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लखीमपुर खीरी घटना पर 'बागी' वरुण गांधी नई पारी खेलने की कर रहे तैयारी ?

भाजपा सांसद वरुण गांधी भले ही अपनी पार्टी के नेताओं से लखीमपुर खीरी घटना को सिख और हिंदू के बीच की लड़ाई न बनाने की अपील कर रहे हैं, लेकिन कहीं न कहीं इस बयान के पीछे राजनीति कुछ और नजर आ रही है. अब तो शिवसेना के मुखपत्र सामना में भी वरुण गांधी के बयानों का जोर-जोर से समर्थन किया गया है. क्या है इसके पीछे की राजनीति आइए जानते हैं वरिष्ठ संवाददाता अनामिका रत्ना की इस रिपोर्ट में.

वरुण गांधी
वरुण गांधी

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Published : Oct 11, 2021, 7:20 PM IST

नई दिल्ली : भाजपा सांसद वरुण गांधी और उनकी मां व पूर्व केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी के बयान लंबे समय से पार्टी लाइन से हटकर आते रहे हैं, लेकिन लखीमपुर खीरी घटना के बाद, ट्वीट के माध्यम से जिस तरह से वरुण गांधी के बयान आए, उसे देखकर राजनीतिक गलियारों में इस बात की चर्चा जोरों पर है कि क्या वरुण लखीमपुर खीरी से अपनी नई पारी खेलने की तैयारी कर रहे हैं. वरुण गांधी बयान के पीछे राजनीति कुछ और नजर आ रही है.

शिवसेना के मुखपत्र सामना में वरुण गांधी के लखीमपुर खीरी हिंसा मामले पर दिए गए वक्तव्य और रुख का समर्थन किया गया है. शिवसेना ने वरुण गांधी के बयानों का समर्थन तो किया ही है, साथ ही साथ उत्तर प्रदेश के अन्य सांसदों पर सवाल उठाते हुए यहां तक कह दिया है कि लखीमपुर खीरी की घटना से क्या अन्य सांसदों का दिल नहीं पसीजा, या क्या सांसदों का खून ठंडा पड़ चुका है?

इससे भी एक कदम आगे बढ़कर शिवसेना ने तो किसान संगठनों को वरुण गांधी के रुख का समर्थन करते हुए उनके लिए प्रशंसा प्रस्ताव तक पारित करने की सलाह दे डाली है.

शायद इसी राजनीति का इंतजार वरुण गांधी भी कर रहे थे और जिस तरह अब वरुण गांधी के वक्तव्य का शिवसेना ने खुलकर समर्थन किया है, उसे देखते हुए ऐसा लगता है कि वरुण गांधी अब लखीमपुर खीरी घटना के बहाने पार्टी पर खुद के लिए अनुशासनात्मक कार्रवाई करने और खुद के लिए सहानुभूति बटोरने की कोशिश कर रहे हैं.

यदि लखीमपुर खीरी के जनसंख्या समीकरण की बात की जाए तो यहां पर एक बड़ी आबादी सिखों की है और यह इलाका कहीं न कहीं पंजाब की राजनीति पर भी प्रभाव डालता है. यही वजह है कि लखीमपुर खीरी की घटना होते ही पंजाब के नेताओं का भी लखीमपुर में आकर सरकार के खिलाफ धरना प्रदर्शन करने का सिलसिला जारी रहा.

हालांकि लखीमपुर खीरी घटना और वरुण गांधी के बयानों पर टिप्पणी करने पर भाजपा के तमाम नेताओं को आलाकमान की मनाही है, लेकिन नाम न लेने की शर्त पर पार्टी के एक वरिष्ठ नेता और राष्ट्रीय महासचिव ने कहा कि यदि वरुण गांधी के आए बयानों पर गौर किया जाए तो उन्होंने अपने ट्वीट के माध्यम से भले ही भाजपा के कुछ नेताओं पर तंज कसते हुए कहा है कि इस घटना को हिंदुओं और सिखों के बीच की राजनीति न बनाई जाए, लेकिन कहीं न कहीं ऐसा लगता है कि वरुण गांधी के इस ट्वीट के माध्यम से खुद ही इस बात को हवा देना चाहते हैं.

पार्टी के नेता का कहना है कि वरुण गांधी और उनकी माता मेनका गांधी भारतीय जनता पार्टी के सदस्य हैं और पार्टी ने उन्हें हमेशा से सम्मान दिया है. उन्होंने कहा कि वरुण गांधी को पार्टी लाइन से हटकर बयानबाजी नहीं करनी चाहिए.

उनका कहना है कि जब उत्तर प्रदेश की सरकार लखीमपुर खीरी घटना पर त्वरित कार्रवाई करते हुए पीड़ितों को मुआवजा और आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई कर रही है, ऐसे में विपक्षी पार्टियों के साथ मिलकर पार्टी और सरकार के खिलाफ बयानबाजी करना सरासर गलत है. उन्होंने कहा कि यदि कोई ऐसा कर रहा है तो वह पार्टी नहीं बल्कि अपनी राजनीतिक संभावनाओं को तलाशने की कोशिश कर रहा है.

पार्टी लाइन से हटकर बयानबाजी करने वाले वरुण गांधी के बागी तेवर पर भाजपा ने चुप्पी साध रखी है. लखीमपुर खीरी घटना के बाद भाजपा शीर्ष नेतृत्व ने पार्टी के नेताओं को बयानबाजी न करने की हिदायत दी थी, उसके बावजूद वरुण गांधी ने ट्वीट के माध्यम से पार्टी लाइन से हटकर बयान दिए. जिसका नतीजा ही है कि पार्टी ने राष्ट्रीय कार्यकारिणी से वरुण गांधी और उनकी माता मेनका गांधी को बाहर कर दिया.

पार्टी के विश्वस्त सूत्रों का यह भी कहना है कि पार्टी फिलहाल कोई भी अनुशासनात्मक कार्यवाही करके वरुण गांधी को सहानुभूति बटोरने की कोशिश नहीं करने देगी, जिसका प्रयास वह पार्टी के खिलाफ बयानबाजी करके कर रहे हैं.

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ऐसे में अब यह महत्वपूर्ण है कि अपनी ही पार्टी को निशाना बना रहे वरुण गांधी पर यदि पार्टी कार्रवाई नहीं करती तो क्या वह खुद पार्टी से अलग होकर राजनीतिक संभावनाएं तलाश करेंगे या फिर हमेशा की तरह पार्टी के अंदर रहकर ही बागी तेवर अपनाते हुए अपनी बात रखते रहेंगे. इन बातों का खुलासा 2022 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले ही होने की संभावना नजर आ रही है.

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