नई दिल्ली :कर्नाटक में मुख्यमंत्री पद की दौड़ तेज होने के बीच सिद्धारमैया (Siddaramaiah), शिवकुमार (DK ShivKumar) पर भारी पड़ते दिख रहे हैं. भले ही इस मुद्दे पर शीर्ष नेताओं के बीच बहस हो रही हो.
सोमवार को पार्टी प्रमुख खड़गे को सौंपी गई पर्यवेक्षकों की रिपोर्ट के अनुसार, सिद्धारमैया को शिवकुमार की तुलना में अधिक विधायकों का समर्थन प्राप्त है. एआईसीसी के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने कहा, '135 में से, सिद्धारमैया के पास 85 विधायकों का समर्थन है, शिवकुमार के पास 45 और बाकी आलाकमान की पसंद से जाएंगे.'
पार्टी के अंदरूनी सूत्रों के अनुसार, नए मुख्यमंत्री के फैसले में विधायकों का समर्थन एक महत्वपूर्ण कारक है क्योंकि आलाकमान एक ऐसे व्यक्ति को चाहता है जो दक्षिणी राज्य में एक स्थिर सरकार प्रदान कर सके और अभियान के दौरान किए गए विभिन्न वादों को लागू कर सके.
सिद्धारमैया इस मामले में फिट बैठते हैं क्योंकि उन्होंने 2013 से 2018 तक कांग्रेस सरकार का नेतृत्व किया और फिर 2019 से 2023 तक विधानसभा में विधायकों के नेता के रूप में काम किया.
एआईसीसी के एक पदाधिकारी ने कहा, 'वह कार्यकर्ताओं के बीच लोकप्रिय हैं, जननेता माने जाते हैं और प्रशासनिक अनुभव रखते हैं.' पार्टी के अंदरूनी सूत्रों के अनुसार, हाईकमान राज्य इकाई के प्रमुख शिवकुमार को उपमुख्यमंत्री का पद स्वीकार करने के लिए मनाने की कोशिश कर रहा है, लेकिन नेता को इस प्रस्ताव पर आपत्ति है. 2019 में फ्लोर टेस्ट में जेडी-एस-कांग्रेस गठबंधन सरकार के हारने के बाद डीके को राज्य इकाई प्रमुख के रूप में लाया गया था.
पार्टी के अंदरूनी सूत्रों ने कहा कि आलाकमान चाहता है कि सिद्धारमैया और शिवकुमार दोनों 2024 के राष्ट्रीय चुनावों की बड़ी राजनीतिक चुनौती के लिए एक टीम के रूप में काम करें और उनके बीच कोई भी मतभेद पार्टी को नुकसान पहुंचा सकता है.