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ओबीसी बिल पर बोले शिवसेना सांसद, यह सरकार के छलावे से ज्यादा कुछ नहीं - शिवसेना सांसद अरविंद सावंत

कभी भारतीय जनता पार्टी की सहयोगी रही शिवसेना अब विपक्ष के साथ सरकार पर लगातार आरोप लगा रही है. शिवसेना के सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री अरविंद सावंत ने ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए कहा कि आखिर केंद्र सरकार को पिगासस पर चर्चा करने में आपत्ति ही क्या है?प्रस्तुत है वरिष्ठ संवाददाता अनामिका रत्ना से अरविंद सावंत की बातचीत के प्रमुख अंश.

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Published : Aug 9, 2021, 8:54 PM IST

नई दिल्ली :शिवसेना सांसद अरविंद सावंत ने केंद्र की तरफ से पेश किए गए ओबीसी बिल पर टिप्पणी करते हुए इसे एक छल बताया है. शिवसेना सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री अरविंद सावंत का कहना है कि सत्र का तीसरा सप्ताह भी हंगामे की भेंट चढ़ गया. मगर सरकार, विपक्ष पर आरोप लगाने के अलावा कुछ नहीं कर रही है.

कहा कि अगर मॉनसून सत्र की इतनी ही चिंता है तो सरकार पिगासस पर चर्चा को आखिर तैयार क्यों नहीं हो रही है. उन्होंने कहा कि ये मात्र जासूसी का मामला नहीं बल्कि ये सुरक्षा से जुड़ा मामला है.

शिवसेना के सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री अरविंद सावंत ने ईटीवी भारत से बातचीत

उन्होंने कहा कि केंद्र सारी समस्या का जड़ विपक्ष को बता रही है लेकिन विपक्ष की सुनी क्यों नहीं जा रही. एक के बाद एक बिल क्यों पास किए जा रहे हैं. इस सवाल पर कि आज संविधान के 127वें संशोधन पर सभी पार्टियों ने पास कराने में साथ दिया तो बाकी बिलों पर विपक्ष की अलग-अलग पार्टियां साथ क्यों नहीं दे रहीं?

सावंत का कहना है बगैर विपक्ष के सरकार सरकार लगातार बिल पास करा रही है. लेकिन विपक्ष की मांग नहीं मान रही है. इससे साफ जाहिर होता है कि सरकार इन पर चर्चा करना ही नहीं चाहती. आज लोकसभा में ओबीसी बिल पेश किया गया है.

इस सवाल पर कि अब इस बिल को लेकर गेंद राज्यों के पाले में डाल दिया है तो क्या अब मराठा आरक्षण शिवसेना की सरकार महाराष्ट्र में लागू करेगी? इसके जवाब में शिव सेना सांसद अरविंद सावंत का कहना है कि सरकार ने सिर्फ छल किया है.

इस बिल के माध्यम से सरकार ने यह दिखाने की कोशिश की है कि वह ओबीसी के प्रति कितना सहानुभूति रखती है. जबकि वास्तविकता यह है कि यह बिल पास कराने से भी राज्य सरकार इसमें लागू करने के लिए कुछ भी नहीं कर सकतीं क्योंकि संविधान में 50% तक ही आरक्षण सीमित है.

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जब तक इस मर्यादा में संशोधन नहीं किया जाता, तब तक सरकार मराठा आरक्षण ओबीसी आरक्षण लागू कर ही नहीं कर सकती.

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