पटना : बिहार में सियासी उलटफेर के संकेत (Signs of political upheaval in Bihar) मिल रहे हैं. जिसतरह से लगातार सीएम नीतीश पार्टी दफ्तर का फेरा लगा रहे हैं वो कुछ बड़े बदलाव की ओर इशारा कर रहा है. चर्चा है एक बार फिर नीतीश राष्ट्रीय जनता दल के साथ मिलकर सरकार बदलने जा रहे हैं. हवाला दिया जा रहा है कि सीएम ने अपने सभी विधायकों को पटना से बाहर जाने पर रोक लगा दी है. विधायकों से साफ साफ कहा गया है कि वो हर हाल में पटना ना छोड़ें, किसी भी वक्त उन्हें बुलाया जाए तो वो तुरंत पहुंचे.
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वजह नंबर-1: चर्चा ये भी है कि इतनी बड़ी हलचल के पीछे वजह क्या है? जानकार बताते हैं कि इसके पीछे तीन मुख्य वजहें हो सकती हैं. पहली जातीय जनगणना और दूसरी वजह आरसीपी सिंह हैं. इस वक्त तीसरी वजह पर ज्यादा चर्चा हो रही है. बात जातीय जनगणना की तो इसपर भी जेडीयू को बड़ी लड़ाई लड़नी है. तो वहीं आरसीपी सिंह की राज्यसभा उम्मीदवारी पर अगर नीतीश कुछ दूसरा कदम उठाते हैं तो जेडीयू में टूट के संकेत हैं. वैसे ये भी रिकॉर्ड रहा है कि जेडीयू में सीएम नीतीश अपने ऊपर किसी दूसरे नेता को हावी नहीं होने देना चाहते.
गौरतलब है कि बिहार में जातीय जनगणना को लेकर लगातार सियासत जारी है. पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी (Former CM Jitan Ram Manjhi) ने 27 मई को सर्वदलीय बैठक (All party Meeting on Caste Census) कराने की बात कही है. वहीं मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) ने कहा है कि जातीय जनगणना को लेकर सहमति बनाने की कोशिश हो रही है. इसे कराने की घोषणा तो हमने पहले ही कर दी थी. 27 मई को सर्वदलीय बैठक बुलाने पर सभी दलों से बातचीत चल रही है.
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"सभी दल के साथ चर्चा हो रही है. मीटिंग हो जाए तो बहुत अच्छा रहेगा. एक बार मीटिंग हो जाएगी तो सबकी राय हो जाएगी कि कैसे और अच्छे ढंग से जातीय जनगणना किया जाए. फिर उसके बारे में सरकार अंतिम रूप से निर्णय लेकर कैबिनेट में प्रस्ताव भेजेगी. 27 की मीटिंग के लिए अनेक दलों से बातचीत हुई है. सहमित तो है लेकिन सब लोगों की सहमति नहीं आई है. पूरी सहमति आ जाने पर बैठक होगी."- नीतीश कुमार, सीएम, बिहार
वजह नंबर-2 : बात बिहार में जातीय जनगणना तक होती तो इतनी उथलपुथल ना होती. पिछले साल 23 अगस्त को नीतीश और तेजस्वी के साथ मिलकर कई दल पीएम से मुलाकात कर चुके थे. तब भी शायद इतनी हलचल बिहार में नहीं थी. चर्चा इस बात की तेज है कि बिहार में मौसम के साथ सरकार भी बदलने वाली है. या फिर नीतीश को आरसीपी से जेडीयू के टूट का डर सता रहा है. सियासी गलियारे में चर्चा है कि अगर आरसीपी सिंह को जेडीयू राज्यसभा उम्मीदवार (RCP Singh candidature for Rajya Sabha) नहीं बनाती है तो जेडीयू टूट जाएगी. इसी डर से सीएम नीतीश लगातार पार्टी कार्यकर्ताओं और नेताओं को आंक रहे हैं. विधायकों को पटना नहीं छोड़ने का एक ये भी वजह बताया जा रहा है. सीएम नीतीश अपने विधायकों को आंकने के लिए कई बार सीएम हाउस में बैठक ले चुके हैं. बैठक में उम्मीदवारों की घोषणा के लिए नीतीश को अधिकृत किया गया था.
वजह नंबर-3 : तीसरी और आखिरी वजह सरकार बदलने की अलटकलों को लेकर है. बेशक इफ्तार से तेजस्वी और नीतीश की दूरी कम हुई है. इस वजह से सरकार बदलने की अटकलें भी लगाईं जा रही हैं. लेकिन जिस तरह से नीतीश ने आरजेडीयू का दामन छोड़ा उससे पैदा हुई खाई कम हो गई है ये कह पाना मुश्किल है. लेकिन सियासी किस करवट बैठेगी ये जल्द ही पता चल जाएगा.
"एनडीए के घटक दलों के रिश्तों पर कोई प्रभाव पड़ेगा तो एनडीए को बहुत बड़ा घाटा होगा. एनडीए को जो मेंडेट मिला है वह 2025 तक के लिए है. 2025 तक नीतीश कुमार बिहार के सीएम रहेंगे. आशा है कि भाजपा और जदयू हजारों मतभेद के बाद भी आपस में मन भेद नहीं करेंगे. संगठन जैसा का तैसा बना रहेगा. नीतीश कुमार और बीजेपी घाटे का सौदा नहीं करेंगे. दोनों दल के रिश्तों में अगर दरार आता है तो दोनों को घाटा होगा." -जीतन राम मांझी, पूर्व मुख्यमंत्री, बिहार
इन तीन वजहों से बिहार में सियासी तूफान है. सियासी ऊंट किस करवट बैठेगा इसपर सभी की नजर है. दूसरी ओर आरजेडी भी जेडीयू पर सॉफ्ट कॉर्नर है तो वहीं बीजेपी पर हमलावर है. सुगबुगाहट का आधार जातीय जनगणना हो, आरसीपी हों या फिर सरकार बदलने के संकेत. इसपर सिर्फ अटकलबाजी तेज है. बिहार में जिस तरीके से घेराबंदी हो रही है उससे साफ है कि बिहार में कुछ बड़ा होने वाला है.
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