नई दिल्ली : पार्टी के चुनाव नाम और चुनाव चिह्न को लेकर उद्धव गुट को बड़ा झटका लगा है. चुनाव आयोग (ईसीआई) ने शुक्रवार को घोषणा की कि पार्टी का नाम 'शिवसेना' और प्रतीक 'धनुष और तीर' एकनाथ शिंदे गुट के पास ही रहेगा.
दरअसल शिवसेना के दोनों गुट (एकनाथ शिंदे और उद्धव ठाकरे) पिछले साल शिंदे गुट की सरकार बनने के बाद से पार्टी के नाम और चुनाव निशान को लेकर ईसी से लेकर अदालत तक लड़ रहे हैं.
चुनाव आयोग के मुताबिक शिवसेना पार्टी का वर्तमान संविधान अलोकतांत्रिक है. आयोग का मानना है कि बिना किसी चुनाव के पदाधिकारियों के रूप में एक मंडली के लोगों को अलोकतांत्रिक रूप से नियुक्त करने के लिए इसे विकृत कर दिया गया है. आयोग ने कहा कि इस तरह की पार्टी संरचना विश्वास को प्रेरित करने में विफल रहती है.
चुनाव आयोग ने राजनीतिक दलों को सलाह दी कि सभी पार्टियां लोकतांत्रिक लोकाचार और आंतरिक पार्टी लोकतंत्र के सिद्धांतों को प्रतिबिंबित करें. ईसी का मानना है कि पार्टियां नियमित रूप से अपनी संबंधित वेबसाइटों पर अपनी आंतरिक पार्टी के कामकाज जैसे जैसे संगठनात्मक विवरण, चुनाव कराना, संविधान की प्रति और पदाधिकारियों की सूची आदि का खुलासा करें.
ईसी ने कहा कि 'राजनीतिक दलों के गठन में पदाधिकारियों के पदों के लिए स्वतंत्र, निष्पक्ष और पारदर्शी चुनाव और आंतरिक विवादों के समाधान के लिए एक और स्वतंत्र और निष्पक्ष प्रक्रिया का प्रावधान होना चाहिए. इन प्रक्रियाओं में संशोधन करना मुश्किल होना चाहिए और इसके लिए संगठनात्मक सदस्यों का बड़ा समर्थन सुनिश्चित करने के बाद ही संशोधन किया जाना चाहिए.'
ईसी ने साफ कहा कि 2018 में संशोधित शिवसेना का संविधान ईसीआई को नहीं दिया गया है. इसके साथ ये भी कहा कि बालासाहेब ठाकरे जो 1999 में पार्टी का संविधान लाए थे उसमें लोकतांत्रिक मानदंडों को पेश करने के कार्य को पूर्ववत कर दिया गया था.