया जाता था, जिसके कारण पाकिस्तान में सिख समुदाय की सही संख्या के बारे में आधिकारिक आंकड़े नहीं हैं.

लंबी लड़ाई के बाद मिला यह हक

पाकिस्तान में सिख समुदाय को यह हक बहुत लंबी लड़ाई के बाद मिला है. इस फैसले के बाद पाकिस्तान के सिख समुदाय में खुशी की लहर है. उनका मानना है कि ऐसा होने से अब पाकिस्तान की विभिन्न सर्विसेस, एजुकेशन और अन्य सरकारी योजनाओं में सिख समुदाय को लाभ मिल सकेगा. साथ ही राजनीतिक तौर पर भी वह अपनी आवाज बुलंद कर सकेंगे.

सिखों को विकास योजनाओं में होगा लाभ

बता दें, इस मामले को लेकर पेशावर में सिख एक्टिविस्ट बाबा गुरपाल सिंह जी समेत कुछ अन्य संस्थाओं ने 2018 में पाकिस्तान के सुप्रीमकोर्ट का रुख किया था. इसी पर फैसला देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सिख कौम को मान्यता दी है. पेशावर से ईटीवी भारत के साथ फोन पर बात करते हुए बाबा गुरपाल सिंह ने बताया कि वह लंबे समय से इस हक के लिए लड़ रहे थे. सुप्रीमकोर्ट के इस फैसले से सिख समुदाय के कई मसले हल होंगे.

पेशावर में सिख एक्टिविस्ट बाबा गुरपाल सिंह

कौम के लिए अलग कॉलम होने से पाकिस्तान में सिखों की सही संख्या सामने आएगी, जिसका उपयोग इस समुदाय के बारे में सरकार की विकास योजनाओं में होगा. बाबा गुरपाल ने बताया कि सिखों की संख्या का सही आंकड़ा न होने के कारण समुदाय के लोगों को पढ़ाई, नौकरियों, सरकारी सुविधाओं और मैडिकल कोटा में मुश्किलों का सामना करना पड़ता है, क्योंकि पाकिस्कान में हुकूमत की तरफ से कम्युनिटी के आधार पर ज्यादातर फैसले लिए जाते हैं. अब पाकिस्तान में सिख समुदाय को ऐसी समस्याओं से निजात मिलेगी.

किरपाण का मामला भी करवाएंगे हल

बाबा गुरपाल सिंह ने बताया कि किरपाण धारण करना सिख मजहब की निशानी है. सुप्रीमकोर्ट के फैसले के बाद इसका भी जल्द हल निकलेगा, क्योंकि सिखों को अलग कौम को तौर पर मान्यता होगी.

पाकिस्तान के ननकाना साहिब से गुरु नानक जी मिशन के सचिव डॉ. कर्नेल सिंह ने भी ईटीवी भारत से बातचीत में बताया कि सुप्रीमकोर्ट के इस फैसले के पाकिस्तान के सिख समुदाय में खुशी की लहर है. इसके उनकी कई मुश्किलें हल होंगी. उन्होंने बताया कि इससे पहले हिंदू, क्रिश्चियन समुदायों का अलग कॉलम है. सिख समुदाय को अन्य में ही शुमार किया जाता था. सिखों को अलग कौम के तौर पर मान्यता मिलना अच्छा संदेश है.

डॉ. कर्नेल सिंह

सिखों ने अलग पहचान के बिना हासिल किए बड़े मुकाम

शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के अध्यक्ष एडवोकेट हरजिंदर सिंह धामी ने पाकिस्तान के जनगणना फॉर्म में सिखों को अलग कौम को रूप में दर्ज करने का स्वागत किया है. उन्होंने इस कार्य को अंजाम तक पहुंचाने वालों की प्रशंसा करते हुए कहा कि पाकिस्तान में सिखों को अलग कौम के रूप में मान्यता मिलना पूरी कौम के लिए खुशी की बात है. इससे पाकिस्तान में रहने वाले सिखों के बुनियादी अधिकारों और अलग-अलग जगहों पर प्रतिनिधित्व में लाभ मिलेगा.

एडवोकेट हरजिंदर सिंह धामी

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सिखों के सही आंकड़ों के बारे में भी स्पष्टता होगी. उन्होंने कहा कि सिखों ने पूरी दुनिया में अपनी अलग पहचान के साथ बड़े मुकाम हासिल किए हैं. विदेशों में सिख अधिकारों के लिए संघर्ष करने वाले पंथक दल पंजाब के अध्यक्ष भवनदीप सिंह ने कहा कि भारत सरकार को भी सिखों को अलग कौम के रूप में मान्यता देनी चाहिए. उन्होंने कहा कि देश के बंटवारे के बाद से सिखों को अलग कौम का दर्जा नहीं दिया गया.

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