नई दिल्ली:विभिन्न राज्यों के शहरी क्षेत्रों में भूमि की कमी ने प्रधानमंत्री आवास योजना-शहरी (पीएमएवाई-यू) को लागू करने में बड़ी चुनौती पेश की है. स्थिति से अवगत होने के कारण केंद्रीय आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय (एमओएचयूए) ने राज्यों से खुले बाजार के माध्यम से जमीन खरीदकर पात्र लाभार्थियों को जमीन उपलब्ध कराने पर विचार करने को कहा है.
एमओएचयूए के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, 'उन्हें (राज्यों को) सलाह दी गई है कि वे योग्य लाभार्थियों को खुले बाजार के माध्यम से जमीन खरीदकर या जिस तरह से आंध्र प्रदेश, मध्य प्रदेश, ओडिशा जैसे कुछ राज्य जमीन के पट्टे उपलब्ध करा रहे हैं, उस पर विचार करें.' अधिकारी ने कहा कि उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, तमिलनाडु जैसे राज्य शहरी क्षेत्रों में इस तरह के भूमि संकट का सामना कर रहे हैं.
अधिकारी ने कहा, 'चूंकि शहरी क्षेत्रों में भूमि एक दुर्लभ संसाधन है, इसलिए कुछ राज्यों को पार्टनरशिप में किफायती आवास (एएचपी) वर्टिकल के तहत कुछ परियोजनाओं के लिए जमीन उपलब्ध कराने में मुश्किल हो रही है. पार्टनरशिप में किफायती आवास उपलब्ध कराने के लिए 20.63 लाख घरों को मंजूरी दी गई है.'
राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को एएचपी के तहत स्वीकृत ऐसी परियोजनाओं के लिए किफायती आवास के लिए भूमि चिन्हित करने या वैकल्पिक साइट प्रदान करने के लिए अपने मास्टर प्लान को तैयार करने और संशोधित करने की सलाह पहले ही दी जा चुकी है.
94 लाख घरों की रखी जा चुकी है नींव :2015 में शुरू की गई योजना (पीएमएवाई-यू) में 2022 तक सभी के लिए आवास उपलब्ध कराने का विजन था. शुरुआत में 1.15 करोड़ घरों को मंजूरी दी गई थी, जिनमें से लगभग 94 लाख घरों की नींव रखी जा चुकी है. लगभग 55 लाख घरों का निर्माण पूरा हो चुका है. हालांकि योजना शुरू होने के सात साल बीत जाने के बाद भी जितने आवासों का लक्ष्य रखा गया था उनमें से 50 फीसदी का निर्माण ही पूरा हो पाया है.