नई दिल्ली : भारत के विदेश सचिव हर्ष वी श्रृंगला ने सोमवार को श्रीलंका के विदेशमंत्री प्रोफेसर जीएल पेइरिस और कई अन्य कैबिनेट मंत्रियों और सांसदों की उपस्थिति के साथ आवास और शिक्षा क्षेत्रों में चार विकास परियोजनाओं का उद्घाटन किया. श्रृंगला कोलंबो के चार दिवसीय आधिकारिक दौरे पर हैं.
विदेश मंत्रालय (Ministry of External Affairs ) के सूत्रों के अनुसार आवास क्षेत्र में कई परियोजनाओं का उद्घाटन के बाद इंडियान हाउसिंग प्रोजेक्ट (Indian Housing Project) के तीसरे चरण के तहत विदेश सचिव द्वारा 1235 लाभार्थियों को घर सौंपे गए हैं.
यह परियोजना श्रीलंका में विभिन्न जिलों में 1372 करोड़ रुपये से 50,000 घरों के निर्माण के लिए श्रीलंका में भारत की सबसे बड़ी अनुदान सहायता परियोजना (biggest grant assistance project ) का एक हिस्सा है.
इंडियान हाउसिंग प्रोजेक्ट के तीसरे चरण के तहत कुल 4000 घरों का निर्माण किया जाना है, जिसमें से 3500 से अधिक घरों का निर्माण पूरा हो चुका है. लगभग 400 घरों का निर्माण कार्य चल रहा है और 63 घरों का निर्माण शुरू होना बाकी है.
मंत्रालय ने सूचित किया कि तीसरे चरण के तहत 1235 पूर्ण घरों को विदेश सचिव ने अपनी यात्रा के दौरान सौंप दिया. इसके अलावा श्रृंगला वावुनिया जिले (Shringla handed) में मॉडल ग्राम आवास परियोजना (Model Village Housing Project) के तहत लाभार्थियों को घर सौंपे.
विशेष रूप से भारत सरकार मॉडल विलेज हाउसिंग प्रोजेक्ट के अन्तर्गत श्रीलंका के 25 जिलों में 600 घरों के निर्माण के लिए श्रीलंका सरकार की सहायता कर रही है.
परियोजना को एक उच्च प्रभाव सामुदायिक विकास परियोजना के रूप में कार्यान्वित किया जा रहा है, जिसके तहत वावुनिया जिले सहित 25 जिलों में से प्रत्येक में कम आय वाले परिवारों के लिए 24 घर बनाए जा रहे हैं.
वावुनिया जिले (Vavuniya District) में परियोजना पूरी हो गई है और यात्रा के दौरान सौंप दी गई थी. शिक्षा क्षेत्र में परियोजनाएं श्रीलंका में शिक्षा के बुनियादी ढांचे के विकास को बढ़ावा देने के लिए, विदेश सचिव ने वडामराची, उत्तरी प्रांत में वडा सेंट्रल लेडीज कॉलेज (Vada Central Ladies College) का उद्घाटन किया.
विदेश मंत्रालय के अनुसार श्रीलंका में बेहतर शैक्षिक बुनियादी ढांचे के निर्माण के लिए भारत सरकार की निरंतर प्रतिबद्धता के अनुरूप उत्तरी प्रांत में 27 स्कूलों के नवीनीकरण के लिए एक परियोजना भारत सरकार द्वारा अनुदान सहायता परियोजना के रूप में शुरू की गई थी. जिसकी लागत 250 मिलियन श्रीलंकाई रुपया है.