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कांग्रेस शासित राज्यों में टीकों की नहीं बल्कि प्रतिबद्धता की कमी: रविशंकर प्रसाद - बुनियादी प्रतिबद्धता में कमी

कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी द्वारा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिखकर देश में टीकों की कमी का आरोप लगाया गया है. पत्र लिखे जाने के चंद घंटों बाद ही केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने उन पर पलटवार किया है.

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Published : Apr 9, 2021, 8:18 PM IST

नई दिल्ली :पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी द्वारा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिख देश में टीकों की कमी का आरोप लगाए जाने के चंद घंटों बाद ही केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने उन पर पलटवार करते हुए दावा किया कि कांग्रेस शासित राज्यों में टीकों की नहीं बल्कि प्रतिबद्धता की कमी है.

राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर टीकों के निर्यात पर तत्काल रोक लगाने और हर जरूरतमंद के लिए टीकाकरण की मांग की थी. प्रसाद ने ट्वीट कर कहा कि राहुल गांधी को यह पता होना चाहिए कि कांग्रेस शासित राज्यों में टीकों की कमी नहीं है बल्कि स्वास्थ्य देखभाल की बुनियादी प्रतिबद्धता में कमी है. उन्होंने कहा कि उन्हें अपनी पार्टी की सरकारों को पत्र लिखकर ‘वसूली’ रोकने को कहना चाहिए और उनके पास पड़े लाखों टीकों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए.

वरिष्ठ भाजपा नेता ने कहा कि देश में टीकों की कोई कमी नहीं लेकिन राहुल गांधी की ओर ध्यान देने वाले लोगों की कमी है. उन्होंने पूछा कि राहुल गांधी ने अभी तक टीका क्यों नहीं लगवाया? क्या वह इसे लगवाना नहीं चाहते या फिर अपने किसी गुप्त विदेशी दौरों पर उन्होंने टीका लगवा लिया और उसके बारे में वह खुलासा नहीं करना चाहते?

राहुल गांधी ने आठ अप्रैल को लिखे इस पत्र में यह आरोप भी लगाया कि केंद्र सरकार की ओर से सही तरीके से क्रियान्वयन न किए जाने और उसमें लापरवाही के कारण टीकाकरण का प्रयास कमजोर पड़ता दिख रहा है. कांग्रेस नेता ने देश में कोरोना वायरस संक्रमण की नई लहर आने और टीकाकरण की गति कथित तौर पर धीमी होने का भी उल्लेख किया. उन्होंने दावा किया कि यदि मौजूदा गति से टीकाकरण चलता रहा तो देश की 75 फीसदी आबादी को टीका लगाने में कई साल लग जाएंगे.

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प्रसाद ने कहा कि पार्ट टाइम (अंशकालीन) राजनीतिज्ञ के रूप में असफल होने के बाद क्या राहुल गांधी फुल-टाइम (पूर्णकालिक) लॉबिंग करने लगे हैं. उन्होंने लड़ाकू विमान कंपनियों के लिए लॉबिंग कर भारत में इनके अधिग्रहण अभियान को पटरी से उतारने की कोशिश की और अब वह विदेशी टीकों को मनमाना अनुमति देने की बात कर फार्मा कंपनियों के लिए लॉबिंग कर रहे हैं.

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