अमृतसर (पंजाब): पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान में अब सिखों को अलग कौम के रूप में मान्यता मिलेगी. जनगणना के दौरान अब सिख कौम को दर्शाने के लिए अलग कॉलम होगा और इसे अलग कौम माना जाएगा. पाकिस्तान सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देशों पर यह फैसला लिया गया है. अब पाकिस्तान आंकड़ा ब्यूरो के जनसंख्या वाले फार्म में सिखों के लिए अलग से कॉलम होगा. अब तक सिख भाईचारे को अन्य धर्मों के कॉलम में ही शामिल किया जाता था, जिसके कारण पाकिस्तान में सिख समुदाय की सही संख्या के बारे में आधिकारिक आंकड़े नहीं हैं.
लंबी लड़ाई के बाद मिला यह हक
पाकिस्तान में सिख समुदाय को यह हक बहुत लंबी लड़ाई के बाद मिला है. इस फैसले के बाद पाकिस्तान के सिख समुदाय में खुशी की लहर है. उनका मानना है कि ऐसा होने से अब पाकिस्तान की विभिन्न सर्विसेस, एजुकेशन और अन्य सरकारी योजनाओं में सिख समुदाय को लाभ मिल सकेगा. साथ ही राजनीतिक तौर पर भी वह अपनी आवाज बुलंद कर सकेंगे.
सिखों को विकास योजनाओं में होगा लाभ
बता दें, इस मामले को लेकर पेशावर में सिख एक्टिविस्ट बाबा गुरपाल सिंह जी समेत कुछ अन्य संस्थाओं ने 2018 में पाकिस्तान के सुप्रीमकोर्ट का रुख किया था. इसी पर फैसला देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सिख कौम को मान्यता दी है. पेशावर से ईटीवी भारत के साथ फोन पर बात करते हुए बाबा गुरपाल सिंह ने बताया कि वह लंबे समय से इस हक के लिए लड़ रहे थे. सुप्रीमकोर्ट के इस फैसले से सिख समुदाय के कई मसले हल होंगे.
कौम के लिए अलग कॉलम होने से पाकिस्तान में सिखों की सही संख्या सामने आएगी, जिसका उपयोग इस समुदाय के बारे में सरकार की विकास योजनाओं में होगा. बाबा गुरपाल ने बताया कि सिखों की संख्या का सही आंकड़ा न होने के कारण समुदाय के लोगों को पढ़ाई, नौकरियों, सरकारी सुविधाओं और मैडिकल कोटा में मुश्किलों का सामना करना पड़ता है, क्योंकि पाकिस्कान में हुकूमत की तरफ से कम्युनिटी के आधार पर ज्यादातर फैसले लिए जाते हैं. अब पाकिस्तान में सिख समुदाय को ऐसी समस्याओं से निजात मिलेगी.